पाठ: 15 माधवस्य प्रियम् अङ्गम् Hindi Class 6

✨ श्लोक 1

अधरं मधुरं वदनं मधुरं
नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥

🔹 शब्दार्थ:

  • अधरम् – होंठ
  • वदनम् – मुख
  • नयनम् – आँख
  • हसितम् – मुस्कान
  • हृदयम् – हृदय
  • गमनम् – चलना
  • मधुरम् – मीठा
  • मधुराधिपतिः – श्रीकृष्ण
  • अखिलम् – सब कुछ

🔹 अर्थ (भावार्थ):

श्रीकृष्ण के होंठ मधुर हैं, मुख मधुर है, आँखें मधुर हैं और उनकी मुस्कान भी मधुर है। उनका हृदय और उनका चलना भी मधुर है। श्रीकृष्ण से संबंधित सब कुछ मधुर है।


✨ श्लोक 2

वचनं मधुरं चरितं मधुरं
वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥

🔹 शब्दार्थ:

  • वचनम् – वाणी
  • चरितम् – आचरण
  • वसनम् – वस्त्र
  • वलितम् – शरीर की भंगिमा
  • चलितम् – चाल
  • भ्रमितम् – घूमना

🔹 अर्थ:

श्रीकृष्ण की वाणी मधुर है, उनका चरित्र मधुर है। उनके वस्त्र, उनकी देहभंगिमा, उनकी चाल और उनका घूमना – सब कुछ मधुर है।


✨ श्लोक 3

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः
पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥

🔹 शब्दार्थ:

  • वेणुः – बांसुरी
  • रेणुः – चरणों की धूल
  • पाणिः – हाथ
  • पादौ – पैर
  • नृत्यम् – नृत्य
  • सख्यम् – मित्रता

🔹 अर्थ:

श्रीकृष्ण की बांसुरी मधुर है, उनके चरणों की धूल मधुर है। उनके हाथ और पैर मधुर हैं। उनका नृत्य और उनकी मित्रता भी मधुर है।


✨ श्लोक 4

गीतं मधुरं पीतं मधुरं
भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥

🔹 शब्दार्थ:

  • गीतम् – गीत
  • पीतम् – पीना
  • भुक्तम् – भोजन
  • सुप्तम् – सोना
  • रूपम् – स्वरूप
  • तिलकम् – तिलक

🔹 अर्थ:

श्रीकृष्ण का गाना मधुर है, उनका पीना और भोजन करना मधुर है। उनका सोना, रूप और तिलक – सब कुछ मधुर है।


✨ श्लोक 5

करणं मधुरं तरणं मधुरं
हरणं मधुरं रमणं मधुरम्।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥

🔹 शब्दार्थ:

  • करणम् – कार्य
  • तरणम् – तैरना / पार करना
  • हरणम् – हर लेना
  • रमणम् – आनंद करना
  • वमितम् – उगलना
  • शमितम् – शांत करना

🔹 अर्थ:

श्रीकृष्ण के कार्य मधुर हैं, उनका पार करना, हर लेना और आनंद करना भी मधुर है। उनका क्रोध शांत करना और अन्य क्रियाएँ भी मधुर हैं।


✨ श्लोक 6

गुञ्जा मधुरा माला मधुरा
यमुना मधुरा वीची मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥

🔹 शब्दार्थ:

  • गुञ्जा – गुञ्जा की माला
  • माला – हार
  • यमुना – नदी यमुना
  • वीची – लहर
  • सलिलम् – जल
  • कमलम् – कमल

🔹 अर्थ:

श्रीकृष्ण की गुञ्जा माला मधुर है, उनका हार मधुर है। यमुना नदी, उसकी लहरें, जल और कमल – सब मधुर हैं।


✨ श्लोक 7

गोपी मधुरा लीला मधुरा
युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्।
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥

🔹 शब्दार्थ:

  • गोपी – गोपियाँ
  • लीला – क्रीड़ा
  • युक्तम् – जुड़ा हुआ
  • मुक्तम् – मुक्त
  • दृष्टम् – देखा हुआ
  • सृष्टम् – सृजन

🔹 अर्थ:

श्रीकृष्ण की गोपियाँ मधुर हैं और उनकी लीलाएँ भी मधुर हैं। उनसे जुड़ी और उनसे मुक्त वस्तुएँ भी मधुर हैं। जो देखा गया और जो सृजित हुआ – सब मधुर है।


✨ श्लोक 8

गोपा मधुरा गावो मधुरा
यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥

🔹 शब्दार्थ:

  • गोपाः – ग्वाले
  • गावः – गायें
  • यष्टिः – लाठी
  • सृष्टिः – संसार
  • दलितम् – कुचला हुआ
  • फलितम् – फल देना

🔹 अर्थ:

श्रीकृष्ण के ग्वाले, गायें, उनकी लाठी और पूरी सृष्टि मधुर है। उनका कुचलना और फल देना – सब कुछ मधुर है।


✨ समग्र भाव:

श्रीकृष्ण से संबंधित प्रत्येक वस्तु, गुण, क्रिया और दृश्य पूर्णतः मधुर है।


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