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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 2 Lhasa ki aur Questions and Answers
इस पाठ के लेखक का नाम राहुल सांकृत्यायन है। उनका जन्म सन 1893 में हुआ था। उनका ननिहाल गांव पंदहा ,जिला आजमगढ़ में था। उनका सन् 1963 में देहांत हो गया ।
प्रश्न 1. थोड्ला के पहले के आखिरी गांव पहुंचने पर भीख मांगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका । क्यों ?
उ0. लेखक की पहली यात्रा के दौरान, जब वह थोड्ला के पहले के आखिरी गांव पहुंचा, तब वह भीख मांगने के वेश में था। इस स्थिति में, उसके साथ बौद्ध भिक्षु सुमित भी थे, जो उस क्षेत्र में प्रसिद्ध थे। सुमित की पहचान और सम्मान के कारण गांव के लोग लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान देने के लिए तैयार थे।
हालांकि, दूसरी यात्रा के दौरान, लेखक भद्र वेश में था, लेकिन उसे ठहरने के लिए उचित स्थान नहीं मिला। इसका मुख्य कारण यह हो सकता है कि समय के साथ लोगों की मानसिकता में बदलाव आया था। दूसरी यात्रा के समय, गांव के लोग शाम होते ही शराब पीकर नशे में धुत हो जाते थे, जिससे लेखक को ठहरने में कठिनाई हुई। इसके अलावा, सुमित उस समय उसके साथ नहीं था, जिससे लेखक की पहचान और सहायता का अभाव था।
इस प्रकार, पहली और दूसरी यात्रा के अनुभवों में अंतर मुख्यतः सामाजिक परिवर्तनों और व्यक्तिगत संबंधों पर निर्भर करता है।
प्रश्न 2. उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून ना रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था।
उ0. तिब्बत में हथियारों के कानून की अनुपस्थिति के कारण यात्रियों को कई प्रकार के भय का सामना करना पड़ता था। जब कोई क्षेत्र हथियारों के उपयोग को नियंत्रित नहीं करता, तो यात्रियों को सुरक्षा की कमी का अनुभव होता है।
- लूटपाट का डर: बिना किसी कानून के, लुटेरों और अपराधियों के लिए यात्रियों को निशाना बनाना आसान हो जाता है। इससे यात्रियों में हमेशा यह भय बना रहता है कि वे किसी भी समय लूट का शिकार हो सकते हैं।
- सामाजिक असुरक्षा: जब हथियारों का कानून नहीं होता, तो स्थानीय लोग भी असुरक्षित महसूस करते हैं। इससे सामाजिक तनाव बढ़ता है और यात्रियों को स्थानीय लोगों से भी डर लग सकता है।
- सुरक्षा बलों की अनुपस्थिति: यदि हथियारों का कानून नहीं है, तो सुरक्षा बलों की प्रभावशीलता भी कम हो जाती है। यात्रियों को यह चिंता होती है कि यदि उन्हें किसी समस्या का सामना करना पड़े, तो मदद के लिए कोई नहीं होगा।
- यात्रा की योजना में बाधा: इस प्रकार के भय यात्रियों की यात्रा की योजना को प्रभावित कर सकते हैं। वे ऐसे स्थानों से बचने की कोशिश कर सकते हैं जहाँ उन्हें असुरक्षा का अनुभव होता है, जिससे उनके यात्रा अनुभव में कमी आ सकती है।
इस प्रकार, तिब्बत में हथियारों के कानून की अनुपस्थिति ने यात्रियों के लिए एक असुरक्षित वातावरण बनाया, जिससे उनके यात्रा अनुभव पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
प्रश्न 3. लेखक लडकोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?
या
यात्रा के दौरान लेखक अपने साथियों से किस वजह से पिछड़ गया था?
उ0. (क) वे रास्ता भटक गए थे और एक-डेढ़ km गलत रास्ते पर चले गए थे और आने में देर हो गई थी।
(ख) लेखक का घोड़ा बहुत थक गया था। इसलिए वह अपने साथियों से पीछे रह गए और मार्ग भटक गए।
प्रश्न 4. लेखक ने शेखर बिहार में सुमित को उनयजमानो के पास जाने से रोका परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
उ0. लेखक ने शेखर बिहार में सुमित को उन यजमानों के पास जाने से इसलिए रोका क्योंकि वह चाहते थे कि सुमित अकेले रहकर मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित पोडियो का अध्ययन कर सके। दूसरी यात्रा के दौरान, लेखक ने सुमित को रोकने का प्रयास नहीं किया क्योंकि उस समय लेखक का ध्यान अपने अध्ययन पर था और वह नहीं चाहते थे कि सुमित की यात्रा में कोई विघ्न आए।
इससे यह स्पष्ट होता है कि लेखक की सोच में बदलाव आया था। पहले वह सुमित की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे थे, जबकि दूसरी बार उन्होंने सुमित की स्वतंत्रता और उसके अध्ययन की महत्वता को समझा। यह लेखक के विकास और उनके अनुभवों का भी संकेत है, जो यात्रा के दौरान उनके विचारों में बदलाव लाते हैं।
- पहली यात्रा: लेखक ने सुमित को रोककर उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की।
- दूसरी यात्रा: लेखक ने सुमित को स्वतंत्रता दी ताकि वह अपने ज्ञान को बढ़ा सके।
इस प्रकार, लेखक की सोच में यह बदलाव उनके अनुभवों और यात्रा के दौरान सीखे गए पाठों का परिणाम है।
प्रश्न 5. अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उ0. लेखक को अपनी यात्रा के दौरान इन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा :-
(1) उस समय भारतीयों को तिब्बत यात्रा की इजाजत नहीं थी इसलिए उन्हें बंदर वेश में यात्रा करनी पड़ी जगह-जगह रास्ता कठिन भी था।
(2) लेखक को पूरी यात्रा के दौरान डाकू के भय के साए में रहना पड़ा।
(3) पर्यावरणीय चुनौतियाँ: धूप में भी काफी देर पैदल चलना पड़ा। यात्रा के मार्ग में कठिन भूभाग और मौसम की प्रतिकूलताएँ भी एक बड़ी चुनौती थीं।
(4) थकान: यात्रा के दौरान लगातार चलने के कारण लेखक थक गया था, जिससे उसकी गति धीमी हो गई थी।
(5) सामग्री की कमी: यात्रा के दौरान आवश्यक सामग्री की कमी ने भी उसकी कठिनाइयों को बढ़ाया, जैसे कि भोजन और पानी की अनुपलब्धता।
प्रश्न 6. प्रस्तुत यात्रा वृतांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?
उ0. उस समय का तिब्बत कुछ इस प्रकार था :-
(क) वहां की औरतें पर्दा नहीं करती थी।
(ख) वाह छुआछूत जैसी कुप्रथा ही नहीं थी।
(ग) जागीर के लोगों में भिखारी भी राजा के समान सम्मान पाते थे।
प्रश्न 7. “मैं अब पुस्तकों के भीतर था।” नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन-सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है?
(क) लेखक पुस्तके पढ़ने में रम गया।
(ख) लेखक पुस्तकों की शेल्फ के भीतर चला गया।
(ग) लेखक के चारों और पुस्तके ही थी।
(घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उ0. (क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
रचना-अभिव्यक्ति
प्रश्न 8. सुमित के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गांव में मिले। इस आधार पर आप सुमित के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
सुमित के व्यक्तित्व की विशेषताओं का चित्रण निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से किया जा सकता है:
- मिलनसारिता: सुमित एक हंसमुख और मिलनसार व्यक्ति था। उसकी यह विशेषता उसे हर गांव में लोगों के बीच लोकप्रिय बनाती थी। लोग उसे देखकर खुश होते थे और उसकी उपस्थिति को पसंद करते थे।
- धर्म गुरु का सम्मान: सुमित को उसके यजमान और अन्य परिचित लोग धर्म गुरु के रूप में सम्मानित करते थे। यह दर्शाता है कि वह न केवल धार्मिक ज्ञान में प्रवीण था, बल्कि लोगों के दिलों में भी एक विशेष स्थान रखता था।
- सरल स्वभाव: सुमित का सरल स्वभाव उसे लोगों के करीब लाता था। उसकी विनम्रता और सहजता के कारण लोग उसे आसानी से स्वीकार करते थे और उसके साथ बातचीत करने में संकोच नहीं करते थे।
- अनुभवी यात्री: सुमित कई बार तिब्बत की यात्रा कर चुका था, जिससे वह वहां के हर गांव से भली-भांति परिचित था। उसकी यात्रा का अनुभव उसे एक विश्वसनीय मार्गदर्शक बनाता था।
- सामाजिक संबंध: सुमित के साथ यात्रा करने वाले लेखक को यह अनुभव होता है कि सुमित के सामाजिक संबंध कितने मजबूत थे। उसके परिचित लोग हर गांव में उसे पहचानते थे, जो उसकी सामाजिक स्थिति को दर्शाता है।
इन विशेषताओं के माध्यम से सुमित का व्यक्तित्व एक आदर्श मित्र और मार्गदर्शक के रूप में उभरता है, जो न केवल ज्ञान में बल्कि मानवीय संबंधों में भी समृद्ध है।
प्रश्न 9. ‘हालांकि उस वक्त मेरा वेश ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी ख्याल करना चाहिए था।’ – उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर: दिए गए कथन का अर्थ यह है कि किसी व्यक्ति का आचार-व्यवहार उसकी वेशभूषा के आधार पर आंका जाता है। यह धारणा समाज में आम है कि लोग किसी व्यक्ति को उसके कपड़ों और बाहरी रूप से आंकते हैं।
उचित या अनुचित? मेरे विचार से यह धारणा अनुचित है। किसी व्यक्ति का मूल्यांकन केवल उसके पहनावे के आधार पर करना सही नहीं है। उदाहरण के लिए, कई महान संत और महात्मा साधारण वस्त्र पहनते हैं, लेकिन उनके विचार और आचार-व्यवहार उच्चतम स्तर के होते हैं।
विचार व्यक्त करते समय ध्यान देने योग्य बातें:
- व्यक्तित्व का मूल्यांकन: हमें किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का मूल्यांकन उसके आचार, विचार और कार्यों के आधार पर करना चाहिए, न कि उसके कपड़ों के आधार पर।
- सामाजिक धारणा: समाज में यह धारणा बन गई है कि अच्छे कपड़े पहनने वाले लोग अधिक सम्मान के योग्य होते हैं। यह एक गलत धारणा है, क्योंकि कई बार साधारण कपड़े पहनने वाले लोग भी महान कार्य कर रहे होते हैं।
- व्यक्तिगत अनुभव: व्यक्तिगत अनुभवों से भी यह स्पष्ट होता है कि कई बार अच्छे कपड़े पहनने वाले लोग भी अच्छे व्यवहार के नहीं होते, जबकि साधारण कपड़े पहनने वाले लोग बहुत विनम्र और अच्छे होते हैं।
निष्कर्ष: इसलिए, हमें यह समझना चाहिए कि वेशभूषा केवल एक बाहरी आवरण है और किसी व्यक्ति की असली पहचान उसके आचार-व्यवहार और विचारों से होती है। हमें लोगों को उनके व्यक्तित्व के आधार पर आंकना चाहिए, न कि उनके कपड़ों के आधार पर।
प्रश्न 10. यात्रा-वृतांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द चित्र प्रस्तुत करें। वहां की स्थिति आपके राज्य/शहर से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर: तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द चित्र:
तिब्बत, जिसे “दुनिया की छत” भी कहा जाता है, भारत के उत्तर में स्थित है। यह एक पहाड़ी क्षेत्र है जो समुद्र तल से लगभग 17,000 फुट की ऊंचाई पर है। तिब्बत की भौगोलिक स्थिति निम्नलिखित विशेषताओं से परिभाषित होती है:
- ऊंचाई: तिब्बत का अधिकांश भाग पहाड़ी है और यह हिमालय पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है। यहां की ऊंचाई इसे एक विशेष जलवायु और पारिस्थितिकी प्रदान करती है।
- जलवायु: तिब्बत की जलवायु ठंडी और शुष्क होती है। यहां साल के अधिकांश समय बर्फ पड़ी रहती है, और गर्मियों में भी तापमान बहुत अधिक नहीं बढ़ता।
- भूगोल: तिब्बत में विस्तृत पठार, ऊंचे पर्वत, और गहरी घाटियां हैं। यहां की भौगोलिक संरचना इसे एक अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करती है।
- नदियाँ: तिब्बत से कई प्रमुख नदियाँ निकलती हैं, जैसे ब्रह्मपुत्र, सिंधु, और सतलुज, जो बाद में भारत और अन्य देशों में बहती हैं।
तिब्बत की स्थिति की तुलना आपके राज्य/शहर से:
यदि आप भारत के किसी राज्य, जैसे उत्तर प्रदेश या महाराष्ट्र की तुलना करें, तो:
- ऊंचाई: उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र समुद्र स्तर के करीब हैं, जबकि तिब्बत की ऊंचाई इसे एक अलग जलवायु और पारिस्थितिकी प्रदान करती है।
- जलवायु: उत्तर प्रदेश में गर्म और आर्द्र जलवायु होती है, जबकि तिब्बत में ठंडी और शुष्क जलवायु होती है।
- भूगोल: उत्तर प्रदेश में अधिकतर समतल भूमि है, जबकि तिब्बत में पहाड़ी और पठारी क्षेत्र हैं।
- पारिस्थितिकी: तिब्बत की पारिस्थितिकी में बर्फीले क्षेत्र और ठंडी जलवायु के कारण विशेष वनस्पति और जीव-जंतु पाए जाते हैं, जो अन्य राज्यों में नहीं मिलते।
इस प्रकार, तिब्बत की भौगोलिक स्थिति और जलवायु आपके राज्य/शहर से काफी भिन्न है, जो इसे एक अद्वितीय स्थान बनाता है।
प्रश्न 11. आपने भी किसी स्थान की यात्रा अवश्य की होगी? यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को लिखकर प्रस्तुत करें।
उत्तर: छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 12. यात्रा वृतांत गद्य साहित्य की एक विधा है। आपकी इस पाठ्यपुस्तक में कौन-कौन सी विधाएं है? प्रस्तुत विधा उनके मायने में अलग है?
उत्तर:
| पाठ | विधा |
| दो बैलों की कथा | कहानी |
| लहासा की ओर | यात्रा-वृतांत |
| उपभोक्तावाद की संस्कृति | निबंध |
| सांवले सपनों की याद | रेखाचित्र |
| नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया | रिपोर्ताज |
| प्रेमचंद के फटे जूते | व्यंग्य |
| मेरे बचपन के दिन | संस्मरण |
| एक कुत्ता और एक मैना | निबंध |
यात्रा वृतांत तथा स्मरण दोनों ही गद्य साहित्य की विधाएं हैं लेकिन एक दूसरे से भिन्न है। यात्रा वृतांत किसी एक क्षेत्र की यात्रा के लिए अपने अनुभवों पर आधारित है तथा संस्मरण जीवन के किसी व्यक्ति विशेष या किसी खास स्थान की स्मृति पर आधारित है।
प्रश्न 13. किसी भी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है, जैसे-
सुबह होने से पहले हम गाँव में थे।
पौ फटने वाली थी कि हम गाँव में थे।
तारों की छाँव रहते-रहते हम गाँव पहुँच गए।
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए- ‘जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।’
उत्तर: (1) यह बताना मुश्किल था कि घोड़ा आ गए हैं या मैं।
(2) जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे है या मैं।
(3) कभी लगता था घोड़ा आगे जा रहा है, और कभी लगता था पीछे जा रहा हैं।
प्रश्न 14. ऐसे शब्द जो किसी आंचल यानी क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से अंजलि शब्द ढूंढ कर लिखिए।
उत्तर: राहदारी, खोटी, कुची-कुची, भिटा, भरिया।
प्रश्न 15. पाठ में कागज, अक्षर, मैदान के आगे क्रमशः मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर कर आती है। पाठ में से कुछ ऐसे ही कुछ और शब्द छांटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हो।
उत्तर: मुख्य, व्यापारिक, बहुत, भद्र, गरीब, निर्जन, लाल, ठंडा।
अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर
प्रश्न१. ल्हासा किस देश में स्थित है?
उत्तर: ल्हासा तिब्बत में स्थित है।
प्रश्न२. ल्हासा किस देश की राजधानी है?
उत्तर: ल्हासा तिब्बत की राजधानी है।
प्रश्न३. ल्हासा की ओर पाठ के लेखक कौन है?
उत्तर: ल्हासा की ओर पाठ के लेखक राहुल सांकृत्यायन है।
प्रश्न४. लेखक जहां से गलत रास्ते पर चला गया था, वहां कितने रास्ते फूट रहे थे?
उत्तर: लेखक जहां से गलत रास्ते पर चला गया था। वहां दो रास्ते फूट रहे थे।
प्रश्न५. ल्हासा की ओर पाठ के लेखक ने अपना नाम परिवर्तन कब किया?
उत्तर: ल्हासा की ओर पाठ के लेखक ने अपना नाम परिवर्तन सन 1930 में किया, क्योंकि उन्होंने श्रीलंका जाकर बौद्ध धर्म अपना लिया था।

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