Class 11 political science (राजनीतिक विज्ञान) chapter- 4 कार्यपालिका most imp questions/answers

NCERT Solutions for class 11 (Political.science) chapter- 4 Karyapalika most important questions/answer

प्रश्न: 1 कार्यपालिक का वया अर्थ है?

उत्तर:

कार्यपालिका सरकार का वह अंग है जो विधायिका द्वारा स्वीकृत नीतियों और कानूनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है।

प्रश्न: 2 कार्यपालिका के दो रुप कौन-कौन से हैं ?

उत्तर:

1. संसदीय कार्यपालिका तथा
2. अध्यक्षात्मक कार्यपालिका।

प्रश्र: 3 कार्यपालिका में मुख्यतः किन-किन लोगों को सम्मिलित किया जाता है?

उत्तरः

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद और नौकरशाही।

प्रश्र: 4 भारत में गठबंधन की सरकारों का युग कब से शुरू हुआ।

उत्तरः

1989

प्रश्र: 5 किस व्यक्ति ने सरकार की “केन्द्रीय धुरी, प्रधानमंत्री है,” की संज्ञा दी।

उत्तरः

प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू।

प्रश्र: 6 जिला कलेक्टर सामान्यतः किस स्तर का अधिकारी होता है?

उत्तरः

भारतीय प्रशासनिक सेवा।

प्रश्र: 7 राज्यसभा का सभापति कौन होता है?

उत्तर:

उपराष्ट्रपति।

प्रश्र: 8 किन देशों में व्यवस्थापिका के दोनों सदनों द्वारा कार्यपालिका के अध्यक्ष या समिति का चुनाव होता है?

उत्तर:

स्विट्जरलैण्ड , यूगोस्लाविया और तुर्की।

प्रश्न: 9 किन देशों में कार्यपालिका के अध्यक्ष का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं के मतों द्वारा होता है?

उत्तर:

फ्रांस , ब्राजील , चिली , पेरू , मैक्सिको , घाना आदि।

प्रश्र: 10 नाममात्र की कार्यपालिका का एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर:

भारत का राष्ट्रपति व ब्रिटेन की सम्राज्ञी नाममात्र की कार्यपालिका के उदाहरण हैं।

प्रश्र: 11 भारत के राष्ट्रपति पद पर कोई व्यक्ति कितनी बार निर्वाचित हो सकता है?

उत्तर:

भारत के राष्ट्रपति पद पर कोई व्यक्ति अनेक बार निर्वाचित हो सकता है।

प्रश्र: 12 कार्यपालिका के दो प्रमुख कार्य बताइए?

उत्तर :

1. कार्यपालिका व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित कानूनों को कार्यान्वित करती है तथा

2. विदेश नीति का संचालन करती है।

प्रश्र: 13 भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन किस प्रकार होता है?

उत्तर :

भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक-मण्डल द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अन्तर्गत एकल संक्रमणीय पद्धति के आधार पर होता है।


प्रश्र: 14 जब संसद में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलता तब प्रधानमंत्री किस व्यक्ति को बनाया जाता है? ऐसे में प्रधानमंत्री की शक्तियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर :

तब राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त करता है , जो सदन में बहुमत प्राप्त कर लेता है जिससे प्रधानमंत्री की एकाधिकारवादी शक्तियां कम हो जाती है और विचार-विर्मश अधिक हो जाता है।

प्रश्र: 15 नौकरशाही राजनीतिक कार्यपालिका की किस प्रकार से सहायता करती है?

उत्तर:

नौकरशाही मंत्रियों को नीतियों को बनाने तथा उन्हें लागू करने में सहायक , तथा नीतियों पर विचार करते समय किसी राजनीतिक दृष्टिकोण का समर्थन नहीं।

प्रश्र: 16 जर्मनी में सरकार का प्रधान कौन होता है?

उत्तर:

चांसलर।

प्रश्र: 17 भारत के राष्ट्रपति पद पर कोई व्यक्ति कितनी बार निर्वाचित हो सकता है?

उत्तर:

भारत के राष्ट्रपति पद पर कोई व्यक्ति अनेक बार निर्वाचित हो सकता है।

प्रश्र: 18 भारत में संसदीय प्रणाली को क्यों अपनाया गया है?

उत्तर:

भारतीय संविधान में इस बात के लिए लम्बी बहस चली कि संसदीय प्रणाली को अपनाया जाए या अध्यक्षात्मक प्रणाली को। कुछ सदस्य संसदात्मक प्रणाली के पक्ष में थे तथा कुछ सदस्य स्थिरता के कारण अध्यक्षात्मक प्रणाली की इच्छा रखते थे। परन्तु अन्त में संसदीय प्रणाली को अपनाने का निर्णय लिया गया।

इसके निम्नलिखित कारण थे:-

1. संसदीय प्रणाली भारत की परिस्थितियों के अधिक अनुकूल है।

2. संसदीय प्रणाली से भारतीय प्रशासक अधिक परिचित थे।

3. संसदीय सरकार अधिक उत्तरदायी सरकार है।

4. इसमें शासन व जनता के बीच अधिक निकटता है। संसदीय प्रणाली में जनता व जनता के प्रतिनिधि अधिक प्रभावकारी तरीके से कार्यपालिका पर नियन्त्रण रखते हैं।

प्रश्र: 19 मंत्रिपरिषद् किसके प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी है?

उत्तर:

मंत्रिपरिषद् लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी है।


प्रश्र: 20 संविधान के अनुसार मंत्रिपरिषद् का क्या कार्य है?

उत्तर:

संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार मंत्रिपरिषद् का मुख्य कार्य राष्ट्रपति को सहायता व सलाह देना है।

प्रश्र: 21 संघीय मंत्रिपरिषद् के महत्व को स्पष्ट कीजिए?

उत्तर:

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार , “राष्ट्रपति को उसके कार्यों के सम्पादन में सहायता एवं परामर्श देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् होगी , जिसका प्रधान , प्रधानमंत्री होगा।” इस प्रकार संविधान की दृष्टि से राष्ट्रपति राज्य को प्रमुख है , लेकिन वास्तविक कार्यपालिका मंत्रिपरिषद् है।

भारतीय संविधान ने देश में संसदात्मक शासन व्यवस्था की स्थापना की है संसदात्मक शासन का सबसे महत्त्वपूर्ण एवं प्रमुख अंग मंत्रिपरिषद् ही है। संसदात्मक शासन व्यवस्था में मंत्रिपरिषद् शासन का आधार-स्तम्भ होता है। बेजहॉट ने मंत्रिपरिषद् को कार्यपालिका तथा विधायिका को जोड़ने वाला कब्जा कहा है। यद्यपि वैधानिक रूप से संघ की कार्यपालिका का सर्वेसर्वा राष्ट्रपति होता है, किन्तु वास्तविक शक्ति मंत्रिपरिषद् में केन्द्रित होती है। इसलिए मंत्रिपरिषद् का अधिक महत्त्वपूर्ण होना स्वाभाविक ही है।

प्रश्र: 22 मंत्रिपरिषद् में सम्मिलित मंत्रियों की कौन-कौन सी श्रेणियाँ होती हैं?

उत्तर :

मंत्रिपरिषद् में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं –

1. कैबिनेट मंत्री – प्रथम श्रेणी में उन मंत्रियों को लिया जाता है ,जो अनुभवी , प्रभावशाली एवं अधिक विश्वसनीय होते हैं। ये कैबिनेट की प्रत्येक बैठक में भाग लेते हैं और एक या अधिक विभागों के प्रभारी होते हैं।

2. राज्यमंत्री – इसमें राज्यमंत्रियों को सम्मिलित किया जाता है। इसमें दो प्रकार के मंत्री होते हैं –

(क) राज्यमंत्री , (ख) राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)। स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री मंत्रिमण्डल के सदस्य होते हैं।

3. उपमंत्री – इसके अन्तर्गत उपमंत्री आते हैं। ये किसी कैबिनेट मंत्री या राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के अधीनस्थ कार्य करते हैं। ये कैबिनेट के सदस्य नहीं होते हैं।

प्रश्र: 23 संविधान के 91 वें संशोधन द्वारा मंत्रिपरिषद से संबंधित किस प्रावधान को
सम्मिलित किया गया हैं?

उत्तरः

मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या लोकसभा की कुल सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होती।

प्रश्र: 24 किस व्यक्ति ने सरकार की “केन्द्रीय धुरी , प्रधानमंत्री है ,” की संज्ञा दी।

उत्तर:

प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू।

प्रश्र: 25 भारत में सिविल सेवा के सदस्यों की भर्ती का कार्यभार किसे सौंपा गया है?

उत्तरः

संघ लोक सेवा आयोग।

प्रश्र: 26 भारतीय कार्यपालिका का ‘पॉकेट वीटों’ किसके पास होता है?

उत्तर:

राष्ट्रपति।

प्रश्र: 27 भारत में संसदीय प्रणाली को क्यों अपनाया गया है?

उत्तर:

भारतीय संविधान में इस बात के लिए लम्बी बहस चली कि संसदीय प्रणाली को अपनाया जाए या अध्यक्षात्मक प्रणाली को। कुछ सदस्य संसदात्मक प्रणाली के पक्ष में थे तथा कुछ सदस्य स्थिरता के कारण अध्यक्षात्मक प्रणाली की इच्छा रखते थे। परन्तु अन्त में संसदीय प्रणाली को अपनाने का निर्णय लिया गया।

इसके निम्नलिखित कारण थे –

1. संसदीय प्रणाली भारत की परिस्थितियों के अधिक अनुकूल है।

2. संसदीय प्रणाली से भारतीय प्रशासक अधिक परिचित थे।

3. संसदीय सरकार अधिक उत्तरदायी सरकार है।

4. इसमें शासन व जनता के बीच अधिक निकटता है। संसदीय प्रणाली में जनता व जनता के प्रतिनिधि अधिक प्रभावकारी तरीके से कार्यपालिका पर नियन्त्रण रखते हैं।

प्रश्र: 28 अध्यक्षात्मक कार्यपालिका किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।

उत्तरः

जहां राष्ट्रपति कार्यपालिका तथा विधानपालिका दोनों का ही अध्यक्ष होता है।

प्रश्र: 29 राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?

उत्तरः

राष्ट्रपति।

प्रश्र: 30 नाममात्र की कार्यपालिका का एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर:

भारत का राष्ट्रपति व ब्रिटेन की सम्राज्ञी नाममात्र की कार्यपालिका के उदाहरण हैं।

प्रश्र: 31 जिला कलेक्टर सामान्यतः किस स्तर का अधिकारी होता है?

उत्तरः

भारतीय प्रशासनिक सेवा।

प्रश्र: 32 भारत के राष्ट्रपति पद पर कोई व्यक्ति कितनी बार निर्वाचित हो सकता है?

उत्तर:

भारत के राष्ट्रपति पद पर कोई व्यक्ति अनेक बार निर्वाचित हो सकता है।

प्रश्र: 33 व्यवस्थापिका किन दो तरीकों से कार्यपालिका पर नियन्त्रण स्थापित करती है?

उत्तर:

सैद्धान्तिक दृष्टि से व्यवस्थापिका सर्वोच्च है और कार्यपालिका उसके अधीन होती है। संसदीय शासन में कार्यपालिका व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी है तथा अध्यक्षात्मक प्रणाली में वह पृथक् रहकर व्यवस्थापिका के कानूनों को लागू करती है। परन्तु आधुनिक युग में कार्यपालिका के अधिकारों में निरन्तर वृद्धि हो रही है और आज वह विश्व के अनेक देशों में व्यवस्थापिका पर हावी होती जा रही है। इंग्लैंड में तो कहा जाता है कि आज मंत्रिमण्डल पर जो नियन्त्रण करती है वह संसद नहीं वरन् मंत्रिमण्डल है। ‘रैम्जे म्योर’ जैसे लेखक कैबिनेट की ‘तानाशाही’ की शिकायत करते हैं। उन्हीं के शब्दों में , “मंत्रिमण्डल की तानाशाही ने संसद की शक्ति तथा सम्मान को बहुत कम कर दिया है।”

प्रश्र: 34 मंत्रियों के सामूहिक उत्तरदायित्व का अभिप्राय समझाइए।

उत्तर:

मंत्रिमण्डलीय कार्यप्रणाली का एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है– सामूहिक उत्तरदायित्व। मंत्रिगण व्यक्तिगत रूप से तो संसद के प्रति उत्तरदायी होते ही हैं , इसके अतिरिक्त सामूहिक रूप से प्रशासनिक नीति और समस्त प्रशासनिक कार्यों के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इस सिद्धान्त के अनुसार सम्पूर्ण मंत्रिमण्डल एक इकाई के रूप में कार्य करता है और सभी मंत्री एक-दूसरे के निर्णय तथा कार्य के लिए उत्तरदायी हैं। यदि लोकसभा किसी एक मंत्री के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित करे अथवा उस विभाग से सम्बन्धित विधेयक रद्द कर दे तो समस्त मंत्रिमण्डल को त्याग-पत्र देना होता है।

प्रश्न: 35 मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रिमण्डल में क्या अन्तर है?

उत्तर:

मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रिमण्डल में अन्तर-

मंत्रिपरिषद् और मंत्रिमण्डल का प्रायः लोग एक ही अर्थ में प्रयोग करते हैं , जब कि इनमें अन्तर हैं। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि भारत के संविधान में मात्र मंत्रिपरिषद् का उल्लेख है। मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रिमण्डल के अन्तर को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है।

1. आकार में अन्तर – मंत्रिपरिषद् में लगभग 60 मंत्री होते हैं , जबकि मंत्रिमण्डल में प्रायः 15 से 20 मंत्री होते हैं।

2. मंत्रिमण्डल , मंत्रिपरिषद का भाग – मंत्रिमंण्डल , मंत्रिपरिषद् का हिस्सा होता है। इसी कारण अनेक विद्वानों ने इसे ‘बड़े घेरे में छोटे घेरे’ की संज्ञा दी है।

3. प्रभाव में अन्तर – मंत्रिमण्डल के सदस्यों का नीति-निर्धारण पर पूर्ण नियन्त्रण होता है तथा समस्त महत्त्वपूर्ण निर्णय मंत्रिमण्डल द्वारा ही लिये जाते हैं। जबकि मंत्रिपरिषद् नीति-निर्धारण में हिस्सा नहीं लेती।

4. बैठकें – मंत्रिमण्डल की बैठकें साधारणत: सप्ताह में एक बार तथा कई बार भी होती हैं ,जबकि मंत्रिपरिषद् की बैठकें कभी नहीं होती हैं।

5. सदस्य – सभी मंत्री मंत्रिपरिषद के सदस्य होते हैं जबकि मंत्रिमण्डल के सदस्य मात्र कैबिनेट मंत्री ही होते हैं।

6. वेतन एवं भत्तों में अन्तर – कैबिनेट मंत्रियों को अन्य मंत्रियों की तुलना में अधिक वेतन एवं भत्ते प्राप्त होते।

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