NCERT Solutions for Class 6 Hindi Malhar Chapter 9 मैया मैं नहिं माखन खायो प्रश्न और उत्तर

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Malhar Chapter 9 Maiya Main Nahi Makhan Khayo

पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर न-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए-

(1) मैं माखन कैसे खा सकता हूँ? इसके लिए श्रीकृष्ण ने क्या तर्क दिया?

  • मुझे तुम पराया समझती हो।
  • मेरी माता, तुम बहुत भोली हो।
  • मुझे यह लाठी-कंबल नहीं चाहिए।
  • मेरे छोटे-छोटे हाथ छीके तक कैसे जा सकते हैं?

सही उत्तर:

  • मेरे छोटे-छोटे हाथ छीके तक कैसे जा सकते हैं? (★)

(2) श्रीकृष्ण माँ के आने से पहले क्या कर रहे थे?

  • गाय चरा रहे थे।
  • माखन खा रहे थे।
  • मधुबन में भटक रहे थे।
  • मित्रों के संग खेल रहे थे।

सही उत्तर:

  • मधुबन में भटक रहे थे। (★)

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने ?

उत्तर:

चर्चा: इन उत्तरों का चयन इसलिए किया गया क्योंकि पहले प्रश्न में श्रीकृष्ण ने यह स्पष्ट किया कि उनके हाथ छोटे हैं, इसलिए वह माखन नहीं खा सकते। दूसरे प्रश्न में, पाठ के अनुसार, श्रीकृष्ण मधुबन में भटक रहे थे, जो उनके गतिविधियों का सही वर्णन है।

मिलकर करें मिलान

पाठ में से चुनकर यहाँ कुछ शब्द दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थ या संदर्भ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

उत्तर:

शब्दअर्थ या संदर्भ
1. जसोदा4. यशोदा, श्रीकृष्ण की माँ, जिन्होंने श्रीकृष्ण को पाला था।
2. पहर1. समय मापने की एक इकाई (तीन घंटे का एक पहर होता है। एक दिवस में आठ पहर होते हैं)।
3. लकुटि कमरिया
8. लाठी और छोटा कंबल, कमली (मान्यता है कि श्रीकृष्ण लकुटि-कमरिया लेकर गाय चराने जाया करते थे)।
4. बंसीवट2. एक वट वृक्ष (मान्यता है कि श्रीकृष्ण जब गाय चराया करते थे, तब वे इसी वृक्ष के ऊपर चढ़कर वंशी की ध्वनि से गायों को पुकारकर उन्हें एकत्रित करते)।
5. मधुबन7. मथुरा के पास यमुना के किनारे का एक वन।
6. छीको3. गोल पात्र के आकार का रस्सियों का बुना हुआ जाल जो छत या ऊँची जगह से लटकाया जाता है ताकि उसमें रखी हुई खाने-पीने की चीजों (जैसे- दूध, दही आदि) को कुत्ते, बिल्ली आदि न पा सकें।
7. माता5. जन्म देने वाली, उत्पन्न करने वाली, जननी, माँ।
8. ग्वाल-बाल6. गाय पालने वालों के बच्चे, श्रीकृष्ण के संगी साथी।

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपनी कक्षा में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

(क) “ भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो ”

(ख) “सूरदास तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो ”

उत्तर: (क) अर्थ:

इस पंक्ति में श्रीकृष्ण यह बता रहे हैं कि सुबह होते ही उनकी माँ यशोदा ने उन्हें गायों के पीछे मधुबन भेज दिया। यह पंक्ति श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें उनकी माँ की ममता और उनके कर्तव्यों का उल्लेख है।

व्याख्या:

  • भोर: सुबह का समय, जब दिन की शुरुआत होती है।
  • गैयन के पाछे: गायों के पीछे, यह दर्शाता है कि श्रीकृष्ण को गायों की देखभाल करने के लिए भेजा गया था।
  • मधुबन: यह एक प्रसिद्ध वन है, जहाँ श्रीकृष्ण ने अपनी बाल्यावस्था में गायें चराई हैं।

इस पंक्ति से यह स्पष्ट होता है कि श्रीकृष्ण की माँ यशोदा उन्हें जिम्मेदारियों के लिए तैयार कर रही हैं, जो उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पंक्ति न केवल श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को दर्शाती है, बल्कि माता-पिता के प्रति बच्चों की जिम्मेदारियों को भी उजागर करती है।

(ख) अर्थ:

इस पंक्ति में सूरदास यह वर्णन कर रहे हैं कि जब यशोदा माता ने श्रीकृष्ण को माखन खाने के आरोप से मुक्त होते देखा, तो उन्होंने खुशी से हंसते हुए श्रीकृष्ण को अपने गले से लगा लिया। यह क्षण माता-पुत्र के बीच की गहरी प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।

व्याख्या:

  • सूरदास: कवि, जो इस दृश्य का वर्णन कर रहे हैं।
  • बिहँसि: हंसते हुए, यह दर्शाता है कि यशोदा माता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।
  • जसोदा: श्रीकृष्ण की माँ, जो अपने पुत्र के प्रति अत्यधिक स्नेह रखती हैं।
  • लै उर कंठ लगायो: अपने हृदय से गले लगाना, यह दर्शाता है कि माता का प्यार और स्नेह कितना गहरा है।

इस पंक्ति से यह स्पष्ट होता है कि मातृत्व का प्यार कितना विशाल और निस्वार्थ होता है। जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को गले लगाया, तो यह केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं थी, बल्कि यह उनके बीच के अटूट बंधन और विश्वास का प्रतीक था।

सोच-विचार के लिए

पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ढूँढ़कर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-

(क) पद में श्रीकृष्ण ने अपने बारे में क्या-क्या बताया है?

(ख) यशोदा माता ने श्रीकृष्ण को हँसते हुए गले से क्यों लगा लिया?

उत्तर: (क) पद में श्रीकृष्ण ने अपने बारे में निम्नलिखित बातें बताई हैं:

  1. माँ की भोलीपन का उल्लेख: श्रीकृष्ण अपनी माँ यशोदा को यह बताते हैं कि वे बहुत भोली हैं और उन्हें पराया समझती हैं। यह दर्शाता है कि वह अपनी माँ के प्रति अपनी मासूमियत और उनकी भावनाओं को समझते हैं।
  2. छोटे हाथों का तर्क: श्रीकृष्ण कहते हैं कि वे एक छोटे बालक हैं और उनके हाथ इतने छोटे हैं कि वे माखन तक नहीं पहुँच सकते। यह उनकी मासूमियत और स्थिति को स्पष्ट करता है।
  3. गायों के पीछे भेजे जाने का उल्लेख: वह बताते हैं कि भोर होते ही उन्हें गायों के पीछे मधुबन भेजा गया। यह उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को दर्शाता है, जो एक बच्चे के रूप में उन पर हैं।
  4. ग्वाल-बालों के साथ संबंध: श्रीकृष्ण यह भी बताते हैं कि ग्वाल-बाल उनके साथ हैं, जो यह दर्शाता है कि वे अपने दोस्तों के साथ खेलते और समय बिताते हैं।
  5. माँ के प्रति स्नेह: अंत में, जब यशोदा माता उन्हें गले लगाती हैं, तो यह उनके बीच के गहरे प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।

निष्कर्ष

इन बिंदुओं के माध्यम से, श्रीकृष्ण ने अपनी मासूमियत, माँ के प्रति प्रेम, और अपने कर्तव्यों का उल्लेख किया है। यह पद न केवल उनकी बाल लीलाओं का वर्णन करता है, बल्कि माता-पिता और बच्चों के बीच के रिश्ते की गहराई को भी उजागर करता है।

(ख) यशोदा माता ने श्रीकृष्ण को हँसते हुए गले से लगाने के कई महत्वपूर्ण कारण हैं:

  1. आरोप से मुक्ति: जब यशोदा माता ने देखा कि श्रीकृष्ण ने माखन खाने के आरोप से खुद को निर्दोष साबित कर दिया, तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। यह क्षण उनके लिए राहत और आनंद का प्रतीक था।
  2. माँ का प्रेम: मातृत्व का प्रेम अत्यंत गहरा और निस्वार्थ होता है। जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को गले लगाया, तो यह उनके बीच के अटूट बंधन को दर्शाता है। यह एक भावनात्मक क्षण था, जिसमें माँ ने अपने पुत्र के प्रति अपने स्नेह को व्यक्त किया।
  3. सुखद क्षण का साझा करना: यह क्षण न केवल यशोदा माता के लिए बल्कि श्रीकृष्ण के लिए भी खुशी का था। माता का गले लगाना इस बात का प्रतीक है कि वे अपने पुत्र की खुशी में शामिल हैं और उसे अपने हृदय से स्वीकार कर रही हैं।
  4. बाल लीलाओं का आनंद: इस घटना में श्रीकृष्ण की मासूमियत और चंचलता भी झलकती है। माता यशोदा का हँसते हुए गले लगाना इस बात का संकेत है कि वे अपने पुत्र की शरारतों और बाल लीलाओं को समझती हैं और उनका आनंद लेती हैं।

निष्कर्ष

यशोदा माता का श्रीकृष्ण को हँसते हुए गले लगाना न केवल एक सरल क्रिया है, बल्कि यह मातृत्व के गहरे भावनात्मक पहलुओं को उजागर करता है। यह क्षण माता-पुत्र के रिश्ते की गहराई और स्नेह को दर्शाता है।

कविता की रचना

‘भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो ।
चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो ।।

इन पंक्तियों के अंतिम शब्दों को ध्यान से देखिए । ‘पठायो’ और ‘आयो’ दोनों शब्दों की अंतिम ध्वनि एक जैसी है। इस विशेषता को ‘तुक’ कहते हैं। इस पूरे पद में प्रत्येक पंक्ति के अंतिम शब्द का तुक मिलता है। अनेक कवि अपनी रचना को प्रभावशाली बनाने के लिए तुक का उपयोग करते हैं।

(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने – अपने समूह में मिलकर इस पाठ की विशेषताओं की सूची बनाइए, जैसे इस पद की अंतिम पंक्ति में कवि ने अपना नाम भी दिया है आदि।

(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।

उत्तर: (क) इस पाठ “मैया मैं नहिं माखन खायो” की कई विशेषताएँ हैं, जो इसे अद्वितीय और महत्वपूर्ण बनाती हैं। नीचे दी गई सूची में इन विशेषताओं का उल्लेख किया गया है:

  1. कवि का नामकरण: पाठ की अंतिम पंक्ति में कवि सूरदास ने अपना नाम “सूरदास” दिया है, जो उनकी पहचान और कृतियों की विशेषता है।
  2. भाषा और शैली: यह कविता ब्रजभाषा में लिखी गई है, जो इसे स्थानीयता और सांस्कृतिक गहराई प्रदान करती है।
  3. भावनात्मक गहराई: पाठ में मातृत्व का प्रेम और स्नेह स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है, विशेषकर यशोदा माता और श्रीकृष्ण के बीच।
  4. बाल लीलाओं का चित्रण: श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मनोहर वर्णन किया गया है, जो पाठ को आकर्षक बनाता है।
  5. संगीतात्मकता: कविता में तुकबंदी का प्रयोग किया गया है, जिससे यह सुनने में मधुर और आकर्षक लगती है।
  6. संवादात्मक शैली: पाठ में श्रीकृष्ण और यशोदा के बीच संवाद है, जो पाठ को जीवंत बनाता है।
  7. सांस्कृतिक संदर्भ: पाठ में भारतीय संस्कृति और परंपराओं का उल्लेख है, जैसे कि गायों की देखभाल और माखन खाना, जो भारतीय जीवनशैली का हिस्सा हैं।
  8. शिक्षाप्रद तत्व: पाठ में बच्चों को सिखाने के लिए नैतिक शिक्षा भी निहित है, जैसे कि ईमानदारी और माता-पिता के प्रति सम्मान।
  9. सामाजिक संबंधों का चित्रण: पाठ में मित्रों और ग्वाल-बालों के साथ श्रीकृष्ण के संबंधों का उल्लेख है, जो सामाजिक बंधनों को दर्शाता है।

निष्कर्ष

इन विशेषताओं के माध्यम से, पाठ “मैया मैं नहिं माखन खायो” न केवल एक कविता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, मातृत्व के प्रेम, और बच्चों की मासूमियत का एक सुंदर चित्रण है।

(ख) जब आप अपने समूह में पाठ “मैया मैं नहिं माखन खायो” की विशेषताओं की सूची साझा करते हैं, तो आप निम्नलिखित बिंदुओं को प्रस्तुत कर सकते हैं:

  1. कवि का नामकरण: पाठ की अंतिम पंक्ति में कवि सूरदास ने अपना नाम दिया है, जो उनकी पहचान को दर्शाता है।
  2. भाषा और शैली: यह कविता ब्रजभाषा में लिखी गई है, जो इसे सांस्कृतिक गहराई प्रदान करती है।
  3. भावनात्मक गहराई: पाठ में मातृत्व का प्रेम और स्नेह स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है, विशेषकर यशोदा माता और श्रीकृष्ण के बीच।
  4. बाल लीलाओं का चित्रण: श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मनोहर वर्णन पाठ को आकर्षक बनाता है।
  5. संगीतात्मकता: कविता में तुकबंदी का प्रयोग किया गया है, जिससे यह सुनने में मधुर लगती है।
  6. संवादात्मक शैली: पाठ में श्रीकृष्ण और यशोदा के बीच संवाद है, जो इसे जीवंत बनाता है।
  7. सांस्कृतिक संदर्भ: पाठ में भारतीय संस्कृति और परंपराओं का उल्लेख है, जैसे गायों की देखभाल और माखन खाना।
  8. शिक्षाप्रद तत्व: पाठ में नैतिक शिक्षा निहित है, जैसे ईमानदारी और माता-पिता के प्रति सम्मान।
  9. सामाजिक संबंधों का चित्रण: पाठ में मित्रों और ग्वाल-बालों के साथ श्रीकृष्ण के संबंधों का उल्लेख है, जो सामाजिक बंधनों को दर्शाता है।

साझा करने की प्रक्रिया

  • प्रस्तुति: अपने समूह के सदस्यों को एक-एक करके इन विशेषताओं को प्रस्तुत करने के लिए कहें।
  • चर्चा: प्रत्येक विशेषता पर चर्चा करें और देखें कि क्या कोई अन्य विशेषता जोड़ी जा सकती है।
  • प्रश्न: कक्षा के अन्य छात्रों से प्रश्न पूछें, जैसे कि “आपको इनमें से कौन सी विशेषता सबसे अधिक पसंद आई और क्यों?”

निष्कर्ष

इस प्रकार की चर्चा न केवल पाठ की गहराई को समझने में मदद करती है, बल्कि छात्रों के बीच संवाद और विचारों के आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देती है।

अनुमान या कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-

(क) श्रीकृष्ण अपनी माँ यशोदा को तर्क क्यों दे रहे होंगे?

(ख) जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को गले से लगा लिया, तब क्या हुआ होगा?

उत्तर: (क) श्रीकृष्ण ने अपनी माँ यशोदा को तर्क देने के कई संभावित कारण हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

बाल लीलाओं का आनंद: श्रीकृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं के माध्यम से यह भी दिखाया कि वे कितने चतुर और चंचल हैं। उनके तर्कों में एक खेल का तत्व भी था, जो उनकी शरारतों को दर्शाता है।

निर्दोषता का प्रमाण: श्रीकृष्ण ने माखन खाने के आरोप से खुद को निर्दोष साबित करने का प्रयास किया। वे यह दिखाना चाहते थे कि वे एक छोटे बालक हैं और उनके छोटे हाथों से माखन तक पहुँचना संभव नहीं है।

माँ का विश्वास जीतना: श्रीकृष्ण अपनी माँ का विश्वास जीतना चाहते थे। वे यह नहीं चाहते थे कि यशोदा माता उन्हें पराया समझें या उन पर संदेह करें।

मासूमियत का प्रदर्शन: श्रीकृष्ण की मासूमियत और चंचलता को दर्शाने के लिए उन्होंने तर्क दिए। वे यह दिखाना चाहते थे कि वे एक साधारण बच्चे हैं जो खेल-कूद में व्यस्त रहते हैं।

माता-पिता के प्रति सम्मान: श्रीकृष्ण ने यह भी दिखाया कि वे अपनी माँ का सम्मान करते हैं और उनकी भावनाओं को समझते हैं। वे नहीं चाहते थे कि यशोदा माता उनके बारे में गलत सोचें।

(ख) जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को गले से लगाया, तब यह एक भावनात्मक और महत्वपूर्ण क्षण था। इस क्षण में निम्नलिखित संभावित घटनाएँ हो सकती हैं:

सुखद वातावरण: इस गले लगाने से वातावरण में एक सुखद और प्रेमपूर्ण माहौल बनता है। यह क्षण न केवल यशोदा और श्रीकृष्ण के लिए, बल्कि उनके चारों ओर के लोगों के लिए भी एक आनंददायक अनुभव हो सकता है।

माँ का प्रेम: यशोदा माता का गले लगाना उनके असीम प्रेम और स्नेह को दर्शाता है। यह एक माँ का अपने बच्चे के प्रति गहरा भावनात्मक संबंध है, जिसमें वह अपने बच्चे की मासूमियत और निर्दोषता को महसूस करती हैं।

श्रीकृष्ण की खुशी: श्रीकृष्ण इस गले लगाने के क्षण में खुशी और संतोष का अनुभव कर सकते हैं। उन्हें अपनी माँ का स्नेह और समर्थन प्राप्त होता है, जो उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

संदेह का अंत: यशोदा माता का गले लगाना यह संकेत कर सकता है कि उन्होंने श्रीकृष्ण की बातों पर विश्वास कर लिया है और उनके प्रति अपने संदेह को समाप्त कर दिया है। यह एक प्रकार का सुलह का क्षण है।

भावनात्मक जुड़ाव: इस क्षण में माँ और बेटे के बीच एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव बनता है। यह न केवल उनके रिश्ते को मजबूत बनाता है, बल्कि यह दर्शाता है कि माता-पिता और बच्चों के बीच का बंधन कितना महत्वपूर्ण है।

शब्दों के रूप

नीचे शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं।

(क) “ भोर भयो गैयन के पाछे”
इस पंक्ति में ‘पाछे’ शब्द आया है। इसके लिए ‘पीछे’ शब्द का उपयोग भी किया जाता है। इस पद में ऐसे कुछ और शब्द हैं जिन्हें आप कुछ अलग रूप में लिखते और बोलते होंगे। नीचे ऐसे ही कुछ अन्य शब्द दिए गए हैं। इन्हें आप जिस रूप में बोलते लिखते हैं, उस प्रकार से लिखिए ।
• परे ……………………
उत्तर:
• परे – दूर

• छोटो …………….
उत्तर:
• छोटो – छोटा

• बिधि ……………
उत्तर:
• बिधि – विधि, प्रकार

• भोरी ………………..
उत्तर:
• भोरी – प्रातःकाल, भोली

• कछु ……………
उत्तर:
• कछु – कुछ

• लै लेना ……………
उत्तर:
• लै – लेना, ले

• नहिं नहीं
उत्तर:
• नहिं – नहीं

(ख) पद में से कुछ शब्द चुनकर नीचे स्तंभ 1 में दिए गए हैं और स्तंभ 2 में उनके अर्थ दिए गए हैं। शब्दों का उनके सही अर्थों से मिलान कीजिए-

उत्तर:

स्तंभ 1स्तंभ 2
1. उपजि2. उपजना, उत्पन्न होना
2. जानि3. जानकर, समझकर
3. जायो8. जन्मा
4. जिय7. मन, जी
5. पठायो11. भेज दिया
6. पतियायो4. विश्वास किया, सच माना
7. बहियन5. बाँह हाथ, भुजा
8. बिधि6. प्रकार, भाँति, रीति
9. बिहँसि1. मुसकाई, हँसी
10. भटक्योयो10. इधर-उधर घूमा या भटका
11. लपटायो9. माला, लगाया, पोता

वर्ण-परिवर्तन

“तू माता मन की अति भोरी‘
‘भोरी’ का अर्थ है ‘भोली’। यहाँ ‘ल’ और ‘र’ वर्ण परस्पर बदल गए हैं। आपने ध्यान दिया होगा कि इस पद में कुछ और शब्दों में भी ‘ल’ या ‘ड़’ और ‘र’ में वर्ण परिवर्तन हुआ है। ऐसे शब्द चुनकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

उत्तर:

नीचे कुछ शब्द दिए गए हैं जिनमें ‘ल’ या ‘ड़’ और ‘र’ के बीच वर्ण परिवर्तन हुआ है:

शब्दवर्ण परिवर्तन
1. भोरीभोली
2. बिधिविधि
3. कछुकुछ
4. लैले
5. नहिंनहीं

पंक्ति से पंक्ति

नीचे स्तंभ 1 में कुछ पंक्तियाँ दी गयी हैं और स्तंभ 2 में उनके भावार्थ दिए गए हैं। रेखा खींचकर सही मिलान कीजिए।

उत्तर:

स्तंभ 1 (पंक्तियाँ)स्तंभ 2 (भावार्थ)
1. भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो।4. सुबह होते ही गायों के पीछे मुझे मधुबन भेज दिया।
2. चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो।5. चार पहर बंसीवट में भटकने के बाद साँझ होने पर घर आया।
3. मैं बालक बहिंयन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो।1. मैं छोटा बालक हूँ, मेरी बाँहें छोटी हैं, मैं छीकें तक कैसे पहुँच सकता हूँ?
4. ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो।6. ये सब सखा मुझसे बैर रखते हैं, इन्होंने मक्खन हठपूर्वक मेरे मुख पर लिपटा दिया।
5. तू माता मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायो।3. माँ तुम मन की बड़ी भोली हो, इनकी बातों में आ गई हो।
6. जिय तेरे कछु भेद उपजि है, जानि परायो जायो।2. तेरे हृदय में अवश्य कोई भेद है, जो मुझे पराया समझ लिया।

सही मिलान

  • 1 → 4
  • 2 → 5
  • 3 → 1
  • 4 → 6
  • 5 → 3
  • 6 → 2

पाठ से आगे 

आपकी बात

” मैया मैं नहिं माखन खायो ”
यहाँ श्रीकृष्ण अपनी माँ के सामने सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया है। कभी-कभी । हमें दूसरों के सामने सिद्ध करना पड़ जाता है कि यह कार्य हमने नहीं किया। क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? कब ? किसके सामने ? आपने अपनी बात सिद्ध करने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए? उस घटना के बारे में बताइए ।

उत्तर: कभी-कभी जीवन में ऐसी परिस्थितियाँ आती हैं जब हमें अपने ऊपर लगे आरोपों का सामना करना पड़ता है और हमें अपनी बात साबित करने की आवश्यकता होती है।

घटना का विवरण

एक बार, जब मैं स्कूल में था, मेरे सहपाठियों ने मुझ पर यह आरोप लगाया कि मैंने कक्षा में एक साथी के पेन को छिपा दिया है। यह आरोप सुनकर मैं चौंक गया क्योंकि मैंने ऐसा कुछ नहीं किया था।

स्थिति का सामना

इस स्थिति में, मैंने सबसे पहले अपने सहपाठियों से शांति से बात की। मैंने कहा:

  1. साक्ष्य की मांग: मैंने उनसे पूछा कि क्या उनके पास कोई ठोस सबूत है जो यह साबित करता है कि मैंने पेन छिपाया है।
  2. स्वयं की स्थिति स्पष्ट करना: मैंने बताया कि मैं उस समय कक्षा में अपने नोट्स पर ध्यान दे रहा था और मुझे नहीं पता था कि पेन कहाँ गया।
  3. सकारात्मक दृष्टिकोण: मैंने यह भी कहा कि अगर किसी ने पेन को देखा है, तो हमें मिलकर उसे ढूँढना चाहिए, बजाय इसके कि हम एक-दूसरे पर आरोप लगाएँ।

परिणाम

आखिरकार, मैंने अपने सहपाठियों को यह समझाने में सफल रहा कि मैं निर्दोष हूँ। हमने मिलकर पेन को खोजा और वह अंततः कक्षा के कोने में मिला। इस घटना ने मुझे यह सिखाया कि कभी-कभी हमें अपनी बात साबित करने के लिए धैर्य और तर्क का सहारा लेना पड़ता है।

निष्कर्ष

इस प्रकार, जब भी हमें किसी आरोप का सामना करना पड़ता है, हमें शांति से स्थिति का सामना करना चाहिए और अपने तर्कों के माध्यम से अपनी बात को स्पष्ट करना चाहिए। यह न केवल हमारी ईमानदारी को साबित करता है, बल्कि दूसरों के सामने हमारी विश्वसनीयता भी बढ़ाता है।

घर की वस्तुएँ

“मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो । ” ‘छींका’ घर की एक ऐसी वस्तु है जिसे सैकड़ों वर्ष से भारत में उपयोग में लाया जा रहा है।
नीचे कुछ और घरेलू वस्तुओं के चित्र दिए गए हैं। इन्हें आपके घर में क्या कहते हैं? चित्रों के नीचे लिखिए। यदि किसी चित्र को पहचानने में कठिनाई हो तो आप अपने शिक्षक, परिजनों या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।

उत्तर:
मटका, प्रेस (इस्तरी), चौपाया, सिलाई मशीन, चारपाई, मर्तबान, सूप, सिल- लोढ़ा ( पट्टा), जाँत, बेना (पंखा), मथानी, चलनी, कटोरदान, ओखली, मथानी – मटका

आप जानते ही हैं कि श्रीकृष्ण को मक्खन बहुत पसंद था। दूध से दही, मक्खन बनाया जाता है और मक्खन से घी बनाया जाता है। नीचे दूध घी बनाने की प्रक्रिया संबंधी कुछ चित्र दिए गए हैं। अपने परिवार के सदस्यों, शिक्षकों या इंटरनेट आदि की सहायता से दूध से घी बनाने की प्रक्रिया लिखिए।

उत्तर:

दूध से घी बनाने की प्रक्रिया एक पारंपरिक और सरल विधि है। यहाँ पर इस प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से समझाया गया है:

सामग्री:

  • ताजा दूध
  • दही (जैसे कि दूध को जमाने के लिए)
  • समय (दही जमाने के लिए)
  • मथानी (या मथने के लिए कोई अन्य उपकरण)

प्रक्रिया:

  1. दूध का चयन:
    • सबसे पहले ताजा और अच्छे गुणवत्ता का दूध लें। गाय या भैंस का दूध उपयोग किया जा सकता है।
  2. दही बनाना:
    • दूध को उबालें और फिर इसे ठंडा होने दें। जब दूध हल्का गर्म हो जाए, तब उसमें एक चम्मच दही मिलाएँ।
    • दूध को ढककर कुछ घंटों के लिए रख दें ताकि दही जम जाए।
  3. दही को मथना:
    • जब दही अच्छी तरह से जम जाए, तब इसे एक बर्तन में डालें।
    • दही को मथानी या मथने वाले उपकरण से अच्छी तरह मथें। मथने से दही में से मक्खन निकलने लगेगा।
  4. मक्खन का संग्रहण:
    • मथने के बाद, एक पीले रंग का मक्खन दिखाई देगा। इसे एक अलग बर्तन में निकाल लें।
    • बचे हुए तरल को छानकर निकाल दें, यह छाछ कहलाता है और इसे अन्य व्यंजनों में उपयोग किया जा सकता है।
  5. मक्खन को घी में बदलना:
    • अब इस मक्खन को एक कढ़ाई में डालें और धीमी आंच पर गरम करें।
    • मक्खन को गरम करने पर यह पिघल जाएगा और उसमें से पानी व अन्य अशुद्धियाँ निकल जाएँगी।
    • जब मक्खन पूरी तरह से पिघल जाए और उसमें से फेन निकलने लगे, तब इसे और कुछ समय तक पकाएँ।
  6. घी का संग्रहण:
    • जब मक्खन सुनहरा रंग का हो जाए और उसमें से सभी पानी व अशुद्धियाँ निकल जाएँ, तब इसे आंच से उतार लें।
    • घी को ठंडा होने दें और फिर इसे एक साफ और सूखे बर्तन में डालें।

समय का माप

” चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो।।”

(क) ‘पहर’ और ‘साँझ’ शब्दों का प्रयोग समय बताने के लिए किया जाता है। समय बताने के लिए और कौन-कौन से शब्दों का प्रयोग किया जाता है? अपने समूह में मिलकर सूची बनाइए और कक्षा में
साझा कीजिए ।
(संकेत- कल, ऋतु, वर्ष, अब पखवाड़ा, दशक, वेला अवधि आदि )

उत्तर: समय बताने के लिए उपयोग होने वाले शब्दों की सूची:

सप्ताह – 7 दिनों की अवधि।

कल – अगले दिन का संकेत।

ऋतु – मौसम की अवधि (जैसे: गर्मी, सर्दी, बरसात)।

वर्ष – एक साल की अवधि।

अब – वर्तमान समय का संकेत।

पखवाड़ा – 15 दिनों की अवधि।

दशक – 10 वर्षों की अवधि।

वेला – समय का एक विशेष क्षण।

अवधि – किसी कार्य या घटना की समय सीमा।

सुबह – दिन की शुरुआत का समय।

दोपहर – दिन का मध्य समय।

रात – रात का समय।

(ख) श्रीकृष्ण के अनुसार वे कितने घंटे गाय चराते थे?

उत्तर: पाठ के अनुसार, श्रीकृष्ण ने कहा है कि वे “चार पहर बंसीवट भटक्योयो”। यहाँ ‘चार पहर’ का अर्थ है कि श्रीकृष्ण ने चार पहर यानी लगभग 12 घंटे गाय चराई।

समय का विवरण:

  • एक पहर = लगभग 3 घंटे
  • चार पहर = 4 × 3 = 12 घंटे

इस प्रकार, श्रीकृष्ण ने लगभग 12 घंटे गाय चराने में बिताए।

(ग) मान लीजिए वे शाम को छह बजे गाय चराकर लौटे। वे सुबह कितने बजे गाय चराने के लिए घर से निकले होंगे?

उत्तर: यदि श्रीकृष्ण शाम को 6 बजे गाय चराकर लौटे और उन्होंने चार पहर (12 घंटे) गाय चराई, तो हमें यह जानने के लिए 12 घंटे पीछे जाना होगा कि वे सुबह कितने बजे निकले थे।

समय की गणना:

  • शाम 6 बजे – 12 घंटे = सुबह 6 बजे

इस प्रकार, श्रीकृष्ण सुबह 6 बजे गाय चराने के लिए घर से निकले होंगे।

(घ) ‘दोपहर’ का अर्थ है ‘दो पहर’ का समय। जब दूसरे पहर की समाप्ति होती है और तीसरे पहर का प्रारंभ होता है। यह लगभग 12 बजे का समय होता है, जब सूर्य सिर पर आ जाता है। बताइए दिन के पहले पहर का प्रारंभ लगभग कितने बजे होगा?

उत्तर:

  • दोपहर का समय लगभग 12 बजे होता है, जो कि दूसरे पहर की समाप्ति और तीसरे पहर की शुरुआत का समय है।
  • पहला पहर आमतौर पर सुबह 6 बजे से शुरू होता है और यह तीन घंटे तक चलता है।

समय का विवरण:

  • पहला पहर: सुबह 6 बजे से 9 बजे तक
  • दूसरा पहर: सुबह 9 बजे से 12 बजे तक

इस प्रकार, दिन के पहले पहर का प्रारंभ लगभग सुबह 6 बजे होगा।

हम सब विशेष हैं

(क) महाकवि सूरदास दृष्टिबाधित थे। उनकी विशेष क्षमता थी उनकी कल्पना शक्ति और कविता रचने की कुशलता ।
हम सभी में कुछ न कुछ ऐसा होता है जो हमें सबसे विशेष और सबसे भिन्न बनाता है।
नीचे दिए गए व्यक्तियों की विशेष क्षमताएँ क्या हैं, विचार कीजिए और लिखिए-
आपकी………………………………………….
आपके …………………………………..
आपके शिक्षक की ……………………….
आपके मित्र की ……………………..

उत्तर: महाकवि सूरदास की दृष्टिबाधिता के बावजूद उनकी कल्पना शक्ति और कविता रचने की कुशलता उन्हें विशेष बनाती है। इसी प्रकार, हम सभी में कुछ न कुछ विशेषताएँ होती हैं जो हमें अद्वितीय बनाती हैं। आइए, हम कुछ व्यक्तियों की विशेष क्षमताओं पर विचार करें:

आपकी विशेष क्षमता:

  • विशेषता: आपकी विशेष क्षमता हो सकती है कि आप दूसरों की भावनाओं को समझने में माहिर हैं। आप हमेशा अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों का समर्थन करते हैं और उनकी समस्याओं को सुनते हैं।

आपके परिजन की विशेष क्षमता:

  • विशेषता: आपके किसी परिजन की विशेष क्षमता हो सकती है कि वे खाना बनाने में बहुत अच्छे हैं। वे विभिन्न प्रकार के व्यंजन बना सकते हैं और परिवार के सभी सदस्यों को खुश रखते हैं।

आपके शिक्षक की विशेष क्षमता:

  • विशेषता: आपके शिक्षक की विशेष क्षमता हो सकती है कि वे जटिल विषयों को सरलता से समझा सकते हैं। उनकी शिक्षण शैली प्रेरणादायक होती है और वे छात्रों को सीखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

आपके मित्र की विशेष क्षमता:

  • विशेषता: आपके मित्र की विशेष क्षमता हो सकती है कि वे खेलों में बहुत अच्छे हैं। वे टीम के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं और हमेशा सकारात्मक ऊर्जा के साथ खेलते हैं।

इस प्रकार, हर व्यक्ति की अपनी विशेषताएँ होती हैं जो उन्हें अद्वितीय बनाती हैं। हमें इन विशेषताओं का सम्मान करना चाहिए और एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।

(ख) एक विशेष क्षमता ऐसी भी है जो हम सबके पास होती है। वह क्षमता है सबकी सहायता करना, सबके भले के लिए सोचना । तो बताइए, इस क्षमता का उपयोग करके आप इनकी सहायता कैसे करेंगे-

  • एक सहपाठी पढ़ना जानता है और उसे एक पाठ समझ में नहीं आ रहा है।
  • एक सहपाठी को पढ़ना अच्छा लगता है और वह देख नहीं सकता।
  • एक सहपाठी बहुत जल्दी-जल्दी बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है।
  • एक सहपाठी बहुत अटक अटक कर बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है।
  • एक सहपाठी को चलने में कठिनाई है और वह सबके साथ दौड़ना चाहता है।
  • एक सहपाठी प्रतिदिन विद्यालय आता है और उसे सुनने में कठिनाई है।

उत्तर: हम सभी में एक विशेष क्षमता होती है, जो है दूसरों की सहायता करना और सबके भले के लिए सोचना। आइए, हम इस क्षमता का उपयोग करके विभिन्न सहपाठियों की सहायता करने के तरीकों पर विचार करें:

1. एक सहपाठी पढ़ना जानता है और उसे एक पाठ समझ में नहीं आ रहा है:

  • सहायता का तरीका: मैं उसे पाठ को सरल शब्दों में समझाने की कोशिश करूंगा। हम मिलकर उस पाठ को पढ़ सकते हैं और उसके महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा कर सकते हैं। इससे उसे विषय को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।

2. एक सहपाठी को पढ़ना अच्छा लगता है और वह देख नहीं सकता:

  • सहायता का तरीका: मैं उसे पाठ पढ़कर सुनाने में मदद करूंगा। इसके अलावा, मैं उसे ब्रेल या ऑडियो सामग्री उपलब्ध कराने की कोशिश करूंगा, ताकि वह अपनी पढ़ाई को जारी रख सके।

3. एक सहपाठी बहुत जल्दी-जल्दी बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है:

  • सहायता का तरीका: मैं उसे भाषण के लिए तैयारी करने में मदद करूंगा। हम मिलकर उसके भाषण को प्रैक्टिस कर सकते हैं, ताकि वह आत्मविश्वास के साथ धीरे-धीरे बोल सके। मैं उसे सही तरीके से बोलने के लिए सुझाव भी दे सकता हूँ।

4. एक सहपाठी बहुत अटक अटक कर बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है:

  • सहायता का तरीका: मैं उसे धैर्यपूर्वक सुनूंगा और उसे प्रोत्साहित करूंगा। हम उसके भाषण को छोटे हिस्सों में बांटकर अभ्यास कर सकते हैं, ताकि वह धीरे-धीरे बोलने में सहज महसूस करे।

5. एक सहपाठी को चलने में कठिनाई है और वह सबके साथ दौड़ना चाहता है:

  • सहायता का तरीका: मैं उसे दौड़ने में मदद करने के लिए उसके साथ चलूँगा। हम मिलकर खेलों में भाग ले सकते हैं और उसे प्रोत्साहित कर सकते हैं, ताकि वह अपनी गति को बढ़ा सके। इसके अलावा, मैं उसे अन्य गतिविधियों में शामिल करने का प्रयास करूंगा, ताकि वह समूह का हिस्सा बन सके।

6. एक सहपाठी प्रतिदिन विद्यालय आता है और उसे सुनने में कठिनाई है:

  • सहायता का तरीका: मैं उसे ध्यान से सुनने और समझने में मदद करूंगा। मैं कोशिश करूंगा कि मैं उसे स्पष्ट और धीमे बोलकर समझाऊं। इसके अलावा, मैं उसे नोट्स या लिखित सामग्री प्रदान कर सकता हूँ, ताकि वह कक्षा में जो कुछ भी हो रहा है, उसे समझ सके।

इस प्रकार, हम सभी एक-दूसरे की सहायता करके एक सकारात्मक और सहयोगी वातावरण बना सकते हैं।

आज की पहेली

दूध से मक्खन ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ बनाया जाता है। नीचे दूध से बनने वाली कुछ वस्तुओं के चित्र दिए गए हैं। दी गई शब्द पहेली में उनके नाम के पहले अक्षर दे दिए गए हैं। नाम पूरे कीजिए-

उत्तर: खोवा, दही, मलाई, मिठाई, छाछ, मट्ठा, लस्सी, घी, पनीर, आईसक्रीम।

खोजबीन के लिए

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उत्तर: छात्र / छात्राएँ स्वयं करें।

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