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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Surdas Ke Pad
प्रश्न 1. गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?
उत्तर: गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन है। क्योंकि वह श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी उनके प्रेम से सर्वथा मुक्त हैं। वे श्रीकृष्ण की प्रेम की सुखद अनुभूति से पूर्णतया अपरिचित है।
प्रश्न 2. उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?
उत्तर: गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना निम्नलिखित उदाहरणों से की है:
१. गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से की है जो जल में रहते हुए भी उससे प्रभावित नहीं होता।
२. उद्धव जल के मध्य में रखे तेल के मटकी की तरह है जिस पर जल की एक बूंद भी नहीं टिक पाती। इसलिए उद्धव श्री कृष्ण के समीप रहते हुए भी उनके रूप के आकर्षण तथा प्रेम-बंधन से सर्वथा मुक्त हैं।
प्रश्न 3. गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उल्लाहने दिए हैं?
उत्तर: गोपियों ने अनेक उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उल्लाहने दिए हैं। जैसे गोपियां उद्धव के व्यवहार को कमल के पत्ते के समान बताती है जो पानी में रहकर भी उससे अछूता रहता है इसी तरह वह कृष्ण के समीप रहकर भी उनके प्रेम से बिल्कुल अछूते हैं। और गोपिया उन्हें तेल की मटकी और प्रेम की नदी आदि उदाहरणों के माध्यम से भी उल्लाने देती है।
प्रश्न 4. उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?
उत्तर: गोपियां कृष्ण के आगमन की आशा में दिन गिन रही थी। वह अपने कृष्ण के प्रेम रस में डूबी हुई थी। वह इसी इंतजार में बैठी थी, कि श्रीकृष्ण उनके विरह को समझेंगे, उनके प्रेम को समझेंगे और उनके अतृप्त मन को अपने दर्शन से तृप्त करेंगे। परंतु यहां सब उल्टा होता है श्रीकृष्ण को ना तो उनकी पीड़ा का ज्ञान है और ना ही उनके विरह के दुख का बल्कि कृष्ण योग का संदेश देने के लिए उद्धव को भेज देते हैं। विरह की अग्नि में जलती हुई गोपियों को उद्धव ने कृष्ण को भूल जाने और योग साधना करने का उपदेश दिया। जिसने उनके हृदय में चल रही विरहाग्नि में घी का काम किया और उसे और प्रज्वलित कर दिया।
प्रश्न 5. ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?
उत्तर: ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से प्रेम की मर्यादा ना रहने की बात की जा रही है। श्री कृष्ण के मथुरा चले जाने पर भी गोपियां शांत भाव से उनके लौटने की प्रतीक्षा कर रही थी। वे चुप्पी लगाए इस वियोग को सहन कर रही थी। लेकिन श्रीकृष्ण ने योग का संदेश देने के लिए उद्धव को भेज दिया। जिससे गोपियां मर्यादा छोड़कर बोलने पर आतुर हो गई क्योंकि प्रेम के बदले प्रेम का प्रतिदान ही प्रेम की मर्यादा है।
प्रश्न 6. कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?
उत्तर: गोपियों ने कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को विभिन्न प्रकार से अभिव्यक्त किया है:
१. गोपियों ने चीटियों और गुड़ के उदाहरण से खुद को और कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को अभिव्यक्त किया है। उनके अनुसार जैसी चीटिया जो गुड़ के प्रति आसक्त होकर उससे चिपट जाती है और फिर स्वयं को छुड़ाना पाने के कारण वही प्राण त्याग देती है।
२. उन्होंने हारिल पक्षी और लकड़ी का उदाहरण देकर भी अपना प्रेम दर्शाया है। जिस प्रकार हारिल पक्षी सदैव अपने पंजे में कोई लकड़ी या तिनका पकड़े रहता है किसी भी दशा में उसे नहीं छोड़ता। ठीक उसी प्रकार गोपियों ने मन, वचन और कर्म से श्री कृष्ण के प्रेम रूपी लकड़ी को दृढ़ता पूर्वक पकड़ रखा है।
३. वे जागते, सोते या स्वप्न अवस्था में भी दिन-रात श्रीकृष्ण की ही रट लगाती रहती है।
प्रश्न 7. गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?
उत्तर: गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देने की बात कही है जिनका मन चंचल है और इधर-उधर भटकता रहता है। जिनकी इंद्रियां व मन उनके बस में नहीं होते गोपियों के अनुसार उन्हीं लोगों को योग की शिक्षा देनी चाहिए क्योंकि गोपियां अपने मन व इंद्रियों से कृष्ण के प्रति एकाग्रचित है। उनको योग की शिक्षा की आवश्यकता नहीं है।
प्रश्न 8. प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।
उत्तर: प्रस्तुत पदों के आधार पर स्पष्ट है कि गोपियां योग साधना को नीरस, व्यर्थ और अवांछित मानती थी। उनके अनुसार यह उन लोगों के लिए है जिनका मन अस्थिर है और इंद्रिया चंचल परंतु उनका हृदय तो कृष्ण के प्रति स्थिर है। वे उनकी भक्ति में पूरी तरह से समर्पित है और योग ज्ञान उनके लिए कड़वी ककड़ी के समान है।
प्रश्न 9. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?
उत्तर: गोपियों के अनुसार राजा का धर्म प्रजा को अन्याय से बचाना, राजधर्म का पालन करते हुए प्रजा का हित चिंतन करना और उनकेसुखों का ख्याल रखना।
प्रश्न 10. गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वें अपना मन वापस लेने की बात कहती है?
उत्तर: गोपियों को लगता है कि कृष्ण द्वारका जाकर राजनीति के विद्वान हो गए हैं। उनके अनुसार श्रीकृष्ण पहले से ही चतुर थे अब भारी भारी ग्रंथों को पढ़कर वे पहले से भी अधिक चतुर हो गए हैं। अब छल-कपट उनके स्वभाव का अंग बन गया है। कृष्ण पहले दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित रहते थे परंतु अब अपना ही भला देख रहे हैं। श्री कृष्ण गोपियों से मिलने के बजाय योग की शिक्षा देने के लिए उद्धव को उनके पास भेज देते हैं कृष्ण के इस कदम से गोपियों के मन और भी आहत हुए। कृष्ण में आए इन्हीं परिवर्तनों को देखकर गोपियां अपने मन को श्रीकृष्ण के अनुराग से वापस लेना चाहती है।
प्रश्न 11. गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएं लिखिए?
उत्तर: गोपियों में व्यंग्य करने की अद्भुत क्षमता है और वह बात बनाने में किसी को भी परास्त कर सकती है। गोपियां उद्धव को अपने तानों के द्वारा चुप करा देती है और अपनी तर्क क्षमता से बात-बात पर उद्धव को निरुक्त कर देती है।
प्रश्न 12. संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएं बताइए।
उत्तर: भ्रमरगीत की निम्नलिखित विशेषताएं:
१. भ्रमरगीत में संगीत्तात्मक्ता का गुण विद्यमान है।
२. इसमें निर्गुण और निराकार भक्ति से ज्यादा सगुण और साकार भक्ति को महत्व दिया गया है।
३. गोपियों ने खुद को हारिल पक्षी व श्रीकृष्ण को लकड़ी की भांति बताकर अनन्य प्रेम का परिचय दिया है।
४. भ्रमरगीत में उपालंभ की प्रधानता है।
५. ‘भ्रमरगीत’ में शुद्ध साहित्यिक ब्रज भाषा का प्रयोग हुआ है।