NCERT Solutions for Class 11
Hindi (Antra) Chapter-19 Ghar mai wapshi : Summary
Class-11 काव्य खंड –19 घर में वापसी : सारांश
कवि-
धुमिल
कवि ‘धूमिल’ जी ने ‘घर में वापसी’ कविता में यह बताया है , कि सभी लोगों का जीवन संसार की भागम-भाग में भरा हुआ है। हम दौड़ते-भागते ही अपने सारे काम करते हैं , लेकिन हमें इस भागम-भाग भरे जीवन से बाहर निकलने के लिए स्नेह की जरूरत है ‚ प्रेम की जरूरत है , अपनों के अपनेपन की जरूरत है , सुरक्षा की जरूरत है , यह सब हमें कहां मिलेगी? यह सब अपने घर में मिलेगी जिस घर में हम रहते हैं।
अब कवि ने बताया है , कि उनके घर में पांच जोड़ी आंखें हैं, अर्थात परिवार में पांच सदस्य रहते हैैं। उनमें से एक लेखक की मां है , वे जीवन के इस मोड़ पर आ गई हैं , कि उनकी आंखों की रोशनी अंतिम चरण से पहले ही चली गई है। इस स्थिति को लेखक ने बस की दो पंचर पहिए बताया है। पिता की आंखों को लेखक ने औजार बनाने वाली भट्टी के समान बताया है , कि पिता की आंखें उम्र के साथ ठंडी पड़ गई हैं जैसे भट्टी में जब लोहा तपता है तो गर्म दिखाई देता है लेकिन जब वह ठंडा हो जाता है तो उसमें बिल्कुल भी तेज नहीं रहता कोई प्रकाश नहीं रहता , ठीक वैसा ही अब उनके पिता की आंखों में हो गया है। आखिर में वह अपनी पत्नी की आंखों के बारे में बताते हैं। पत्नी की आंखें तो सबसे अलग है , क्योंकि पत्नी की आंखें उनका साथ देती है व अपने पति को आश्रय भी देती है।
घर के सभी लोगो के बीच में एक गरीबी की दीवार है , यह अपने आप में एक बहुत बड़ा अभिशाप है। हमारे रिश्तो में अपनापन नहीं बचा है , खून में इतना भी लोहा शेष नहीं रह गया है कि उससे ताले की चाबी बनवाई जा सके जिससे सबके जीने की आकांक्षा ,स्फूर्ति ,ताकत ,ऊर्जा मिले। पूरे परिवार में किसी मे भी ऐसी ताकत नहीं बची है जिससे एक ऐसी चाबी बनाई जाए जिसमें से सब की उम्मीदें , हौसला व प्रेम जागरूक हो जाए और बंधनों में लगे तालों को उससे खोला जाए। अब लेखक कहते हैं कि हम रिश्तो के बारे में बड़े प्रेम से बातें तो करते हैं , लेकिन रिश्तो में जो कमी बची रह गई है उस पर हम कोई काम नहीं कर रहे हैं।
कवि ने इसमें यह भी बताया है , कि हम एक ही परिवार के होते हुए भी आपस में खुल कर बात नहीं कर पाते। रिश्तो में खुलापन नहीं है। एक दूसरे से सुख-दुख की चर्चा तक नहीं कर पाते। पारिवारिक विखराव और टूटन अधिक है। हमारे रिश्तो में एक प्रकार की रुकावट सी आ गई है।
कवि कहते है कि , हमारे खून में भी इतनी ताकत नहीं रह गई है ,कि हम इससे चाभी बनवाकर अपने संबंधों में लगी जंग , एक मिट्टी की परत हटा सके और संबंधों में लगे तालों को खोल सके और साथ ही साथ परिवार के सदस्य के बीच में प्रेम पैदा हो सके।
कवि ‘धूमिल’ कहते है कि कितना अच्छा होता जब हम पारस्परिक संबंधों का विचार कर सकते और स्नेहयुक्त वाणी में कह सकते कि ,यह मेरे पिता हैं ,यह मेरी माता है ,यह मेरे भाई-बहन हैं। इसी तरह घर में एक निस्वार्थ प्रेम बन जाता और जो गरीबी है वह भी खत्म हो जाती और परिवार के लोग भी एक हो जाते।
कवि कहते हैं कि , मेरी पत्नी घर पर सदस्य ही नहीं वो मेरा सहारा है ,मेरी सहयोगिनी है उसी ने मुझे और मेरे परिवार को गिरने अर्थात टूटने से रोक रखा है। मेरी पत्नी की आंखों में निस्वार्थ प्रेम मेरे लिए सहारा बन जाता है। वह मुझे आर्थिक संकटों से जूझने मदद करती है।
शब्दार्थ :-
पड़ाव – चरण
शलाखें – लोहे की छड़
स्वजन – अपने जान-पहचान के लोग
लोहसाँय – भट्टी , जो लोहे के औजारों को बनाती है
दीवट – दीप , दिया रखने की जगह
पेशेवर – बहुत समय से
भुन्ना ली – जंग लगना
जोखिम – खतरा , संकट
लोहा – बल , शक्ति
र – पत्नी , जीवन साथी