NCERT Solutions for Class 9 Hindi (Kshitij) Chapter-13 Gram Shree Questions and Answers
कवि
– सुमित्रानंदन पंत (1900-1977)
Question: 1 कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ क्यों कहा है?
Answer:
कवि ने गाँव को हरता जन मन इसलिए कहा है, क्योकि गांव पूरा हरा भरा दिख रहा था , हरियाली के कारण पूरा गांव सुंदर दिख रहा था। खेतों में अलग-अलग तरह की फुल फल और सब्जियां उगी हुई है। गांव के खेतों में आलू , गोभी , बैंगन , मूली , पालक , धनिया , लौकी , सेम , टमाटर , मिर्च आदि खूब फल-फूल रहे हैं। गंगा के किनारे तरबूजों की खेती फैलने लगी है। गांव में सुबह-सुबह चाय चाहती हुई पक्षियों और खेतों में तितलियों ने चार चांद लगा दिया है।
Question: 2 कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है?
Answer:
कविता में कवि ने वसंत ऋतु के सौंदर्य का वर्णन किया है और वर्णन करते हुए कहा है कि इस मौसम में ना ज्यादा ठंड और ना ज्यादा गर्मी होती है मौसम बिल्कुल अच्छा रहता है। इस मौसम में सबसे पहले सारे पेड़-पौधे के पत्ते धीरे-धीरे झड़ने लगते हैं और इन पर नए कोमल पत्ते उगते हैं। इस मौसम में आम के वृक्षों में मजरियाँ फूटती है और चारों ओर नए-नए फल-फूल और सब्जियां खेलती है और इन पर मंडराते हुए तितलियां देखने में बहुत सुंदर लगती है।
Question: 3 गाँव को ‘मरकत डिब्बे सा खुला’ क्यों कहा गया है?
Answer:
मरकत एक रत्नों को कहते हैं जिसका रंग पूरी तरह से हरा होता है और इस मरकत के खुले डिब्बे से सब कुछ साफ साफ दिखाई देता है। मरकत की तुलना गांव से इसलिए की गई है क्योंकि गांव पूरी तरह से हरियाली से ढका हुआ है। गाँव में आम , नीम, जामुन , महुआ आदि के पेड़ तथा खेतों में अलग- अलग प्रकार की फसले लहराती है। जब भी गांव पर सूरज की पहली किरण पड़ती है तो मानो ऐसा लगता है जैसे वह मरकर के एक रत्न की तरह चमक रही हो इसलिए लेखक ने गांव को मरकत डिब्बे सा खुला कहा है।
Question: 4 अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं?
Answer:
अरहर और सनई के खेत कवि को सोने की खेती जैसे लगते हैं। अरहर और सनई के फसलें जब तक जाती हैं और इन खेतों में जब हवा चलती हैं तो एक मधुर से आवाज आती है और यह आवाज किसी स्त्री ने अपने कमर पर बांधी करधनी से आते हुए प्रतीत होती है।
Question: 5 भाव स्पष्ट कीजिए :–
प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने गंगा के किनारे जमीन की बात की है। गंगा के तट पर जब गंगा का पवित्र पानी आता है और फिर गंगा में चला जाता है, तो उसके कारण तट पर बालू में निशान बन जाते हैं जो बिल्कुल सांप की भांति प्रतीत होता है। जब तक पर सूर्य की किरण पढ़ते हैं तो वह सतरंगी दिखाई पड़ती है।
(क) बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती
(ख) हँसमुख हरियाली हिम-आतप सुख से अलसाए-से सोए
Answer:
(क) प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने गंगा के किनारे जमीन की बात की है। गंगा के तट पर जब गंगा का पवित्र पानी आता है और फिर गंगा में चला जाता है, तो उसके कारण तट पर बालू में निशान बन जाते हैं जो बिल्कुल सांप की भांति प्रतीत होता है। जब तक पर सूर्य की किरण पढ़ते हैं तो वह सतरंगी दिखाई पड़ती है।
(ख) इस पंक्ति में कवि ने गांव की हरियाली की बात की है। जब सूर्य की पहली किरण हरियाली पर पड़ती है तो मानो ऐसा लगता है जैसे हरियाली जग–मगा रही हो और हंसमुख से भी प्रतीत होती है। सर्दियों में जब धूप चारों तरफ बिखर जाती है तो ऐसा लगता है की हरियाली आलस से भरपूर गहरी नींद में सुख सोई हुए हैं।
Question: 6 निम्न पंक्तियों में कौन-सा अलंकार हैं?
तिनकों के हरे हरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक
Answer:
- हरे हरे , हिल हरित में अनुप्रास अलंकार
- हरे-हरे में वीप्सा अलंकार
- हरित रुधिर में विरोधाभास अलंकार
- तिनकों के तल पर रूपक और मानवीकरण अलंकार।
Question: 7 इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है वह भारत के किस भू-भाग पर स्थित है?
Answer:
इस कविता में जिस गांव का चित्रण हुआ है वह भारत के गंगा, यमुना के मैदानों में फैले विस्तृत भू-भाग का कोई भी गाँव हो सकता है।
रचना और अभिव्यक्ति
Question: 8 भाव और भाषा की दृष्टि से आपको यह कविता कैसी लगी? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
Answer:
इस कविता की भाव और भाषा बिल्कुल सरल है। यह कविता पढ़ने पर हम सबको अपने-अपने गांव की याद आ गई कि कैसे सुबह-सुबह उठते ही हमें चारों तरफ हरियाली दिखाई पड़ती और चिड़िया चह-चहाती थी। कविता में सुंदर प्राकृतिक का चित्रण किया है। इस कविता में वसंत ऋतु के बारे में बताया गया है। कविता में हरियाली , पेड़- पौधे , पशु-पक्षियों और गंगा की तट का कवि की सूक्ष्म दृष्टि पशु-पक्षी , पेड़-पौधों तक का उल्लेख किया है।
प्रश्न 9. आप जहां रहते हैं उस इलाके के किसी मौसम विशेष के सौंदर्य को कविता या गद्य में वर्णित कीजिए।
उत्तर 9 : मैं दिल्ली में रहता हूँ। यहाँ गर्मी और सदीं दोनों ही अधिक पड़ती हैं। मुझे शीत ऋतु प्रिय है। शीत ऋतु में पेड़ों की पत्तियां गिर जाती है। वे ट्रेक से खड़े होकर नीले आसमान को ताक रहे होते हैं उनमें बैठे पक्षियों को सरलता से पहचाना जा सकता है इन दिनों , सब्जियों और फल खूब होते हैं। कभी-कभी कुहटा छा जाता है। सूर्य के दर्शन नहीं होते। लगता है धरती मोटा-सा कंवल आहे सो गई है। जब धूप निकलती है तो बड़े-बूढ़े खुले में बैठ जाते हैं। सदी में अच्छे-अच्छे कपड़े पहने जा सकते हैं। घरों में पकवान बनाए जाते हैं। गर्मी की अपेक्षा सर्दी में अधिक सौंदर्य होता है।
पाठेतर सक्रियता
प्रश्न10. सुमित्रानंदन पंत ने यह कविता चौथे दशक में लिखी थी। उस समय के गाँव में और आज के गाँव में आपको क्या परिवर्तन नज़र आते हैं? इस पर कक्षा में सामूहिक चर्चा कीजिए।
• उत्तर : छात्र स्वयं “उस समय के गाँव में और आज के गाँव में क्या परिवर्तन नजर आते हैं उस पर कक्षा में सामूहिक चर्चा करे।
प्रश्न11. अपने अध्यापक के साथ गाँव की यात्रा करें और जिन फ़सलों और पेड़-पौधों का चित्रण प्रस्तुत कविता में हुआ है, उनके बारे में जानकारी प्राप्त करें।
• उत्तर : छात्र स्वयं जानकारी प्राप्त करे।
कवि परिचय – सुमित्रानंदन पंत का जन्म उत्तरांचल के अल्मोड़ा जिले के कौसानी गाँव में सन् 1900 में हुआ ओर सन् 1977 में उनका देहावसान हो गया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में ही हुई। 1918 में वे अपने भाई के साथ काशी आ गए और वहां क्वींस कॉलेज में पढने लगे। मेट्रिक उतीर्ण करने के बाद वो इलाहबाद आ गए , वहां इंटर तक अध्ययन किया। उसके बाद आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के आह्वान पर उन्होंने कालेज छोड़ दिया। छायावादी कविता के प्रमुख स्तंभ रहे सुमित्रानंदन पंत का काव्य क्षितिज 1916 से 1977 तक फैला है। सात वर्ष की उम्र में , जब वे चौथी कक्षा में ही पढ़ रहे थे , उन्होंने कविता लिखना शुरु कर दिया था। उनकी प्रमुख काव्यकृतियाँ वीणा , ग्रंथि , गुंजन , ग्राम्या , पल्लव , युगात , स्वर्ण किरण, स्वर्णधूलि , कला और बूढ़ा चाँद , लोकायतन , चिदंबरा आदि हैं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार , भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार एवं सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पंत की कविता में प्रकृति और मनुष्य के अंतरंग संबंधों की पहचान है। वे अपनी जीवन दृष्टि के विभिन्न चरणों में छायावाद , प्रगतिवाद एवं अरविंद दर्शन से प्रभावित हुए।
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