Class 9 पाठ : प्रेमचंद के फटे जूते प्रश्न और उत्तर

NCERT Solutions for class 9 Hindi (kshitij) chapter 6 PremChand ke phate joote Question and answer

प्रेमचंद के फटे जूते

( हरिशंकर परसाई )

प्रश्न-अभ्यास

पृष्ठ-संख्या

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Question: 1 हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन-सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?

Answer :

हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद की कई व्यक्तित्व विशेषताएँ उभरकर आती है :-

1. सादा जीवनचर्या – प्रेमचंद्र जी कभी भी दिखवा नहीं करते और वह सदैव सदा जीवन जीते थे। वह गांधी जी की तरह सादा जीवन जीने में विश्वास रखते थे।

2. संघर्षशील – प्रेमचंद्र एक संघर्षशील व्यक्ति थे , वह मुसीबतों को कभी टालते नहीं थे बल्कि उनका सामना करते थे और उन पर विजय पाते थे।

3. अपनी स्थिति से संतुष्ट‌ – प्रेमचंद अपनी स्थिति किसी से नहीं छुपाते थे।‌ वह जैसे थे वैसे रहते थे और अपने स्थिति से संतुष्ट थे। वह दिखावे की जिंदगी से दूर रहते थे।

4. उच्च विचार – प्रेमचंद्र एक उच्च विचारों वाले व्यक्ति थे और वह सामाजिक बुराइयों से दूर रहते थे और दूसरों को भी इसके बारे में बताते थे।

5. स्वाभिमानी – प्रेमचंद दूसरों की वस्तुओं से दूर रहते थे , वह किसी से कुछ नहीं मांगते थे और उनके पास जितना कुछ भी था वह उतने में खुश थे।

Question: 2 सही कथन के सामने () का निशान लगाइए :–

(क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से उंगली बाहर निकल आई है।

(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।

(ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुस्कान मेरे हौसले बढ़ाती है।

(घ) जिसे तुम घृणित समझते हो , उसकी तरफ अँगूठे से इशारा करते हो?

Answer :

(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए। ()

Question: 3 नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए

(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत ओर बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्यौछावर होती हैं।

(ख) तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते , हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं।

(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो , उसकी तरफ हाथ की नहीं , पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?

Answer :

(क) व्यंग्यजूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत ओर बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्यौछावर होती हैं। यह व्यंग्य बिलकुल सही है क्योंकी , यहाँ पर टोपी मान , मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है और जूते का आशय ताकत एवं शक्ति प्रदर्शन से है। आजकल लोग इज्जत से ज्यादा ताकत को महत्वपूर्ण मानते हैं। भले ही वे सिर्फ अपना काम निकालने के लिए ऐसा करते हो , आज लोग अपने शक्ति सामर्थ्य के बल पर अनेक टोपियाँ सम्मानित गुणी व्यक्तियों को अपने जूते पर झुकने को विवश कर देते हैं।

(ख) व्यंग्यइस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने ऐसे लोगों पर व्यंग्य किया है , जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने पर भी लोगों के सामने अपनी आर्थिक स्थिति अच्छे होने का दिखावा करते हैं। परंतु प्रेमचंद ऐसा नहीं करते। वे जैसे हैं , वैसे ही लोगों के सामने दिखाई देते हैं और अपने आप को वैसा ही प्रस्तुत करते हैं। इसलिए उनके लिए पर्दा अर्थात दिखावे का कोई महत्त्व नहीं है। जबकि लेखक कहते हैं कि वे स्वयं भी और उनके जैसे लोग भी दिखावे को अधिक महत्त्व देते हैं।

(ग) व्यंग्ययहाँ लेखक प्रेमचंद की पैर की अंगुली को देख कर कहते हैं कि आपकी जो अंगुली है , वह ऐसे लोगों की तरफ इशारा कर रही है जो घृणा के योग्य हैं और घृणा के योग्य वे हैं जो परिस्थितियों से समझौता कर लेते हैं। उनका सामना नहीं करते। समाज में फैली हुई बुराइयों का विरोध नहीं करते। जबकि लेखक ने न केवल समाज में फैली हुई बुराइयों का विरोध किया है बल्कि इस विरोध में अपने पैर का जूता भी फाड़ लिया है अर्थात आर्थिक तंगी को सहन किया है।

Question: 4 पाठ में एक जगह पर लेखक सोचता है, कि ‘फोटो खिंचाने की अगर यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी?’ लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि ‘नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी।’ आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की क्या वजहें हो सकती हैं?

Answer :

लेखक देखते हैं कि प्रेमचंद ने फोटो में सामान्य कपड़े पहने हुए हैं, तो उन्हें इस बात पर गुस्सा आता है कि उन्होंने ऐसे सामान्य कपड़ों में फोटो क्यों खिंचवाई? अगर उनके पास कपड़े नहीं थे तो किसी से माँग कर भी फोटो खिंचवा सकते थे। परंतु अगले ही पल लेखक के मन में विचार आता है कि प्रेमचंद जी का जीवन दिखावे से दूर है वे वास्तविकता को निडरता से स्वीकार करते हैं। इस तस्वीर में भी उन्होंने अपनी आर्थिक कमजोरी को बहादुरी से स्वीकार कर लिया है। यह विचार मन में आते ही लेखक के मन में प्रेमचंद जी के प्रति जो गुस्सा होता है, वह समाप्त हो जाता है और उनके प्रति आदर का भाव मन में उत्पन्न हो जाता है।

Question: 5 आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन-सी बातें आकर्षित करती हैं?

Answer :

लेखक व्यंग्य की कला में निपुण हैं। एक बार किसी विद्वान ने कहा कि कुत्तों को अगर एक बार रोटी डाल दो , तो जीवन भर उसकी वफादारी करते हैं। उसके जवाब में परसाई जी ने कहा कि इंसानों और कुत्तों में यही फर्क होता है। इससे स्पष्ट होता है कि वे बड़ी से बड़ी बात को बहुत ही आसानी से कह देते हैं। इस निबंध में भी उन्होंने प्रेमचंद जी की एक तस्वीर के माध्यम से न केवल प्रेमचंद की सादगी का वर्णन किया , बल्कि समाज के दोगलेपन पर भी प्रहार किया है। इससे स्पष्ट होता है कि परसाई जी बहुत ही आसान एवं सरल भाषा में बहुत गहरी बात कह जाते हैं।

Question: 6 पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन संदर्भों को इंगित करने के लिए किया गया होगा?

Answer :

पाठ में ‘टीला’शब्द जीवन में आने वाली बाधाओं का प्रतीक है। जैसे नदी के रास्ते में अगर कोई टीला आ जाए , तो नदी की दिशा ही बदल जाती है , उसी प्रकार जीवन में अगर बाधाएँ आ जाएँ तो जीवन के प्रवाह में रुकावट उत्पन्न हो जाती है। यहाँ ‘टीला’ शब्द का प्रयोग समाज में उपस्थित भ्रष्टाचार , अन्याय , शोषण , जातिवाद और छुआछूत आदि बुराइयों के लिए भी किया गया है। ये बुराइयाँ समाज के विकास में बाधा उत्पन्न करती हैं। इन बाधाओं को हटा कर ही समाज का विकास किया जा सकता है।

रचना और अभिव्यक्ति

Question: 7 प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए।

Answer :

राजनीति जब से धन कमाने का जरिया बनी है तब से हर गली मुहल्ले में नेता पैदा हो रहे हैं। कुछ ऐसा ही हमारे पड़ोस में भी है। मेरे घर से चार घर छोड़ते ही पाँचवाँ घर नेताजी का है। लोग बताते तो हैं कि वे दसवीं फेल है पर इच्छाएँ बड़ी लंबी इन्हें पूरा करने के लिए उन्होंने सफेद कुर्ता पजामा सिलवाया और एक जैकेट लिया। वे पिछले चुनाव में खड़े हुए और भाग्य ने जोर मारा , वे जीत भी गए। विधायक बनते ही जोड़-तोड़कर मंत्री बने। अब वे अपने कुर्ता पजामा का सही उपयोग कर विरोधियों को ठिकाने लगवाया। उन पर हत्या, लूटपाट और अवैध वसूली के मुकदमे दर्ज हुए , पर उन पर कोई असर नहीं पड़ा। वे सर्वत्र अपने सफेद पहनावे के कारण दागों पर सफेदी का चादर डाले घूमते-फिरते हैं। लोग जानते हैं कि इस सफेद कपड़े से उन्होंने कितने दाग छिपा रखे हैं।

Question: 8 आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?

Answer :

पहले वेश-भूषा का प्रयोग शरीर ढकने के उद्देश्य से किया जाता था। परिवर्तन समाज का नियम है। इसलिए समय के बदलते रूप ने वेश-भूषा की परिभाषा को बदल दिया है। आज की स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग फैशन के लिए इसका प्रयोग कर रहे हैं और समय के परिवर्तन के साथ अगर कोई स्वयं को न बदले तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा नहीं बनती। स्वयं को समाज में प्रतिष्ठित करने के लिए लोग अपनी आर्थिक क्षमता से बाहर जाकर वेश-भूषा का चुनाव करते हैं। आज वेश-भूषा केवल व्यक्ति की जरूरत न होकर उसके व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग बन चुका है।

आज की दुनिया दिखावे के प्रति जयादा जागरूक है। अगर समाज में अपनी शान बनाए रखनी है तो महँगे से महँगे कपड़े पहनना आवश्यक हो गया है। यहाँ तक की व्यक्ति का मान-सम्मान और चरित्र भी वेश भूषा पर अवलम्बित हो गया हैं। आज सादा जीवन जीने वालों को पिछड़ा समझा जाने लगा है।

भाषा-अध्ययन

पृष्ठ-संख्या

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Question: 9 पाठ में आए मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

Answer :

निम्लिखित मुहावरे और उसके वाक्य :

1. अँगुली का इशारा – कुछ बताने की कोशिश
वाक्य – तुम राम को अँगुली का इशारा क्यों कर रहे थे।

2. व्यंग्य-मुसकान – मज़ाक उड़ाना
वाक्य – राहुल की बात पर सोहन उसे व्यंग्य भरी मुसकान से देख रहा था।

3. बाजू से निकलना – कठिनाईयों का सामना न करना
वाक्य – इस कठिन परिस्थिति में तुमने मेरा साथ छोड़कर बाजू से निकलना सही समझा।

4. रास्ते पर खड़ा होना – बाधा पड़ना
वाक्य – मोहन ने सोहन से कहा कि तुम मेरे सफलता के रास्ते पर खड़े हो।

5. हौसला पस्त करना – उत्साह नष्ट करना
वाक्य – जब बहुत मेहनत करने के बाद भी अनुकूलन परिणाम नहीं मिलता तो हौसला पस्त होना स्वाभाविक ही है।

6. ठोकर मारना – जख्मी करना
वाक्य – बुजुर्गों का कहना है कि जो लक्ष्मी को ठोकर मारता है , लक्ष्मी उसको ठोकर मारना शुरू कर देती है।

7. टीला खड़ा होना – बाधाएं आना
वाक्य – जीवन जीना सरल नहीं है। यहाँ पग-पग पर टीले खड़े हैं।

8. चक्कर लगानामारे-मारे फिरना
वाक्यआज-कल के लड़के करियर ढूंढने के बजाय लड़कियों के पीछे चक्कर लगाते हैं।

9. जंजीर होना – बंधन होना
वाक्य – हमें स्वतंत्र होने के लिए सारे जंजीरों को तोड़ना पड़ता है।

10. पहाड़ फोड़ना – बाधाएँ नष्ट करना
वाक्य – राम ने परीक्षा में प्रथम आने के लिए सारे पहाड़ फोड़ दिए।

Question: 10 प्रेमचंद के व्यक्तित्व को उभारने के लिए लेखक ने जिन विशेषणों का उपयोग किया है उनकी सूची बनाइए।

Answer :

लेखक ने प्रेमचंद की विशेषताओं को प्रस्तुत करने के लिए कुछ शब्दों का प्रयोग किया है। वे इस प्रकार हैं :–

  • जनता के लेखक
  • साहित्यिक पुरखे
  • महान कथाकार
  • युग प्रवर्तक
  • उपन्यास-सम्राट

Question: 11 महात्मा गांधी भी अपनी वेशभूषा के प्रति एक अलग सोच रखते थे , इसके पीछे क्या कारण रहे होंगे , पता लगाइए।

Answer :

जीवन में वेशभूषा का बहुत महत्त्व होता है। प्रेमचंद की भांति महात्मा गाँधी जी सीधी सादी-प्रवृत्ति के होने के कारण साधारण वेश-भूषा की पहनते थे। महात्मा गाँधी जीवन में सादगी को बहुत महत्त्व देते थे। वे इसलिए भी सादे और कम कपड़े पहना करते थे क्योंकि भारत के बहुत से गरीब लोगों के पास तन ढकने के लिए वस्त्र नहीं थे। वे कहा करते थे-इस देश में कुछ लोगों के पास एक भी वस्त्र नहीं है। तब कीमती और अधिक वस्त्र रखना उनके साथ अन्याय करना है। महात्मा गाँधी जी के अनुसार वस्त्र मात्र तन ढकने के लिए होने चाहिए। वस्त्रों की सादगी से व्यक्तित्व में भी सादगी आती है। खादी की वेशभूषा से उन्हें प्यार था।

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