आपका एक मित्र शिमला में रहता है। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहां गए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मित्र को पत्र।

aapka ek mitra shimla main rehta hai. aap uske aamantran per grishmavakash main vahan gaye the aur prakritik sondarya ka khoob anand uthaya tha. ghar wapas lautne per kritagyata vyakt karte hue mitra ko patra.

बी/ 50

दिनांक………

फरीदाबाद, नई दिल्ली।

प्रिय मित्र अभिषेक

सप्रेम नमस्ते।

मैं इस पत्र के माध्यम से आप के प्रति अपना कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता हूं। आपके साथ ग्रीष्मावकाश के बिताए गए 10 दिनों की मोहक छवि एवं मधुर स्मृतियां अभी तक मेरे दिल–दिमाग पर छाई हुई है। मैं अभी-भी उन्हीं स्मृतियों में खोया हुआ हूं। आपके आमंत्रण पर शिमला में ग्रीष्मावकाश के दौरान हमने वहां के प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया। यह सब आप के कारण ही संभव हो पाया।

मित्र, प्राकृतिक स्थल मुझे बचपन से ही अपनी और आकर्षित करते जान पड़ते हैं। मैं तो प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत के प्रकृति प्रेम से अभिभूत हूं। प्रकृति उनकी सहचरी रही है। मुझे भी प्रकृति बुलावा देती जान पड़ती है। मेरी इस इच्छा की पूर्ति शिमला जाकर ही संभव हो पाई। वहां की हिममंडित चोटियां मुझे कल्पना लोक में ले गई। कुफरी का सौंदर्य भी मुझे आनंदित कर गया।

हम दोनों ने मिलकर शिमला का चप्पा–चप्पा घूम डाला। वहां का प्राकृतिक–सौंदर्य अनूठा है। मैं आपका कृतज्ञ हूं, क्योंकि आपने इस अतुलित प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का अवसर मुझे प्रदान किया।

एक बार पुनः धन्यवाद।

आपका प्रिय मित्र

अभिनंदन

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