NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6 मेरे बचपन के दिन प्रश्न और उत्तर

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 6 Mere Bachpan ke din Questions and Answers

प्रश्न1. ‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।’ इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि:
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?

उत्तर. (क) प्रस्तावना: कथन में यह स्पष्ट किया गया है कि वक्ता को विशेष परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ा, जो अन्य लड़कियों को सहन करना पड़ा। यह बात उस समय की सामाजिक स्थिति को दर्शाती है जब लड़कियों की स्थिति बहुत कठिन थी।

उस समय लड़कियों की दशा:

  1. शिक्षा का अभाव:
    • उस समय अधिकांश लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता था। उन्हें घर के कामों में ही व्यस्त रखा जाता था और पढ़ाई का अवसर नहीं मिलता था।
  2. सामाजिक भेदभाव:
    • लड़कियों को पुरुषों की तुलना में कमतर समझा जाता था। उनके लिए स्वतंत्रता और समानता की कोई जगह नहीं थी।
  3. शादी और परिवार की जिम्मेदारियाँ:
    • लड़कियों की शादी अक्सर कम उम्र में कर दी जाती थी, जिससे उन्हें अपने सपनों और आकांक्षाओं को छोड़ना पड़ता था।
  4. स्वास्थ्य और सुरक्षा:
    • लड़कियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर समाज में कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था। उन्हें अक्सर घरेलू हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ता था।
  5. आर्थिक निर्भरता:
    • लड़कियाँ आर्थिक रूप से अपने परिवारों पर निर्भर होती थीं। उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने का अवसर नहीं मिलता था।

निष्कर्ष:

वक्ता का कथन यह दर्शाता है कि वह एक विशेष परिस्थिति में पैदा हुई, जहाँ उसे अन्य लड़कियों की तरह कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ा। यह उस समय की सामाजिक संरचना और लड़कियों की दशा को उजागर करता है, जो कि अत्यंत चुनौतीपूर्ण और असमान थी।

इस प्रकार, यह कथन न केवल व्यक्तिगत अनुभव को दर्शाता है, बल्कि समाज में व्याप्त लैंगिक भेदभाव और लड़कियों की कठिनाइयों की ओर भी संकेत करता है।

(ख) प्रस्तावना: समाज में लड़कियों के जन्म के संबंध में परिस्थितियाँ समय के साथ काफी बदल चुकी हैं। पहले जहाँ लड़कियों को जन्म के समय ही भेदभाव का सामना करना पड़ता था, वहीं आज की स्थिति में कुछ सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं, हालांकि चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।

आज की परिस्थितियाँ:

  1. शिक्षा का अधिकार:
    • आज लड़कियों को शिक्षा का अधिकार प्राप्त है। सरकार ने कई योजनाएँ लागू की हैं, जैसे कि ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’, जिससे लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  2. स्वास्थ्य सेवाएँ:
    • लड़कियों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है। मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है, जिससे लड़कियों की जन्म के समय और बाद में स्वास्थ्य देखभाल बेहतर हुई है।
  3. सामाजिक जागरूकता:
    • समाज में लड़कियों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ी है। लोग अब लड़कियों के जन्म को एक आशीर्वाद मानते हैं और उनके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं।
  4. आर्थिक स्वतंत्रता:
    • लड़कियों को अब नौकरी और व्यवसाय में भागीदारी का अवसर मिल रहा है। इससे वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही हैं और अपने अधिकारों के लिए खड़ी हो रही हैं।
  5. लैंगिक भेदभाव में कमी:
    • पिछले कुछ दशकों में लैंगिक भेदभाव में कमी आई है। लड़कियों को अब परिवार में समानता का अनुभव होता है, और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने का अवसर मिलता है।
  6. चुनौतियाँ:
    • फिर भी, कुछ क्षेत्रों में लड़कियों के जन्म को लेकर अभी भी भेदभाव और चुनौतियाँ मौजूद हैं। जैसे कि कन्या भ्रूण हत्या, शिक्षा में असमानता, और सुरक्षा संबंधी मुद्दे।

निष्कर्ष:

आज लड़कियों के जन्म के संबंध में परिस्थितियाँ पहले की तुलना में बेहतर हुई हैं, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। समाज में लड़कियों के प्रति सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं, जिससे उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है। यह आवश्यक है कि हम इस दिशा में और प्रयास करें ताकि लड़कियों को समानता और अवसर मिल सके।

प्रश्न2. लेखिका उर्दू-फारसी क्यों नहीं सीख पाई?

उत्तर: प्रस्तावना: लेखिका के अनुभवों के आलोक में यह स्पष्ट होता है कि उनकी शिक्षा और ज्ञान के अवसरों में कई बाधाएँ थीं। उर्दू-फारसी सीखने में असमर्थता के पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं।

कारण:

  1. परिवार की प्राथमिकताएँ:
    • लेखिका का परिवार शायद पारंपरिक विचारधारा का पालन करता था, जहाँ लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती थी। इस कारण, उन्हें उर्दू-फारसी जैसी भाषाएँ सीखने का अवसर नहीं मिला।
  2. सामाजिक मानदंड:
    • उस समय के समाज में लड़कियों को शिक्षा के लिए सीमित अवसर दिए जाते थे। लड़कियों को घर के कामों में व्यस्त रखा जाता था, जिससे वे शैक्षणिक गतिविधियों में भाग नहीं ले पाती थीं।
  3. शिक्षा की उपलब्धता:
    • उस समय उर्दू-फारसी की शिक्षा की व्यवस्था भी सीमित थी। यदि स्कूलों या शिक्षण संस्थानों में लड़कियों के लिए विशेष व्यवस्था नहीं थी, तो लेखिका को यह भाषाएँ सीखने का अवसर नहीं मिल पाया।
  4. लैंगिक भेदभाव:
    • लड़कियों के प्रति समाज में व्याप्त लैंगिक भेदभाव ने भी उनकी शिक्षा को प्रभावित किया। उन्हें अक्सर पुरुषों की तुलना में कमतर समझा जाता था, जिससे उनकी शिक्षा को नजरअंदाज किया जाता था।
  5. स्वतंत्रता का अभाव:
    • लेखिका को अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की स्वतंत्रता नहीं थी। इस कारण, वे उर्दू-फारसी जैसी भाषाएँ सीखने के लिए प्रेरित नहीं हो पाईं।

निष्कर्ष:

लेखिका की उर्दू-फारसी न सीख पाने की स्थिति उनके व्यक्तिगत और सामाजिक परिवेश का परिणाम है। यह दर्शाता है कि शिक्षा के अवसरों में असमानता और लैंगिक भेदभाव ने उनके विकास को प्रभावित किया। इस प्रकार, यह अनुभव न केवल लेखिका के लिए, बल्कि उस समय की अन्य लड़कियों के लिए भी एक सामान्य स्थिति थी।

प्रश्न3. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?

उत्तर: प्रस्तावना: लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व को एक प्रेरणादायक और मजबूत व्यक्तित्व के रूप में चित्रित किया है। उनकी माँ की विशेषताएँ लेखिका के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और उनके व्यक्तित्व का गहरा प्रभाव डालती हैं।

माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ:

  1. साहस और दृढ़ता:
    • लेखिका की माँ एक साहसी महिला थीं, जिन्होंने कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने परिवार का समर्थन किया। उनका दृढ़ता से आगे बढ़ने का जज़्बा प्रेरणादायक था।
  2. संवेदनशीलता:
    • माँ की संवेदनशीलता ने परिवार के सदस्यों के प्रति उनकी देखभाल और प्रेम को दर्शाया। वे हमेशा अपने बच्चों की भावनाओं को समझती थीं और उनकी जरूरतों का ध्यान रखती थीं।
  3. शिक्षा के प्रति समर्पण:
    • लेखिका की माँ ने शिक्षा को बहुत महत्व दिया। उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और उन्हें ज्ञान की ओर अग्रसर करने का प्रयास किया।
  4. संस्कार और नैतिकता:
    • माँ ने अपने बच्चों को अच्छे संस्कार और नैतिक मूल्यों का पालन करने की शिक्षा दी। उन्होंने उन्हें सही और गलत के बीच का अंतर समझाया।
  5. सामाजिक जागरूकता:
    • लेखिका की माँ ने समाज में व्याप्त भेदभाव और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने अपने बच्चों को सिखाया कि वे समाज में बदलाव लाने के लिए सक्रिय रहें।
  6. सहिष्णुता और प्रेम:
    • माँ का व्यक्तित्व सहिष्णुता और प्रेम से भरा हुआ था। उन्होंने अपने परिवार में एक सकारात्मक वातावरण बनाया, जहाँ सभी सदस्य एक-दूसरे का सम्मान करते थे।

निष्कर्ष:

लेखिका की माँ का व्यक्तित्व साहस, संवेदनशीलता, और शिक्षा के प्रति समर्पण से भरा हुआ था। उनकी विशेषताएँ न केवल लेखिका के जीवन को प्रभावित करती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि एक माँ का व्यक्तित्व अपने बच्चों के विकास में कितना महत्वपूर्ण होता है। माँ की ये विशेषताएँ लेखिका के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं और उनके जीवन के मूल्यों को आकार देने में सहायता की।

प्रश्न4. जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है?

उत्तर: प्रस्तावना: लेखिका ने जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को आज के संदर्भ में “स्वप्न” जैसा कहा है, जो उनके अनुभवों और समाज में हो रहे परिवर्तनों को दर्शाता है। यह तुलना उनके अतीत और वर्तमान के बीच के अंतर को स्पष्ट करती है।

कारण:

  1. भव्यता और ऐश्वर्य:
    • जवारा के नवाब के साथ संबंधों में एक भव्यता और ऐश्वर्य का अनुभव होता था। यह एक ऐसा समय था जब परिवारों में रुतबा और प्रतिष्ठा का महत्व था, जो आज के समय में कम होता जा रहा है।
  2. संस्कृति और परंपरा:
    • उस समय की संस्कृति और परंपराएँ आज के संदर्भ में स्वप्निल प्रतीत होती हैं। पारिवारिक संबंधों में जो गहराई और सम्मान था, वह आज के तेजी से बदलते समाज में कहीं खो गया है।
  3. सामाजिक स्थिति:
    • जवारा के नवाब के साथ संबंधों का एक विशेष सामाजिक महत्व था। आज की दुनिया में, सामाजिक स्थिति के मानदंड बदल गए हैं, जिससे वह भव्यता और सम्मान अब स्वप्न जैसा लगता है।
  4. परिवर्तनशीलता:
    • समय के साथ, समाज में कई बदलाव आए हैं। पारिवारिक संबंधों की प्रकृति और उनके महत्व में भी बदलाव आया है। लेखिका का यह कथन इस बदलाव को दर्शाता है कि कैसे अतीत की बातें आज केवल यादों में रह गई हैं।
  5. भावनात्मक जुड़ाव:
    • जवारा के नवाब के साथ संबंधों में एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव था, जो आज के संबंधों में अक्सर कम होता जा रहा है। यह भावनात्मक गहराई आज के संदर्भ में एक स्वप्न की तरह प्रतीत होती है।

निष्कर्ष:

लेखिका ने जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को आज के संदर्भ में “स्वप्न” जैसा कहा है क्योंकि यह उनके अतीत की भव्यता, संस्कृति, और सामाजिक स्थिति को दर्शाता है, जो वर्तमान में बदल चुकी है। यह बयान न केवल व्यक्तिगत अनुभव को दर्शाता है, बल्कि समाज में हो रहे व्यापक परिवर्तनों की भी ओर इशारा करता है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न5. सेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। जंबुनिया के स्थान पर यदि आप होती होते तो महादेवी से आपको क्या अपेक्षा होती?

उत्तर: प्रस्तावना: महादेवी वर्मा भारतीय साहित्य की एक प्रमुख हस्ती हैं, जिनका योगदान न केवल साहित्य में, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण रहा है। यदि मैं जंबुनिया के स्थान पर होती, तो महादेवी वर्मा से कुछ विशेष अपेक्षाएँ रखतीं।

अपेक्षाएँ:

  1. शिक्षा और ज्ञान का प्रचार:
    • महादेवी वर्मा से अपेक्षा होती कि वे शिक्षा के महत्व को और अधिक बढ़ावा दें। विशेषकर लड़कियों की शिक्षा के लिए वे विशेष कार्यक्रम और पहल करें, ताकि समाज में समानता और जागरूकता बढ़ सके।
  2. साहित्यिक प्रेरणा:
    • मैं चाहती कि महादेवी वर्मा अपनी लेखनी के माध्यम से नई पीढ़ी को प्रेरित करें। उनकी कविताएँ और कहानियाँ युवाओं को सोचने और अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करें।
  3. महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष:
    • महादेवी वर्मा से अपेक्षा होती कि वे महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए और अधिक संघर्ष करें। वे महिलाओं की आवाज उठाने के लिए मंच प्रदान करें और उन्हें सशक्त बनाने के लिए कार्य करें।
  4. संस्कृति और परंपरा का संरक्षण:
    • महादेवी वर्मा से यह अपेक्षा होती कि वे भारतीय संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण के लिए प्रयासरत रहें। वे युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने के लिए कार्यक्रम आयोजित करें।
  5. सामाजिक मुद्दों पर ध्यान:
    • मैं चाहती कि महादेवी वर्मा सामाजिक मुद्दों, जैसे कि जातिवाद, लैंगिक भेदभाव, और गरीबी के खिलाफ अपनी आवाज उठाएँ। वे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएँ।
  6. सृजनात्मकता को प्रोत्साहन:
    • महादेवी वर्मा से अपेक्षा होती कि वे सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यशालाएँ और साहित्यिक सम्मेलन आयोजित करें, जहाँ युवा लेखक और कवि अपने विचारों को साझा कर सकें।

निष्कर्ष:

यदि मैं जंबुनिया के स्थान पर होती, तो महादेवी वर्मा से अपेक्षाएँ न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए होतीं, बल्कि समाज के समग्र उत्थान के लिए भी होतीं। उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन से न केवल मैं, बल्कि अन्य युवा भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते। महादेवी वर्मा का योगदान समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण हो सकता है।

प्रश्न6. महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/करेंगी?

उत्तर: प्रस्तावना: काव्य प्रतियोगिता में पुरस्कार प्राप्त करना एक सम्मान की बात है, जो न केवल मेरी मेहनत और प्रतिभा का प्रमाण है, बल्कि समाज और देश के प्रति मेरी जिम्मेदारी को भी दर्शाता है। यदि मुझे ऐसा पुरस्कार मिलता और मुझे इसे देशहित या किसी आपदा निवारण के कार्य में देना पड़ता, तो मेरा अनुभव कई भावनाओं से भरा होता।

अनुभव:

  1. गर्व और संतोष:
    • पुरस्कार प्राप्त करने पर मुझे गर्व महसूस होता, क्योंकि यह मेरी रचनात्मकता और मेहनत का फल है। जब मैं इसे किसी महत्वपूर्ण कार्य में लगाती, तो मुझे संतोष मिलता कि मैंने अपने पुरस्कार का सही उपयोग किया है।
  2. जिम्मेदारी का एहसास:
    • पुरस्कार को देशहित या आपदा निवारण के कार्य में देने से मुझे अपनी जिम्मेदारी का एहसास होता। यह समझ आता कि मेरी रचनाएँ और प्रयास केवल व्यक्तिगत सफलता तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समाज और देश के उत्थान में भी योगदान दे सकते हैं।
  3. सकारात्मक बदलाव का हिस्सा बनना:
    • जब मैं अपने पुरस्कार को किसी सामाजिक या आपदा निवारण कार्य में लगाती, तो मुझे यह अनुभव होता कि मैं सकारात्मक बदलाव का हिस्सा बन रही हूँ। यह अनुभव मुझे प्रेरित करता कि मैं आगे भी समाज के लिए कुछ करूँ।
  4. सामाजिक जुड़ाव:
    • इस प्रकार के कार्य में भाग लेने से मेरा समाज के प्रति जुड़ाव और गहरा होता। मैं यह महसूस करती कि मेरी रचनाएँ और विचार समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं और उनका सही दिशा में उपयोग किया जा सकता है।
  5. प्रेरणा का स्रोत:
    • जब मैं अपने पुरस्कार को किसी नेक कार्य में लगाती, तो यह दूसरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनता। इससे अन्य लोग भी प्रेरित हो सकते हैं कि वे अपने पुरस्कारों और सफलताओं का उपयोग समाज के उत्थान के लिए करें।

निष्कर्ष:

यदि मुझे काव्य प्रतियोगिता में पुरस्कार मिलता और मुझे इसे देशहित या आपदा निवारण के कार्य में देना पड़ता, तो मेरा अनुभव गर्व, संतोष और जिम्मेदारी से भरा होता। यह न केवल मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि को महत्व देता, बल्कि समाज और देश के प्रति मेरी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता। ऐसे अनुभव से मुझे यह प्रेरणा मिलती कि मैं हमेशा समाज के उत्थान के लिए कार्यरत रहूँ।

प्रश्न7. लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।

उत्तर: छात्र स्वयं करें।

प्रश्न8. महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस पटल पर भी अपने बचपन की कोई स्मृति उभरकर आई होगी, उसे सस्मरण शैली में लिखिए।

उत्तर: प्रस्तावना: महादेवी वर्मा के संस्मरणों में बचपन की मासूमियत और सरलता का जो चित्रण है, वह मुझे अपने बचपन की यादों में ले जाता है। मेरे बचपन की एक विशेष स्मृति है, जो आज भी मेरे मन में ताजा है।

स्मृति: गर्मी की छुट्टियाँ थीं। घर के आँगन में एक बड़ा नीम का पेड़ था, जिसकी छांव में हम बच्चे खेला करते थे। उस दिन, मैं और मेरे दोस्त एकत्रित होकर नीम के पेड़ के नीचे बैठकर अपने-अपने सपनों की बातें कर रहे थे।

हमने एक खेल शुरू किया, जिसमें हमें अपने सपनों के बारे में बताना था। मैंने कहा, “मैं बड़ी होकर एक लेखिका बनूँगी।” मेरे दोस्तों ने मेरी बात सुनकर हंसते हुए कहा, “तुम तो हमेशा किताबों में खोई रहती हो!” लेकिन मैंने अपने सपने को सच्चाई में बदलने की ठान ली।

उस दिन, हमने पेड़ के नीचे बैठकर कई कहानियाँ बनाई। हम कल्पना करते थे कि हम एक साहसी नायक हैं, जो दुनिया को बचाने निकले हैं। हमारी कहानियों में रोमांच, दोस्ती और साहस था।

भावनाएँ: इस खेल के दौरान मुझे एक अद्भुत खुशी का अनुभव हुआ। नीम की ठंडी छांव में बैठकर, मैंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर जो कहानियाँ बनाई, वे मेरे दिल के करीब थीं। यह एक ऐसा समय था जब जीवन सरल था और खुशियों की कोई कमी नहीं थी।

निष्कर्ष: महादेवी जी के संस्मरणों ने मुझे मेरे बचपन की उस खास याद में ले जाकर एक नई ऊर्जा दी। उस समय की मासूमियत और सपनों की उड़ान ने मुझे यह सिखाया कि बचपन की यादें हमेशा हमारे साथ रहती हैं और हमें प्रेरित करती हैं। आज भी जब मैं अपने लेखन में खो जाती हूँ, तो वह नीम का पेड़ और मेरे दोस्तों के साथ बिताया समय मुझे याद आता है।

प्रश्न9. महादेवी ने कवि सम्मेलनों में कविता पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।

उत्तर:

10 नवंबर, 20__

आज हमारे स्कूल में हिंदी पखवाड़ा मनाया जा रहा है। जिसमें मुझे पर्यावरण पर कुछ पंक्तियां बोलनी है। वैसे तो मैंने पहले भी मंच पर बोला है। लेकिन आज ना जाने क्यों मुझे थोड़ी घबराहट हो रही है।

मैं बार बार उन पंक्तियों को याद करने की कोशिश कर रही हूं और कुछ पंक्तियां तो मैंने अपने हाथ में भी लिख ली है ताकि मंच पर आकर भूलने लग जाऊं तो उन्हें पढ़ सकूं।
मुझे लगता है अब मेरी बारी आने वाली है इसलिए अपने आप को best of luck बोल कर मंच में जाने की तैयारी कर लेता हूं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 10. पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए-

विद्वान, अनंत, निरपराधी, दंड, शांति।

उत्तर: 

विद्वान – मूर्ख

अनंत – अंत

निरपराधी – अपराधी

दंड – पुरस्कार

शांति – विवाद

प्रश्न 11. निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग/प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए-

निराहारी – निर् + आहार + ई।

सांप्रदायिकता

अप्रसन्नता

अपनापन

किनारीदार

स्वतंत्रता

उत्तर: 

मूल शब्दउपसर्गप्रत्यय
निराहारीआहारनिर्
सांप्रदायिकतासंप्रदायएक, ता
अप्रसन्नताप्रसन्नअ ता 
अपनापनअपनापन
किनारीदारकिनारीदार
स्वतंत्रतातंत्रस्वता

प्रश्न 12. निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए-

उपसर्ग – अन्, अ, सत्, स्व, दुर्

प्रत्यय – दार, हार, वाला, अनीय

उत्तर: उपसर्ग –

(1) अन् – अन्वेषण, अनपढ़

(2) – असत्य, अन्याय

(3) सत् – सत्चरित्र, ,सत्कर्म

(4) स्व – स्वराज, स्वाधीन

(5) दुर् – दुर्जन, दुर्व्यवहार

प्रत्यय −

(1) दार – पहरेदार, दुकानदार

(2) हार – पालनहार, व्यवहार

(3) वाला – सब्जीवाला, मिठाईवाला

(4) अनीय – दर्शनीय, आदरनीय

प्रश्न 13. पाठ में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए –                                                                                     

पूजा-पाठपूजा और पाठ

उत्तर:

पूजा-पाठपूजा और पाठ
दुर्गा-पूजादुर्गा की पूजा
छात्रावासछात्रों का आवास
कुल-देवीकुल की देवी
जेब-खर्चजेब के लिए खर्च

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Class Of Achievers Assistant