Table of Contents
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 9 सवैये प्रश्न और उत्तर
Get comprehensive assistance with NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 9 – Savaiye. Enhance your understanding through detailed answers to the chapter’s questions. Dive into the rich world of poetry with insightful explanations that aid in grasping the nuances of the text. Elevate your learning experience with these solutions, designed to support your academic journey and foster a deeper appreciation for Hindi literature.
प्रश्न1. ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?
उत्तर: कवि का ब्रजभूमि के प्रति प्रेम विभिन्न रूपों में अभिव्यक्त हुआ है। यह प्रेम केवल इस जन्म तक सीमित नहीं है, बल्कि कवि अगले जन्म में भी ब्रजभूमि में रहने की इच्छा व्यक्त करता है। कवि चाहता है कि यदि उसे अगले जन्म में ग्वाला, गाय, पक्षी या पत्थर बनना पड़े, तो भी वह ब्रजभूमि में रहना चाहेगा।
- ग्वाला बनना: कवि का सपना है कि वह अगले जन्म में ग्वाले के रूप में ब्रजभूमि में गायों को चराए।
- पक्षी बनना: यदि वह पक्षी बनता है, तो वह कृष्ण की लीलाओं का आनंद लेने के लिए कदंब के पेड़ पर बैठना चाहेगा।
- पत्थर बनना: कवि गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहता है, क्योंकि यह पर्वत कृष्ण द्वारा उठाया गया था और इससे उसे कृष्ण के निकटता का अनुभव होगा।
- प्राकृतिक सौंदर्य: कवि ब्रज के वन, बाग और तालाबों को देखकर कृष्ण से जुड़ी हर वस्तु से प्रेम करता है। वह इन प्राकृतिक स्थलों को देखकर आनंदित होता है और इन्हें निहारने की इच्छा रखता है।
इस प्रकार, कवि का ब्रजभूमि के प्रति प्रेम उसकी गहरी भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, जो उसे हर रूप में ब्रजभूमि में रहने की प्रेरणा देता है।
प्रश्न2. कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण है?
उत्तर: कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे मुख्य कारण यह है कि ये सभी स्थान श्रीकृष्ण से जुड़े हुए हैं। कवि श्रीकृष्ण का अनन्य भक्त है और उसे अपने आराध्य से जुड़ी हर वस्तु से गहरा प्रेम है।
- आध्यात्मिक संबंध: कवि को ब्रजभूमि के वन, बाग और तालाब में श्रीकृष्ण की लीलाओं की याद आती है। ये स्थान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का साक्षी रहे हैं, जहाँ उन्होंने गायों को चराया और अपने मित्रों के साथ खेला।
- सुख और शांति: कवि इन स्थलों को देखकर एक दिव्य सुख और शांति का अनुभव करता है। यह उसे अपने आराध्य के निकटता का अहसास कराता है।
- प्रकृति की सुंदरता: ब्रज की प्राकृतिक सुंदरता, जैसे कि हरे-भरे बाग, शांत तालाब और मनमोहक वन, कवि को आकर्षित करते हैं। ये स्थान न केवल भौतिक रूप से सुंदर हैं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण हैं।
- संवेदनात्मक जुड़ाव: कवि का इन स्थलों से एक गहरा संवेदनात्मक जुड़ाव है। वह चाहता है कि वह इन स्थलों को देखकर श्रीकृष्ण की यादों में खो जाए और उनके साथ बिताए गए क्षणों को फिर से जी सके।
इस प्रकार, कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने का उद्देश्य केवल दृश्य आनंद नहीं है, बल्कि यह उसके आस्था और भक्ति का प्रतीक है।
प्रश्न3. एक लकुटी और कमरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है।
उत्तर: कवि का लकुटी और कमरिया पर सब कुछ न्योछावर करने की इच्छा उनके गहरे प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। लकुटी (लाठी) और कमरिया (कंबल) श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तुएं हैं, जो उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा रही हैं। कवि के लिए, ये वस्तुएं केवल भौतिक चीजें नहीं हैं, बल्कि श्रीकृष्ण के साथ उसकी आध्यात्मिक और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक हैं।
कवि का मानना है कि यदि वह इन वस्तुओं को प्राप्त कर लेता है, तो वह श्रीकृष्ण के निकटता का अनुभव कर सकेगा। इस प्रकार, कवि अपने प्रेम और भक्ति के लिए किसी भी चीज़ का त्याग करने को तैयार है, चाहे वह भौतिक सुख हो या अन्य कोई वस्तु। यह भाव दर्शाता है कि भक्ति में समर्पण और त्याग का कितना महत्व है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई भक्त अपने आराध्य के लिए अपनी सभी भौतिक वस्तुएं छोड़ने को तैयार है, तो यह उसकी गहरी आस्था और प्रेम को दर्शाता है। इसी प्रकार, कवि भी अपने आराध्य श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त करने के लिए सब कुछ न्योछावर करने के लिए तत्पर है।
प्रश्न4. सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया है। अपने शब्दों में वर्णन कीजिए?
उत्तर: सखी ने गोपी से कृष्ण का रूप धारण करने का आग्रह किया है ताकि वह कृष्ण की सुंदरता और आकर्षण को अपने भीतर समाहित कर सके। सखी ने गोपी से कहा कि वह कृष्ण की तरह सिर पर मोर पंख का मुकुट पहनें, गले में गुंजा की माला डालें, और तन पर पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके अलावा, उसे हाथ में लाठी भी लेनी चाहिए, ताकि वह वन में गायों को चराने जा सके, जैसे कि कृष्ण करते थे।
इस प्रकार, सखी का आग्रह गोपी को कृष्ण की भक्ति और उनके रूप-सौंदर्य के प्रति उसकी गहरी श्रद्धा को दर्शाता है। यह न केवल गोपी के लिए एक रूपांतरण का अवसर है, बल्कि यह कृष्ण के प्रति उसकी भक्ति को भी प्रकट करता है।
इस संदर्भ में, यह भी महत्वपूर्ण है कि गोपी कृष्ण के रूप को अपनाकर उनकी लीलाओं में शामिल होने की इच्छा रखती है, जिससे वह कृष्ण के निकटता का अनुभव कर सके।
प्रश्न5. अपने विचार से कवि पशु पक्षी पहाड़ के रूप में कृष्ण भक्ति का सानिध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है।
उत्तर: कवि का पशु, पक्षी, और पहाड़ के रूप में कृष्ण भक्ति का सानिध्य प्राप्त करने की इच्छा का मुख्य कारण यह है कि वह श्रीकृष्ण के निकट रहना चाहता है। कवि की भक्ति इतनी गहरी है कि वह किसी भी रूप में श्रीकृष्ण के साथ रहना चाहता है।
- पशु के रूप में: यदि कवि पशु बनता है, तो वह श्रीकृष्ण के साथ गाएँ चराने का अनुभव कर सकेगा। गाएँ चराना श्रीकृष्ण की लीलाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इस रूप में वह कृष्ण के निकटता का अनुभव करेगा।
- पक्षी के रूप में: पक्षी बनकर, कवि कदंब के पेड़ पर बैठकर श्रीकृष्ण की लीलाओं का आनंद ले सकता है। पक्षी की स्वतंत्रता उसे कृष्ण के साथ उड़ने और उनके खेलों को देखने का अवसर देगी।
- पहाड़ के रूप में: गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनकर, कवि उस स्थान पर रह सकता है जहाँ श्रीकृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा की थी। इस रूप में वह कृष्ण की शक्ति और उनके प्रति भक्ति का अनुभव करेगा।
इस प्रकार, कवि का यह विचार दर्शाता है कि भक्ति केवल एक भावना नहीं है, बल्कि यह एक गहरा संबंध है जो किसी भी रूप में स्थापित किया जा सकता है। यह उसकी कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
प्रश्न6. चौथे सवैये के अनुसार गोपिया अपने आपको क्यों विवश पाती हैं।
उत्तर: चौथे सवैये के अनुसार, गोपियाँ अपने आपको विवश इसलिए पाती हैं क्योंकि श्रीकृष्ण की मुस्कान और मुरली की धुन उनके मन को मोह लेती है। जब भी श्रीकृष्ण मुस्कुराते हैं, उनकी आकर्षक मुस्कान गोपियों को इतनी प्रभावित करती है कि वे अपने आप को नियंत्रित नहीं कर पाती हैं।
इसका मुख्य कारण यह है कि गोपियाँ श्रीकृष्ण के प्रति गहरी भक्ति और प्रेम रखती हैं। उनकी मुस्कान में एक विशेष आकर्षण होता है, जो गोपियों को अपनी ओर खींचता है। उदाहरण के लिए, जब गोपियाँ कृष्ण की मुरली की मधुर धुन सुनती हैं, तो वे उस धुन में खो जाती हैं और अपने चारों ओर की दुनिया को भूल जाती हैं।
इस प्रकार, गोपियों की विवशता उनके प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, जो उन्हें श्रीकृष्ण के प्रति और भी अधिक आकर्षित करता है। यह दर्शाता है कि प्रेम में एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव होता है, जो व्यक्ति को विवश कर सकता है।
प्रश्न7. भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
(ख) माई री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।
उत्तर: (क). इस पंक्ति का भाव यह है कि कवि ब्रजभूमि के प्रति अपने गहरे प्रेम को व्यक्त कर रहा है। “कोटिक ए कलधौत” का अर्थ है कि कवि करोड़ों सुखों और ऐश्वर्य को त्यागने के लिए तैयार है। “करील के कुंजन” का संदर्भ उन कांटेदार झाड़ियों और कुंजों से है, जहाँ श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाएँ की थीं।
कवि यह बताना चाहता है कि ब्रजभूमि की प्राकृतिक सुंदरता और वहाँ की आध्यात्मिकता इतनी महान है कि वह महलों के सुखों को छोड़कर भी वहाँ रहना चाहता है। यह भाव कवि की भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, जो यह दर्शाता है कि भौतिक सुखों की तुलना में आध्यात्मिक सुख अधिक महत्वपूर्ण हैं।
उदाहरण के लिए, यदि कोई भक्त अपने आराध्य के स्थान को पाने के लिए सभी भौतिक सुखों का त्याग करने को तैयार है, तो यह उसकी गहरी आस्था और प्रेम को दर्शाता है। इसी प्रकार, कवि भी ब्रजभूमि के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने के लिए हर सुख को छोड़ने के लिए तत्पर है।
(ख). पंक्ति “माई री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै” का भाव यह है कि गोपी श्रीकृष्ण की मुस्कान के प्रति इतनी मोहित है कि वह अपने आप को नियंत्रित नहीं कर पाती। यहाँ “मुख की मुसकानि” से तात्पर्य है कि श्रीकृष्ण की मुस्कान में एक विशेष आकर्षण है, जो गोपियों को अपनी ओर खींचता है।
भावार्थ:
- आकर्षण: गोपी की यह भावना दर्शाती है कि श्रीकृष्ण की मुस्कान में एक अद्भुत आकर्षण है, जो उसे पूरी तरह से अपनी ओर खींच लेता है।
- विवशता: गोपी इस मुस्कान के प्रभाव में इतनी खो जाती है कि वह अपने चारों ओर की दुनिया को भूल जाती है और अपने मन को नियंत्रित नहीं कर पाती।
- प्रेम का गहराई: यह पंक्ति गोपी के प्रेम और भक्ति की गहराई को भी दर्शाती है, जो उसे श्रीकृष्ण की ओर और अधिक आकर्षित करती है।
उदाहरण: यदि कोई भक्त अपने आराध्य की एक मुस्कान पर इतना मोहित हो जाए कि वह अपनी सुध-बुध खो दे, तो यह दर्शाता है कि प्रेम में एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव होता है। इसी प्रकार, गोपी भी श्रीकृष्ण की मुस्कान के जादू में बंधी हुई है।
इस प्रकार, यह पंक्ति प्रेम, भक्ति और आकर्षण के गहरे भावनात्मक पहलुओं को उजागर करती है।
प्रश्न8. ‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ में कौन-सा अलंकार है?
उतर: ‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।
उदाहरण: अनुप्रास अलंकार तब होता है जब किसी कविता या गीत में एक ही ध्वनि या वर्ण का पुनरावृत्ति होती है, जिससे एक संगीतात्मकता उत्पन्न होती है। इस पंक्ति में ‘क’ ध्वनि की पुनरावृत्ति इसे विशेष बनाती है।
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न9. या मुरली मुरलीधर की अधरान घरी अधरान धरोगी।
उतर: इस पंक्ति में कवि ने श्रीकृष्ण की मुरली और उनके अधरों का उल्लेख किया है। यहाँ “मुरली” का संदर्भ श्रीकृष्ण की प्रिय वाद्य यंत्र से है, जो उनकी लीलाओं का अभिन्न हिस्सा है। “अधरान” का अर्थ है “अधरों पर” और “धरोगी” का अर्थ है “धारण करना”।
इस पंक्ति का भावार्थ यह है कि गोपी श्रीकृष्ण के रूप को अपनाने के लिए उनकी मुरली को धारण करने के लिए तैयार है, लेकिन वह यह भी कहती है कि वह स्वयं को इस मुरली के प्रभाव से दूर नहीं रख पाएगी। गोपी की यह भावना दर्शाती है कि वह श्रीकृष्ण के प्रति कितनी गहरी आसक्ति रखती है।
उदाहरण:
- यदि कोई भक्त अपने आराध्य के प्रतीक को धारण करने के लिए तैयार है, तो यह उसकी भक्ति और प्रेम का प्रतीक है। इसी प्रकार, गोपी भी श्रीकृष्ण की मुरली को धारण करने की इच्छा रखती है, जिससे वह उनके निकटता का अनुभव कर सके।
निष्कर्ष: इस पंक्ति में कवि ने प्रेम, भक्ति और समर्पण की गहराई को व्यक्त किया है। यह दर्शाता है कि भक्ति केवल एक भावना नहीं है, बल्कि यह एक गहरा संबंध है जो किसी भी रूप में स्थापित किया जा सकता है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न10. प्रस्तुत सवैयों में जिस प्रकार ब्रजभूमि के प्रति प्रेम अभिव्यक्त हुआ है, उसी तरह आप अपनी मातृभूमि के प्रति अपने मनोभावों को अभिव्यक्त कीजिए।
उतर: मातृभूमि के प्रति प्रेम अभिव्यक्ति
मेरी मातृभूमि, भारत, मेरे लिए केवल एक भूभाग नहीं है, बल्कि यह मेरी पहचान, संस्कृति, और परंपराओं का प्रतीक है। यहाँ की मिट्टी में मेरी जड़ों का गहरा संबंध है। मातृभूमि के प्रति मेरा प्रेम कई रूपों में अभिव्यक्त होता है:
- संस्कृति और परंपरा: भारत की विविधता में एकता है। यहाँ की विभिन्न संस्कृतियाँ, त्योहार, और परंपराएँ मुझे गर्वित करती हैं। जैसे दीवाली का त्योहार, जो न केवल रोशनी का पर्व है, बल्कि यह हमारे परिवार और मित्रों के साथ मिलकर खुशियाँ बाँटने का अवसर भी है।
- प्राकृतिक सौंदर्य: भारत की प्राकृतिक सुंदरता, जैसे हिमालय की ऊँचाइयाँ, गंगा की पवित्रता, और थार का रेगिस्तान, मुझे हमेशा आकर्षित करते हैं। ये सभी स्थान मेरे दिल में एक विशेष स्थान रखते हैं और मुझे अपनी मातृभूमि पर गर्व महसूस कराते हैं।
- इतिहास और विरासत: भारत का समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत मुझे प्रेरित करते हैं। ताजमहल, कुतुब मीनार, और हुमायूँ का मकबरा जैसे ऐतिहासिक स्थल मेरी मातृभूमि की महानता को दर्शाते हैं।
- भाषा और साहित्य: मातृभूमि की भाषाएँ और साहित्य मेरे लिए एक अमूल्य धरोहर हैं। हिंदी, संस्कृत, और अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ मेरी भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम हैं। कवियों और लेखकों की रचनाएँ मुझे अपनी मातृभूमि के प्रति और भी अधिक प्रेम से भर देती हैं।
- सामाजिक जिम्मेदारी: मातृभूमि के प्रति प्रेम का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हमें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना चाहिए। अपने देश की सेवा करना, समाज में सकारात्मक बदलाव लाना, और अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन करना, यह सब मातृभूमि के प्रति सच्चे प्रेम का प्रतीक हैं।
इस प्रकार, मेरी मातृभूमि के प्रति प्रेम केवल एक भावना नहीं है, बल्कि यह मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। मैं हमेशा अपनी मातृभूमि की सेवा करने और इसे और भी महान बनाने के लिए प्रयासरत रहूँगा।
प्रश्न11. रसखान के इन सवैयों का शिक्षक की सहायता से कक्षा में आदर्श वाचन कीजिए। साथ ही किन्हीं दो सवैयों को कंठस्थ कीजिए।
उत्तर: छात्र स्वयं करें।
पाठेतर सक्रियता
सूरदास द्वारा रचित कृष्ण के रूप-सौंदर्य संबंधी पदों को पढ़िए।
उतर: छात्र स्वयं ही सूरदास द्वारा रचित कृष्ण के रूप-सौंदर्य संबंधी पदों को पढ़े ।
