पाठ: मेरे बचपन के दिन प्रश्न और उत्तर for class 9

NCERT solutions for class 9 Hindi (kshitij) chapter – 7 Mere Bachpan ke din Question and answer

पाठ : मेरे बचपन के दिन

– लेखिका (महादेवी वर्मा)

प्रश्न-अभ्यास

पृष्ठ संख्या

74

Question: 1 ‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।’ इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि :–

(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?

(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?

Answer : (क)

• उस समय , अर्थात् सन् 1900 के आसपास भारत में लड़कियों की दशा अच्छी नहीं थी।

• प्रायः उन्हें जन्म देते ही मार दिया जाता था। उन्हें बोझ समझा जाता था। यदि उनका जन्म हो जाता था तो पूरे घर में मातम छा जाता था।

• पहले तो ऐसा था कि – बैंड वाले , नौकर-चाकर सब लड़का होने की प्रतीक्षा में खुश बैठे रहते थे। जैसे ही लड़की होने का समाचार मिलता सब चुपचाप वहां से चले जाते थे।

• ऐसे वातावरण में लड़कियों को कम भोजन देना , उन्हें घर के कामों में लगाना , पढ़ाई-लिखाई से दूर रखना आदि बुराइयों का पनपना स्वाभाविक था।

• उस समय लड़कियों को बोझ माना जाता था और इसलिए छोटी सी उम्र में उनकी शादी करवा दी जाती थी।

Answer : (ख)

• आज लड़कियों के जन्म के संबंध में स्थितियाँ बहुत बदली है।

• पढ़े-लिखे लोग लड़का-लड़की के अंतर को धीरे-धीरे कम करते जा रहे हैं।

• बहुत-से जागरूक लोग लड़कियों का भी उसी तरह स्वागत सत्कार करते हैं , जैसे लड़के का।

• शहरों में लड़कियों को लड़कों की तरह पढ़ाया-लिखाया भी जाता है और उन्हें अब कोई भेद-भाव नहीं करता है।

• परंतु लड़कियों के साथ भेद-भाव पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है क्योंकि आज भी कई लोगों की मानसिक स्थिति पुरानी है उन्हें लगता है कि लड़कियां सिर्फ घर के काम करने के लिए होती है।

• देश में लड़के-लड़कियों का अनुपात बिगड़ता जा रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि महानगरों में सबसे कम लड़कियों की संख्या चंडीगढ़ में है , जो देश का एक उन्नत शहर माना जाता है। वहाँ न शिक्षा कम है , न धन-वैभव।

• लेकिन आज भी कई लोग लिंग परीक्षण जांच के बाद जन्म से पहले मां के र्गभ में ही लड़कियों को मार देते हैं और कहीं-कहीं दहेज संबंधी अत्याचार आज भी लड़कियों पर होते है।

Question: 2 लेखिका उर्दू-फारसी क्यों नहीं सीख पाई?

Answer :

लेखिका महादेवी वर्मा को उर्दू-फारसी सीखने की जिज्ञासा बिलकुल नहीं थी। उनके घर में उर्दू-फारसी का माहौल नहीं था जिसके कारण बचपन में उन्हें इस भाषा को सीखने के लिए प्रोत्साहन नहीं मिला। उनके मन में बैठ गया था कि ये भाषाएँ सीखना मेरे बस की बात नहीं हैं। उर्दू सिखाने वाले मौलवी के आने पर लेखिका स्वयं को चारपाई के नीचे छिपा लेती थीं।

Question: 3 लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?

लेखिका ने पाठ में अपनी माँ की अनेक विशेषताओं का वर्णन किया है, जिनमें प्रमुख हैं :–

1. धार्मिक प्रवृति – लेखिका की माँ धार्मिक प्रवृति की थीं। वे पूजा-पाठ बहुत करती थीं।

2. संस्कारी एवं सुसंस्कृत – लेखिका की माँ अत्यंत संस्कारी एवं सुसंस्कृत थीं। गीता में उनकी विशेष रुचि थी। लेखिका को उन्होंने पंचतंत्र पढ़ना सिखाया तथा घर में हिंदी का माहौल बनाया। जिसका प्रभाव लेखिका पर पड़ा।

3. विभिन्न भाषाओं एवं लेखन कला में दक्ष – लेखिका की माँ को हिंदी, संस्कृत एवं ब्रजभाषा का ज्ञान था वे बचपन में लिखा भी करती थीं।

4. धार्मिक सहिष्णुता – वे सभी धर्मों को समान समझती थीं। यही कारण था कि जवाँरा के नवाब के परिवार से उनके मधुर संबंध थे।

Question: 4 जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है?

जवारा के नवाव के साथ महादेवी वर्मा के पारिवारिक संबंध उनके सगे-संबंधियों से भी अधिक बढ़कर थे। दोनों परिवारों के बच्चों के जन्मदिन एक दूसरे के घर में मनाये जाते थे। जवारा की वेगम को महादेवी ताई कह कर बुलाती थी तथा उन्होंने ही उनके भाई का नामकरण भी किया। वे हर त्योहार एकसाथ मनाते थे , जब तक महादेवी राखी नहीं बाँध देती थी तब तक वे अपने बेटे को पानी भी नहीं पीने देती थीं।

वेगम साहिबा के घर में अवधी बोली जाती थी परन्तु हिंदी और उर्दू भी चलती थी। पहले वातावरण में जितनी निकटता थी , वह अब सपना हो गई है। ऐसे आत्मीय संबंधों की आज के समय में कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज आत्मीयता का स्थान आपसी भेदभाव , दिखावा , नीचा दिखाने की आदत ने ले लिया है।

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