NCERT Solutions For Class 6 Hindi Malhar Chapter 10 परीक्षा प्रश्न और उत्तर

आइए, अब हम कहानी ‘परीक्षा’ के बारे में कुछ चर्चा कर लेते हैं।

(क) आपकी समझ से नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (☆) बनाइए –

(1) महाराज ने दीवान को ही उनका उत्तराधिकारी चुनने का कार्य उनके किस गुण के कारण सौंपा?

(a) सादगी

(b) उदारता

(c) बल

(d) नीतिकुशलता

उत्तर: नीतिकुशलता (☆)

स्पष्टीकरण

इस प्रश्न का उत्तर नीतिकुशलता है क्योंकि महाराज ने दीवान की अनुभवशीलता और नीतिकुशलता को ध्यान में रखते हुए उन्हें उत्तराधिकारी चुनने का कार्य सौंपा। यह गुण उनके दीर्घकालिक सेवा और राज-काज में उनकी दक्षता को दर्शाता है।

(2) दीवान साहब द्वारा नौकरी छोड़ने के निश्चय का क्या कारण था?

(a) परमात्मा की याद

(b) राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना

(c) बदनामी का भय

(d) चालीस वर्ष की नौकरी पूरा हो जाना 

उत्तर: राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना (☆)

दीवान साहब ने अपनी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए यह निर्णय लिया कि वे राज-काज संभालने में सक्षम नहीं हैं। उनका यह निर्णय इस बात का संकेत है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेते थे और किसी भी प्रकार की भूल-चूक से बचना चाहते थे।

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?

उत्तर: उत्तर का चयन करने के कारण:

  1. नीतिकुशलता का महत्व:
    • मैंने “नीतिकुशलता” को चुना क्योंकि महाराज ने दीवान को उनके अनुभव और नीतिकुशलता के कारण उत्तराधिकारी चुनने का कार्य सौंपा। यह गुण किसी भी नेता के लिए अत्यंत आवश्यक होता है, विशेषकर जब वह महत्वपूर्ण निर्णय लेने की स्थिति में हो।
  2. राज-काज सँभालने की क्षमता:
    • “राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना” का उत्तर मैंने इसलिए चुना क्योंकि दीवान साहब ने अपने स्वास्थ्य और उम्र के कारण यह निर्णय लिया। यह दर्शाता है कि वे अपनी सीमाओं को समझते थे और जिम्मेदारी से भाग नहीं लेते थे। यह गुण एक अच्छे नेता की पहचान है।

मित्रों के विचार:

  • क्या उनके अनुसार भी ये उत्तर सही हैं?
  • क्या उन्होंने किसी अन्य गुण को प्राथमिकता दी?
  • क्या वे दीवान साहब के निर्णय को सही मानते हैं?

निष्कर्ष:

इस चर्चा से हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि कैसे विभिन्न गुण और क्षमताएँ किसी व्यक्ति के निर्णय को प्रभावित करती हैं और कैसे हम अपने विचारों को साझा करके अधिक गहन समझ प्राप्त कर सकते हैं।

(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, जिसका नाम प्रेमचंद ने ‘परीक्षा’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी का यह नाम क्यों दिया होगा अपने उत्तर के कारण भी लिखिए।

उत्तर: कहानी ‘परीक्षा’ का नामकरण :-

विश्लेषण:

  1. कहानी की केंद्रीय थीम:
    • कहानी का मुख्य विषय यह है कि कैसे पात्रों को विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है। दीवान साहब का निर्णय, उम्मीदवारों की योग्यता और किसान की सहायता करना, सभी एक प्रकार की परीक्षा का प्रतीक हैं।
  2. मानवता और नैतिकता की परीक्षा:
    • कहानी में यह स्पष्ट होता है कि असली परीक्षा केवल नौकरी पाने की नहीं, बल्कि मानवता, दया, और साहस की भी है। जानकीनाथ की दया और साहस ने उसे इस उच्च पद पर पहुँचाया, जो यह दर्शाता है कि असली परीक्षा व्यक्ति के गुणों की होती है।
  3. समाज की परीक्षा:
    • कहानी में यह भी दिखाया गया है कि समाज के विभिन्न वर्गों के लोग कैसे अपनी पहचान बनाने के लिए प्रयासरत हैं। यह उनके लिए भी एक परीक्षा है कि वे अपनी वास्तविकता को कैसे प्रस्तुत करते हैं और अपने भीतर के गुणों को कैसे उजागर करते हैं।

निष्कर्ष:

प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम ‘परीक्षा’ इसलिए रखा क्योंकि यह न केवल नौकरी की परीक्षा है, बल्कि यह मानवता, नैतिकता और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भी परीक्षा है। कहानी में पात्रों के निर्णय और उनके गुण यह दर्शाते हैं कि असली सफलता केवल बाहरी उपलब्धियों में नहीं, बल्कि आंतरिक गुणों में निहित होती है।

  • क्या सभी ने इस नामकरण से सहमति जताई?
  • क्या किसी ने अन्य नाम सुझाए और क्यों?
  • क्या कहानी के पात्रों की परीक्षाएँ उनके जीवन पर प्रभाव डालती हैं?

इस प्रकार की चर्चा से हमें कहानी के गहरे अर्थ और प्रेमचंद की दृष्टि को समझने में मदद मिलेगी।

(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए?

उत्तर: वैकल्पिक नाम: “मानवता की परीक्षा”

नामकरण का कारण:

  1. कहानी की केंद्रीय विषयवस्तु:
    • कहानी में पात्रों की वास्तविक परीक्षा उनके नैतिक और मानवीय गुणों के माध्यम से होती है। जानकीनाथ का किसान की मदद करना और दीवान साहब का अपने उत्तराधिकारी को चुनने का निर्णय, दोनों ही मानवता की परीक्षा को दर्शाते हैं।
  2. गुणों का महत्व:
    • इस नाम से यह स्पष्ट होता है कि कहानी में केवल बाहरी सफलता का ही नहीं, बल्कि दया, साहस और उदारता जैसे गुणों का भी महत्व है। यह दर्शाता है कि असली परीक्षा व्यक्ति के आंतरिक गुणों की होती है।
  3. समाज में नैतिकता:
    • “मानवता की परीक्षा” नाम से यह भी संकेत मिलता है कि समाज में नैतिकता और दया का कितना महत्व है। पात्रों के निर्णय और उनके कार्य यह दर्शाते हैं कि कैसे एक व्यक्ति अपने समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

समूह चर्चा के बिंदु:

  • क्या अन्य सदस्यों ने इस नाम को पसंद किया?
  • क्या किसी ने अन्य वैकल्पिक नाम सुझाए और उनके तर्क क्या थे?
  • क्या इस नाम से कहानी का अर्थ और भी स्पष्ट होता है?

इस प्रकार का नामकरण न केवल कहानी के मूल तत्वों को उजागर करता है, बल्कि पाठकों को यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि असली परीक्षा क्या होती है और हमें अपने जीवन में किन गुणों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

कहानी में से चुनकर यहाँ कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए। इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल। हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे। ऐसे गुणवाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं।”

उदाहरण:

  1. दया: एक व्यक्ति जो जरूरतमंदों की मदद करता है, जैसे कि गरीबों को खाना देना या शिक्षा में मदद करना।
  2. आत्मबल: एक ऐसा नेता जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सिद्धांतों पर अडिग रहता है और अपने लोगों के लिए सही निर्णय लेता है।

सारांश: इस पंक्ति का मुख्य संदेश यह है कि समाज में ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता है जो न केवल दयालु हों, बल्कि जिनमें साहस भी हो। ये गुण किसी भी व्यक्ति को एक सफल और सम्मानित नेता बना सकते हैं।

सिफारिशें: इस पंक्ति पर चर्चा करते समय, छात्रों को यह समझाना महत्वपूर्ण है कि दया और आत्मबल केवल व्यक्तिगत गुण नहीं हैं, बल्कि ये समाज के लिए भी आवश्यक हैं। उन्हें प्रेरित करें कि वे अपने जीवन में इन गुणों को अपनाएं और दूसरों के लिए उदाहरण बनें।

कहानी को एक बार फिर से पढ़िए, निम्नलिखित के बारे में पता लगाइए और लिखिए-

(क) नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी पाने के लिए कौन-कौन से प्रयत्न किए?

उत्तर: कहानी में नौकरी की चाह में आए लोगों ने विभिन्न प्रयत्न किए, जैसे:-

  • वे अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की कोशिश कर रहे थे।
  • कुछ लोग नए फैशन के कपड़े पहनकर आए थे, जबकि अन्य ने पुरानी सादगी को अपनाया था।
  • उम्मीदवारों ने अपने रहन-सहन और आचार-विचार को सुधारने का प्रयास किया था, ताकि वे इस उच्च पद के लिए योग्य दिख सकें।

(ख) “उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गईी” खिलाड़ी को कौन-कौन सी बातें पता चल गई?

उत्तर: खिलाड़ी को किसान की सूरत देखते ही यह बातें ज्ञात हो गईं:-

  • किसान की स्थिति और उसकी कठिनाई को समझ गया।
  • उसे यह एहसास हुआ कि किसान वास्तव में एक साधारण व्यक्ति है, जो मदद की तलाश में है।

(ग) “मगर उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में ईर्ष्या।” किनकी आँखों में सत्कार था और किनकी आँखों में ईर्ष्या थी? क्यों?

उत्तर:

  • सत्कार की आँखें उन उम्मीदवारों की थीं, जो जानकीनाथ की ओर देख रहे थे, क्योंकि वे उसकी सफलता को स्वीकार कर रहे थे।
  • ईर्ष्या की आँखें उन उम्मीदवारों की थीं, जो जानकीनाथ को देखकर ईर्ष्या महसूस कर रहे थे, क्योंकि वे खुद इस पद के लिए योग्य नहीं समझे जा रहे थे और जानकीनाथ की सफलता से जलन महसूस कर रहे थे।

इस प्रकार, कहानी में पात्रों के भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ उनके व्यक्तित्व और स्थिति को दर्शाती हैं।

कहानी में से वे वाक्य खोजकर लिखिए जिनसे पता चलता है कि—

(क) शायद युवक बूढ़े किसान की असलियत पहचान गया था।

उत्तर: “युवक ने किसान की तरफ़ गौर से देखा। उसके मन में एक संदेह हुआ, क्याया यह सुजानसिंह तो नहीं हैं? आवाज़ मिलती है, चेहरा-मोहरा भी वही।”

(ख) नौकरी के लिए आए लोग किसी तरह बस नौकरी पा लेना चाहते थे।

उत्तर: “लोग समझते थे कि एक महीने का झंझट है, किसी तरह काट लें, कहीं कार्य सिद्ध हो गया तो कौन पूछता है?”

“लोग पसीने से तर हो गए। खून की गरमी आँख और चेहरे से झलक रही थी।”

इन वाक्यों को पढ़कर आँखों के सामने थकान से चूर खिलाड़ियों का चित्र दिखाई देने लगता है। यह चित्रात्मक भाषा है। ध्यान देंगे तो इस पाठ में ऐसी और भी अनेक विशेष बातें आपको दिखाई देंगी। 

कहानी को एक बार ध्यान से पढ़िए। आपको इस कहानी में और कौन-कौन सी विशेष बातें दिखाई दे रही हैं? अपने समूह में मिलकर उनकी सूची बनाइए।

उत्तर: कहानी “परीक्षा” में कई विशेष बातें हैं जो पाठकों को आकर्षित करती हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं की सूची दी गई है:-

  1. चित्रात्मक भाषा: कहानी में चित्रात्मक भाषा का उपयोग किया गया है, जैसे “लोग पसीने से तर हो गए। खून की गरमी आँख और चेहरे से झलक रही थी।” यह पाठकों को दृश्यात्मक अनुभव प्रदान करता है।
  2. मानव भावनाएँ: कहानी में पात्रों की भावनाओं को गहराई से दर्शाया गया है। जैसे, खिलाड़ियों की थकान, किसान की निराशा और युवक की दया।
  3. सामाजिक संदेश: कहानी में यह संदेश है कि सच्ची योग्यता केवल शैक्षणिक डिग्री में नहीं, बल्कि मानवता और दया में भी होती है।
  4. संघर्ष और साहस: पात्रों के बीच संघर्ष और साहस का चित्रण किया गया है, जैसे युवक का किसान की मदद करना, जो साहस और उदारता का प्रतीक है।
  5. विभिन्न पात्रों का चित्रण: कहानी में विभिन्न प्रकार के पात्रों का समावेश है, जो समाज के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  6. संवादों का प्रभाव: पात्रों के बीच संवाद कहानी को जीवंत बनाते हैं और उनके व्यक्तित्व को उजागर करते हैं।
  7. पारंपरिक और आधुनिकता का संघर्ष: कहानी में नए फैशन और पुरानी सादगी के बीच का संघर्ष भी दिखाया गया है, जो समाज में चल रहे बदलावों को दर्शाता है।

इन विशेषताओं के माध्यम से कहानी “परीक्षा” न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि पाठकों को गहरे विचार करने पर भी मजबूर करती है।

इस कहानी में कुछ समस्याएँ हैं और उसके समाधान भी हैं। कहानी को एक बार फिर से पढ़कर बताइए कि –

(क) महाराज के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा ?

उत्तर: महाराज के सामने समस्या थी कि उनकी रियासत के दीवान, सरदार सुजानसिंह, ने दीवानी पद से त्यागपत्र देने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने बताया कि उनकी उम्र बढ़ गई है और अब राज-काज संभालने की शक्ति नहीं रही। समाधान के रूप में, महाराज ने यह निर्णय लिया कि यदि दीवान जी पद छोड़ना चाहते हैं, तो उन्हें ही इस राज्य के लिए एक योग्य दीवान खोजकर देना होगा। इस प्रकार, महाराज ने दीवान के पद के लिए नए उम्मीदवारों की खोज करने का उपाय निकाला।

(ख) दीवान के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?

उत्तर: दीवान के सामने समस्या यह थी कि उन्हें एक योग्य उत्तराधिकारी चुनना था, क्योंकि वे स्वयं पद छोड़ने का निर्णय ले चुके थे। इसके समाधान के लिए उन्होंने एक विज्ञापन निकाला, जिसमें यह बताया गया कि नए दीवान के लिए ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है, जिसके हृदय में दया और आत्मबल हो। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि उम्मीदवारों का आचार-विचार और व्यवहार एक महीने तक परखा जाएगा, ताकि सही व्यक्ति का चयन किया जा सके।

इस प्रकार, दीवान ने समस्या का समाधान खोजने के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया निर्धारित की, जिससे योग्य उम्मीदवार का चयन किया जा सके।

“स्वार्थ था, मद था, मगर उदारता और वात्सल्य का नाम भी न था। ”
इस वाक्य में कुछ शब्दों के नीचे रेखा खिंची हुई है। ये सभी नाम हैं, लेकिन दिखाई देने वाली वस्तुओं, व्यक्तियों या जगहों के नाम नहीं हैं। ये सभी शब्द मन के भावों के नाम हैं। आप अपनी कहानी में से ऐसे ही अन्य नामों को खोजकर नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए।

उत्तर:

कहानी में युवक और किसान की बातचीत संवादों के रूप में दी गई है। यह भी बताया गया है कि उन दोनों ने ये बातें कैसे बोलीं। अपने समूह के साथ मिलकर तैयार कीजिए और कहानी के इस भाग को कक्षा में अभिनय के द्वारा प्रस्तुत कीजिए । प्रत्येक समूह से अभिनेता या अभिनेत्री कक्षा में सामने आएँगे और एक-एक संवाद अभिनय के साथ बोलकर दिखाएँगे।

उत्तर:

कहानी में युवक और किसान के बीच की बातचीत को संवादों के रूप में प्रस्तुत करने के लिए, छात्रों को निम्नलिखित चरणों का पालन करना चाहिए:

  1. संवादों का चयन: कहानी के उस भाग से संवादों का चयन करें जहाँ युवक किसान की मदद करता है। उदाहरण के लिए:
    • युवक: “मैं तुम्हारी गाड़ी निकाल दूँ?”
    • किसान: “हुजूर, मैं आपसे कैसे कहूँ?”
  2. अभिनय की तैयारी:
    • छात्रों को संवादों को पढ़कर समझाना चाहिए कि उन्हें कैसे अभिनय करना है।
    • भावनाओं को व्यक्त करने के लिए चेहरे के हाव-भाव और शारीरिक भाषा का उपयोग करें।
    • युवक की दयालुता और किसान की निराशा को दर्शाने के लिए सही भावनाएँ व्यक्त करें।
  3. समूह में अभ्यास:
    • छात्रों को छोटे समूहों में बाँट दें ताकि वे अपने संवादों का अभ्यास कर सकें।
    • प्रत्येक समूह को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी सदस्य अपनी भूमिका को निभाएँ।
  4. प्रस्तुति:
    • कक्षा में एक-एक करके समूह अपने संवादों का अभिनय करें।
    • छात्रों को एक-दूसरे के अभिनय को देखकर प्रतिक्रिया देने के लिए प्रोत्साहित करें।
  5. समीक्षा:
    • अभिनय के बाद, छात्रों से चर्चा करें कि उन्होंने क्या सीखा और किस प्रकार के भावनात्मक पहलुओं को उन्होंने अपने अभिनय में शामिल किया।

इस प्रक्रिया से छात्रों को न केवल कहानी की समझ बढ़ेगी, बल्कि वे संवादों के माध्यम से अभिनय कौशल भी विकसित करेंगे।

“ विद्या का कम, परंतु कर्तव्य का अधिक विचार किया जाएगा।”
‘कम’ का विपरीत अर्थ देने वाला शब्द है ‘अधिक’। इसी प्रकार के कुछ विपरीतार्थक शब्द नीचे दिए गए हैं लेकिन वे आमने-सामने नहीं हैं। रेखाएँ खींचकर विपरीतार्थक शब्दों के सही जोड़े बनाइए-

स्तंभ 1स्तंभ 2
1. आना1. निर्दयी
2. गुण2. निराशा
3. आदर3. जीत
4. स्वस्थ4. अवगुण
5. कम5. अस्वस्थ
6. दयालु6. अधिक
7. योग्य7. जाना
8. हार8. अयोग्य
9. आशा9. अनादर

उत्तर:

स्तंभ 1स्तंभ 2
1. आना7. जाना
2. गुण4. अवगुण
3. आदर9. अनादर
4. स्वस्थ5. अस्वस्थ
5. कम6. अधिक
6. दयालु1. निर्दयी
7. योग्य8. अयोग्य
8. हार3. जीत
9. आशा2. निराशा

“गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।”
यह वाक्य एक कहावत है। इसका अर्थ है कि कोशिश करने पर ही सफलता मिलती है। ऐसी ही एक और कहावत है, ” जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ ” अर्थात परिश्रम का फल अवश्य मिलता है।

कहावतें ऐसे वाक्य होते हैं जिन्हें लोग अपनी बात को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयोग करते हैं। आपके घर और पास-पड़ोस में भी लोग अनेक कहावतों का उपयोग करते होंगे।

नीचे कुछ कहावतें और उनके भावार्थ दिए गए हैं। आप इन कहावतों को कहानी से जोड़कर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए।

  • अधजल गगरी छलकत जाए – जिसके पास थोड़ा ज्ञान होता है, वह उसका दिखावा करता है।
  • अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत – समय निकल जाने के बाद पछताना व्यर्थ होता ‘है।
  • एक अनार सौ बीमार – कोई ऐसी एक चीज़ जिसको चाहने वाले अनेक हों।
  • जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं – जो अधिक बढ़-चढ़कर बोलते हैं, वे काम नहीं करते हैं।
  • जहाँ चाह, वहाँ राह – जब किसी काम को करने की इच्छा होती है, तो उसका साधन भी मिल जाता है।

(संकेत – विज्ञापन में तो एक नौकरी की बात कही गई थी, लेकिन उम्मीदवार आ गए हजारों । इसे कहते हैं – एक अनार सौ बीमार।)

उत्तर:

  1. अधजल गगरी छलकत जाए
    भावार्थ: जिसके पास थोड़ा ज्ञान होता है, वह उसका दिखावा करता है।
    कहानी से संबंध: कहानी में कई उम्मीदवार अपने ज्ञान का दिखावा करते हैं, भले ही वे वास्तव में योग्य न हों। जैसे, जो लोग किताबों से घृणा करते थे, वे बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ने का दिखावा करने लगे।
  2. अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत
    भावार्थ: समय निकल जाने के बाद पछताना व्यर्थ होता है।
    कहानी से संबंध: जब किसान की मदद करने का अवसर आया, तब अन्य उम्मीदवार पीछे हट गए। बाद में जब पंडित जानकीनाथ को दीवान बनाया गया, तो वे सोचते रहे कि काश! उन्होंने उस समय मदद की होती।
  3. एक अनार सौ बीमार
    भावार्थ: कोई ऐसी एक चीज़ जिसको चाहने वाले अनेक हों।
    कहानी से संबंध: कहानी में दीवान के पद के लिए कई उम्मीदवार आए, सभी उसी पद को पाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे थे, जिससे यह कहावत सही साबित होती है।
  4. जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं
    भावार्थ: जो अधिक बढ़-चढ़कर बोलते हैं, वे काम नहीं करते हैं।
    कहानी से संबंध: कई उम्मीदवार अपने व्यवहार में नम्रता का दिखावा करते हैं, लेकिन जब वास्तविकता का समय आता है, तो वे मदद करने से कतराते हैं।
  5. जहाँ चाह, वहाँ राह
    भावार्थ: जब किसी काम को करने की इच्छा होती है, तो उसका साधन भी मिल जाता है।
    कहानी से संबंध: युवक ने घायल होते हुए भी किसान की मदद की, यह दर्शाता है कि यदि किसी में सच्ची इच्छा हो, तो वह किसी भी परिस्थिति में मदद कर सकता है।

इन कहावतों के माध्यम से कहानी में व्यक्त की गई मानवता, स्वार्थ, और परोपकार के भावों को समझा जा सकता है।

अनुमान या कल्पना से

(क) “ दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला ”
देश के प्रसिद्ध पत्रों में नौकरी का विज्ञापन किसने निकलवाया होगा? आपको ऐसा क्यों लगता है?

उत्तर: कहानी में “दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला” वाक्य से यह स्पष्ट होता है कि यह विज्ञापन देवगढ़ के महाराज सरदार सुजानसिंह द्वारा निकलवाया गया होगा।

कारण:

  1. दीवान की सेवानिवृत्ति: जब दीवान सरदार सुजानसिंह ने अपनी सेवानिवृत्ति की इच्छा व्यक्त की, तो महाराज ने उन्हें एक नए दीवान की खोज करने की शर्त रखी। यह दर्शाता है कि महाराज को दीवान की जगह भरने की आवश्यकता थी।
  2. राज्य की जिम्मेदारी: महाराज ने राज्य के लिए एक योग्य दीवान की आवश्यकता को महसूस किया, जो न केवल सक्षम हो, बल्कि उसके पास दया और साहस जैसे गुण भी हों।
  3. प्रसिद्ध पत्रों का चयन: महाराज ने यह सुनिश्चित किया कि विज्ञापन देश के प्रसिद्ध पत्रों में प्रकाशित हो, जिससे अधिक से अधिक योग्य उम्मीदवारों तक पहुंचा जा सके।

इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि यह विज्ञापन महाराज सरदार सुजानसिंह द्वारा निकलवाया गया था, ताकि राज्य के लिए एक उपयुक्त दीवान की नियुक्ति की जा सके।

(ख) “इस विज्ञापन ने सारे में मुल्क तहलका मचा दिया ”।
विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका क्यों मचा दिया होगा ?

उत्तर: विज्ञापन का प्रभाव

“इस विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया” वाक्य से यह स्पष्ट होता है कि देवगढ़ के लिए दीवान की नियुक्ति का विज्ञापन एक महत्वपूर्ण घटना थी।

कारण:

  1. उच्च पद की उपलब्धता: दीवान का पद एक उच्च और प्रतिष्ठित पद है। ऐसे पद के लिए आवेदन करने का अवसर सभी योग्य व्यक्तियों के लिए आकर्षक था।
  2. योग्यता की शर्तें: विज्ञापन में यह उल्लेख किया गया था कि उम्मीदवारों के लिए ग्रेजुएट होना आवश्यक नहीं है, लेकिन उन्हें हृष्ट-पुष्ट होना चाहिए। यह शर्तें अधिक लोगों को आवेदन करने के लिए प्रेरित करती हैं, क्योंकि यह एक व्यापक अवसर प्रदान करती हैं।
  3. नसीब का खेल: विज्ञापन ने यह संदेश दिया कि यह एक अवसर है, जिसमें केवल भाग्य का खेल है। इससे सैकड़ों लोग अपनी किस्मत आजमाने के लिए उत्सुक हो गए।
  4. विभिन्न पृष्ठभूमियों से लोग: विज्ञापन ने विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को आकर्षित किया, जैसे पंजाब, मद्रास आदि। इस विविधता ने पूरे देश में चर्चा का विषय बना दिया।
  5. सामाजिक और आर्थिक स्थिति: ऐसे समय में जब नौकरी की कमी थी, इस विज्ञापन ने लोगों में आशा और उत्साह का संचार किया।

इस प्रकार, यह विज्ञापन न केवल एक नौकरी का अवसर था, बल्कि यह समाज में एक बड़ी हलचल का कारण बना, जिससे लोगों में उत्सुकता और प्रतिस्पर्धा का माहौल बना।

“दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला कि देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान की ज़रूरत है।”

(क) कहानी में इस विज्ञापन की सामग्री को पढ़िए। इसके बाद अपने समूह में मिलकर इस विज्ञापन को अपनी कल्पना का उपयोग करते हुए बनाइए ।
(संकेत— विज्ञापन बनाने के लिए आप एक चौकोर कागज़ पर हाशिया बनाइए। इसके बाद इस हाशिए के भीतर के खाली स्थान पर सुंदर लिखाई, चित्रों, रंगों आदि की सहायता से सभी आवश्यक जानकारी लिख दीजिए। आप बिना रंगों या चित्रों के भी विज्ञापन बना सकते हैं।)

उत्तर: विज्ञापन का प्रारूप

देवगढ़ रियासत में दीवान की आवश्यकता

विज्ञापन
तारीख: [विज्ञापन की तारीख]
स्थान: देवगढ़

रियासत देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान की आवश्यकता है।
जो सज्जन इस पद के लिए योग्य समझते हैं, वे महाराज सरदार सुजानसिंह की सेवा में उपस्थित हों।

आवश्यकताएँ:

  • शारीरिक स्वास्थ्य: हृष्ट-पुष्ट होना आवश्यक है।
  • शैक्षणिक योग्यता: ग्रेजुएट होना आवश्यक नहीं है।
  • कर्तव्यनिष्ठा: विद्या का कम, परंतु कर्तव्य का अधिक विचार किया जाएगा।

उम्मीदवारों का चयन:

  • एक महीने तक उम्मीदवारों के रहन-सहन और आचार-विचार की देखभाल की जाएगी।
  • जो उम्मीदवार इस परीक्षा में सफल होंगे, उन्हें इस उच्च पद पर नियुक्त किया जाएगा।

आवेदन करने की अंतिम तिथि: [तारीख]
स्थान: देवगढ़ महल, महाराज सरदार सुजानसिंह की सेवा में।

नोट: मंदाग्नि के मरीजों को यहाँ तक कष्ट उठाने की आवश्यकता नहीं है।


विज्ञापन की सजावट

  • चित्र: विज्ञापन के चारों ओर सुंदर चित्र बनाए जा सकते हैं, जैसे कि देवगढ़ का महल, दीवान का प्रतीक चिन्ह, या अन्य सांस्कृतिक प्रतीक।
  • रंग: विज्ञापन को आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न रंगों का उपयोग करें, जैसे कि हरा, नीला, और पीला।
  • फॉन्ट: सुगम और स्पष्ट फॉन्ट का चयन करें ताकि पाठक आसानी से पढ़ सकें।

निष्कर्ष

इस विज्ञापन का उद्देश्य न केवल योग्य उम्मीदवारों को आकर्षित करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि रियासत देवगढ़ को एक सक्षम और दयालु दीवान मिले, जो राज्य की भलाई के लिए कार्य करे।

आपका समूह इस विज्ञापन को अपनी कल्पना के अनुसार और भी बेहतर बना सकता है।

(ख) आपने भी अपने आस-पास दीवारों पर, समाचार-पत्रों में या पत्रिकाओं में, मोबाइल फोन या दूरदर्शन पर अनेक विज्ञापन देखे होंगे। अपने किसी मनपसंद विज्ञापन को याद कीजिए। आपको वह अच्छा क्यों लगता है? सोचकर अपने समूह में बताइए । अपने ‘समूह के बिंदुओं को लिख लीजिए।

उत्तर: विज्ञापन का नाम: [विज्ञापन का नाम]

विज्ञापन का स्रोत: [जगह/प्लेटफॉर्म जहां आपने विज्ञापन देखा]

विज्ञापन का विवरण:

यह विज्ञापन [विज्ञापन की सामग्री का संक्षिप्त विवरण] प्रस्तुत करता है। इसमें [उत्पाद/सेवा का नाम] की विशेषताएँ और लाभ बताए गए हैं।

मुझे यह विज्ञापन क्यों पसंद है:

  1. आकर्षक डिजाइन:
    • विज्ञापन का रंग संयोजन और डिजाइन बहुत आकर्षक है, जो तुरंत ध्यान खींचता है।
    • चित्रों का उपयोग इसे और भी जीवंत बनाता है।
  2. स्पष्ट संदेश:
    • विज्ञापन में संदेश स्पष्ट और संक्षिप्त है, जिससे पाठक को तुरंत समझ में आता है कि उत्पाद या सेवा क्या है।
    • विशेषताएँ और लाभ सरल भाषा में प्रस्तुत किए गए हैं।
  3. भावनात्मक अपील:
    • विज्ञापन में भावनात्मक तत्व शामिल हैं, जैसे कि [उदाहरण: खुशी, परिवार, दोस्ती]। यह दर्शकों के साथ एक संबंध स्थापित करता है।
    • यह लोगों को प्रेरित करता है कि वे उत्पाद का उपयोग करें और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएँ।
  4. विशेष प्रस्ताव:
    • विज्ञापन में विशेष छूट या ऑफर का उल्लेख है, जो ग्राहकों को आकर्षित करता है।
    • यह ग्राहकों को त्वरित निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है।
  5. सकारात्मक प्रतिक्रिया:
    • मैंने देखा है कि इस विज्ञापन के बारे में लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ हैं, जो इसे और भी विश्वसनीय बनाती हैं।
    • यह उत्पाद या सेवा की गुणवत्ता के प्रति विश्वास जगाता है।

समूह के बिंदु:

  • सभी सदस्यों ने सहमति जताई कि विज्ञापन का आकर्षण और स्पष्टता महत्वपूर्ण है।
  • भावनात्मक अपील ने विज्ञापन को और भी प्रभावशाली बना दिया।
  • विशेष प्रस्तावों की मौजूदगी ने इसे ग्राहकों के लिए अधिक आकर्षक बना दिया।

निष्कर्ष

इस विज्ञापन ने न केवल मुझे आकर्षित किया, बल्कि यह मेरे समूह के अन्य सदस्यों के लिए भी चर्चा का विषय बना। एक अच्छा विज्ञापन वह होता है जो न केवल जानकारी प्रदान करता है, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव भी बनाता है।

(ग) विज्ञापनों से लाभ होते हैं, हानि होती हैं, या दोनों? अपने समूह में चर्चा कीजिए और चर्चा के बिंदु लिखकर कक्षा में साझा कीजिए।

उत्तर: विज्ञापनों के लाभ और हानि

समूह चर्चा के बिंदु

  1. लाभ:
    • जानकारी का संचार: विज्ञापन उत्पादों और सेवाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे उपभोक्ता बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
    • नवाचार को बढ़ावा: नए उत्पादों और सेवाओं के विज्ञापन नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है।
    • विशेष प्रस्ताव और छूट: विज्ञापनों के माध्यम से उपभोक्ता विशेष छूट और ऑफरों के बारे में जान सकते हैं, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ होता है।
    • ब्रांड जागरूकता: विज्ञापन ब्रांड की पहचान और जागरूकता बढ़ाते हैं, जिससे उपभोक्ता उस ब्रांड को प्राथमिकता देते हैं।
    • सामाजिक संदेश: कई विज्ञापन सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाते हैं, जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, और पर्यावरण संरक्षण।
  2. हानि:
    • भ्रामक जानकारी: कुछ विज्ञापन भ्रामक हो सकते हैं, जो उपभोक्ताओं को गलत जानकारी देकर उन्हें धोखा दे सकते हैं।
    • अत्यधिक विज्ञापन: अधिक विज्ञापन उपभोक्ताओं को परेशान कर सकते हैं और उनके अनुभव को नकारात्मक बना सकते हैं।
    • उपभोक्ता दबाव: विज्ञापनों के माध्यम से उपभोक्ताओं पर खरीदने का दबाव डाला जा सकता है, जिससे वे अनावश्यक चीजें खरीद सकते हैं।
    • सामाजिक मानदंडों का प्रभाव: विज्ञापन कभी-कभी अस्वस्थ मानदंडों को बढ़ावा देते हैं, जैसे कि सौंदर्य मानक, जो समाज में नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
    • आर्थिक असमानता: विज्ञापनों में दिखाए गए उत्पाद अक्सर उच्च मूल्य के होते हैं, जिससे सभी वर्गों के उपभोक्ताओं के लिए समान पहुंच नहीं होती।

निष्कर्ष

विज्ञापनों के लाभ और हानि दोनों हैं। जहां एक ओर वे उपभोक्ताओं को जानकारी और अवसर प्रदान करते हैं, वहीं दूसरी ओर वे भ्रामक और दबावपूर्ण भी हो सकते हैं। एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है, ताकि विज्ञापनों का सकारात्मक उपयोग किया जा सके और नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके।

समूह के सदस्यों ने सहमति जताई कि विज्ञापनों का प्रभाव उनके उपयोग के तरीके पर निर्भर करता है।

आगे की कहानी

‘परीक्षा’ कहानी जहाँ समाप्त होती है, उसके आगे क्या हुआ होगा। आगे की कहानी अपनी कल्पना से बनाइए।

उत्तर:

कहानी ‘परीक्षा’ का आगे का भाग

जब दीवान जानकीनाथ को रियासत का नया दीवान नियुक्त किया गया, तो पूरे देवगढ़ में खुशी की लहर दौड़ गई। जानकीनाथ ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही यह स्पष्ट कर दिया कि वे गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने अपने पहले आदेश में रियासत के सभी किसानों के लिए एक सहायता योजना की घोषणा की, जिससे उन्हें फसल के नुकसान की स्थिति में आर्थिक सहायता मिल सके।

जानकीनाथ का कार्यकाल

जानकीनाथ ने अपने कार्यकाल में कई सुधार किए। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी ध्यान दिया और गाँवों में स्कूल खोलने की योजना बनाई। उनका मानना था कि शिक्षा ही समाज में बदलाव ला सकती है। धीरे-धीरे, रियासत के लोग उनकी नीतियों से प्रभावित होने लगे और उन्हें एक कुशल और दयालु नेता के रूप में स्वीकार किया।

किसान की मदद

एक दिन, जानकीनाथ ने एक किसान को देखा, जो अपनी फसल के नुकसान के कारण बहुत परेशान था। किसान ने उनसे मदद की गुहार लगाई। जानकीनाथ ने तुरंत उसकी समस्या को समझा और उसे आश्वासन दिया कि वह उसकी मदद करेंगे। उन्होंने किसान को न केवल आर्थिक सहायता दी, बल्कि उसे खेती के नए तरीकों के बारे में भी जानकारी दी, जिससे वह अपनी फसल को बेहतर बना सके।

प्रतियोगिता का आयोजन

जानकीनाथ ने रियासत में एक प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसमें सभी किसानों को अपने अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य था कि किसान एक-दूसरे से सीखें और अपनी समस्याओं का समाधान खोजें। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले किसानों ने अपने अनुभव साझा किए और जानकीनाथ ने उन्हें प्रोत्साहित किया।

अंत में

जानकीनाथ की मेहनत और दयालुता ने रियासत देवगढ़ को एक नई दिशा दी। लोग उन्हें केवल एक दीवान नहीं, बल्कि एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में देखने लगे। उनकी नीतियों ने न केवल रियासत की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद की, बल्कि लोगों के दिलों में भी एक नई आशा जगाई।

इस प्रकार, कहानी ‘परीक्षा’ का आगे का भाग यह दर्शाता है कि एक सच्चा नेता वही होता है, जो अपने लोगों की भलाई के लिए हमेशा तत्पर रहता है और उनके दुख-दर्द को समझता है। जानकीनाथ ने साबित कर दिया कि दया, साहस और आत्मबल के साथ किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।

आपकी बात

(क) यदि कहानी में दीवान साहब के स्थान पर आप होते तो योग्य व्यक्ति को कैसे चुनते ?

उत्तर: यदि मैं दीवान साहब के स्थान पर होता, तो योग्य व्यक्ति का चयन करते समय निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देता:

1. गुणों का मूल्यांकन

  • दयालुता और उदारता: ऐसे व्यक्ति की तलाश करता जो दूसरों की समस्याओं को समझ सके और उनकी मदद करने के लिए तत्पर हो।
  • साहस और आत्मबल: यह सुनिश्चित करता कि उम्मीदवार में कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता हो।

2. प्रशिक्षण और अनुभव

  • प्रशिक्षण: उम्मीदवार का शैक्षणिक और व्यावसायिक अनुभव महत्वपूर्ण है। मैं यह देखता कि क्या उसने किसी सरकारी या सामाजिक सेवा में कार्य किया है।
  • समाज सेवा: ऐसे व्यक्ति को प्राथमिकता देता जो समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझता हो और समाज सेवा में सक्रिय हो।

3. समस्याओं का समाधान

  • समस्या समाधान कौशल: उम्मीदवार की समस्या समाधान करने की क्षमता का मूल्यांकन करता। मैं उनसे विभिन्न परिदृश्यों पर विचार करने के लिए कहता और उनके समाधान पूछता।

4. साक्षात्कार प्रक्रिया

  • साक्षात्कार: एक साक्षात्कार आयोजित करता, जिसमें उम्मीदवार से उनके दृष्टिकोण, अनुभव और विचारों के बारे में गहराई से चर्चा की जाती।
  • प्रश्नावली: कुछ प्रश्नों के माध्यम से उनकी सोच और दृष्टिकोण का परीक्षण करता, जैसे कि “आप एक गरीब किसान की मदद कैसे करेंगे?”

5. समुदाय की राय

  • समुदाय से फीडबैक: स्थानीय लोगों से भी राय लेता कि वे किसे योग्य मानते हैं। इससे मुझे यह समझने में मदद मिलेगी कि उम्मीदवार का समाज में क्या स्थान है।

6. आचार-व्यवहार का परीक्षण

  • व्यवहार का अवलोकन: उम्मीदवार के व्यवहार और आचार का अवलोकन करता, यह देखने के लिए कि वह दूसरों के साथ कैसे पेश आता है।

निष्कर्ष

इन सभी बिंदुओं के माध्यम से, मैं एक ऐसे व्यक्ति का चयन करना चाहूंगा जो न केवल योग्य हो, बल्कि समाज के प्रति भी संवेदनशील हो। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि रियासत के लिए एक सक्षम और दयालु दीवान का चयन किया जाए।

(ख) यदि आपको कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए तो आप उसे कैसे चुनेंगे? उसमें किन-किन गुणों को देखेंगे? गुणों की परख के लिए क्या-क्या करेंगे?

उत्तर: यदि मुझे कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए, तो मैं निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दूंगा:

1. गुणों का मूल्यांकन

  • नेतृत्व क्षमता: मैं यह देखूंगा कि उम्मीदवार में नेतृत्व करने की क्षमता है या नहीं। क्या वह दूसरों को प्रेरित कर सकता है?
  • संचार कौशल: मॉनिटर को अच्छे संचार कौशल की आवश्यकता होती है। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि वह स्पष्ट और प्रभावी ढंग से संवाद कर सके।
  • सकारात्मक दृष्टिकोण: एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाला व्यक्ति कक्षा के माहौल को बेहतर बना सकता है।

2. समस्या समाधान कौशल

  • समस्याओं का समाधान: मैं देखूंगा कि उम्मीदवार समस्याओं का समाधान कैसे करता है। क्या वह तनावपूर्ण परिस्थितियों में भी शांत रह सकता है?

3. समाज सेवा और सहयोग

  • सहयोगिता: मैं यह देखूंगा कि उम्मीदवार दूसरों के साथ कैसे काम करता है। क्या वह सहपाठियों की मदद करने के लिए तत्पर रहता है?
  • समाज के प्रति जिम्मेदारी: क्या वह कक्षा और स्कूल के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझता है?

4. साक्षात्कार प्रक्रिया

  • साक्षात्कार: एक साक्षात्कार आयोजित करूंगा, जिसमें उम्मीदवार से उनके विचारों, दृष्टिकोण और अनुभव के बारे में चर्चा की जाएगी। कुछ प्रश्न जैसे:
    • “आप कक्षा में किसी समस्या का सामना करते हैं, तो आप क्या करेंगे?”
    • “आप अपने सहपाठियों के साथ कैसे सहयोग करेंगे?”

5. समुदाय की राय

  • कक्षा के साथियों से फीडबैक: मैं कक्षा के अन्य छात्रों से भी राय लूंगा कि वे किसे मॉनिटर के रूप में पसंद करते हैं। इससे मुझे यह समझने में मदद मिलेगी कि उम्मीदवार का कक्षा में क्या स्थान है।

6. आचार-व्यवहार का परीक्षण

  • व्यवहार का अवलोकन: मैं उम्मीदवार के व्यवहार का अवलोकन करूंगा, यह देखने के लिए कि वह दूसरों के साथ कैसे पेश आता है। क्या वह विनम्र और सहयोगी है?

निष्कर्ष

इन सभी बिंदुओं के माध्यम से, मैं एक ऐसे मॉनिटर का चयन करना चाहूंगा जो न केवल सक्षम हो, बल्कि कक्षा के माहौल को सकारात्मक बनाने में भी मदद कर सके। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि कक्षा में एक जिम्मेदार और प्रेरणादायक मॉनिटर का चयन किया जाए।

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