Class 11 Hindi (अंतराल) पाठ – 3 आवारा मसीहा important questions and answers

NCERT Solutions for class 11 Hindi (Antral) chapter- 3 Avara mashiha , most important questions/answer


Question: 1 भागलपुर आने पर शरत् को कहां पर भर्ती किया?

Answer:

भागलपुर आने पर शरत् को दुर्गाचरण एम. ई. स्कूल की छात्रवृति क्लास में भर्ती किया गया।

Question: 2 बालक शरत् के लिए साहित्य क्या था?

Answer:

बालक शरत् का साहित्य से प्रथम परिचय आंसुओं के माध्यम से हुआ था। उस समय वह मानना था की साहित्य का उद्देश्य सिर्फ मनुष्य को दुख पहुंचाना है।

Question: 3 मणींद्र कौन था?

Answer:

मणींद्र, छोटे नाना अघोरनाथ का बेटा था और शरत् का साथी भी था।

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Question: 4 शरत् के उपवन में कौन-कौन से फूल थे?

Answer:

शरत् के उपवन में बेल ,चंद्रमल्लिका ,जूही और गेंदे के फूल खिले हुए थे।

Question: 5 शरत् के पिता का नाम क्या था ? वह कैसे प्रकृति के व्यक्ति थे ?

Answer:

शरत् के पिता का नाम मोतीलाल था। उसके पिता यायावर प्रकृति के स्वप्नदर्शी व्यक्ति थे। जीविका के किसी भी धंधे में वह कुछ दिनों से ज्यादा नही टिक पाते थे। कुछ दिन काम मन लगाकर करते , फिर एक दिन अचानक मालिक से झगड़ा करके काम छोड़कर आ जाते थे।

Question: 6 मोतीलाल की किन-किन कार्यों में रुचि थी?

Answer:

मोतीलाल की पढ़ने में रुचि थी। उन्हें कहानी , उपन्यास , नाटक और कविता सभी कुछ लिखने का शौक था। उनकी चित्रकला में भी रुचि थी।

Question: 7 शरत् बगीचे से फूल क्यों तोड़ते था? वह उन फूलों का क्या करते थे?

Answer:

जब शरत् को नाना के घर पर रहना पड़ा था तो उससे पूर्व उनकी माता ने धन के अभाव में घर को बेच दिया था और गहेनों को गिरवी रख दिया था। नाना के घर से उनकी पढ़ाई की फीस पूरी नही हो पाती थी। इसलिए वह बगीचे से फूल तोड़कर उनकी माला बनाकर बेचते थे ,ताकि वह अपनी स्कूल की फीस जमा कर सके।

Question: 8 गांगुली परिवार में बच्चों के प्रति कैसा व्यवहार किया जाता था?

Answer:

गांगुली परिवार में बच्चों के साथ कठोरता का व्यवहार किया जाता था। उनका मानना था की बच्चों को सिर्फ पढ़ने का अधिकार हैं और उन्हें सिर्फ पढ़ने पर ध्यान देना चाहिए। उनके अनुसार प्यार ,आदर और खेल से उनका जीवन नष्ट हो जाता है।

Question: 9 तपोवन कहां था?

Answer:

घोष परिवार के मकान के उत्तर में गंगा के पास के एक कमरे के नीचे ,नीम और कगैंदे के पेड़ो ने उस जगह को अंधेरे से घेरकर रखा था। छोटी-छोटी लताओं से वो जगह ऐसे ढका हुआ था की किसी इंसान का आना वहां मुश्किल था। उसी के अंदर था तपोवन। जहां पर नीचे खरस्त्रोता गंगा बह रही थी। दूसरी तरफ का नजारा साफ-साफ दिखाई दे रहा था।

Question: 10 शरत् ने कुश्ती लड़ने का आखाड़ा कहां बनाया?

Answer:

नाना के घर के उत्तर की तरफ गंगा नदी के ठीक ऊपर एक बहुत बड़ा और बदनाम घर था। वहां पर पहले एक बहुत बड़ा परिवार रहता था ,लेकिन एक के बाद एक मृत्यु होने के बाद ,वे सब लोग वह स्थान छोड़ कर चले। उसके बाद वह घर भूतवास बन गया। उसी महल के आंगन में शरत् ने कुश्ती लड़ने का आखाड़ा बनाया।

Question: 11 नाना के घर पर ‘गुरुजनों की प्रीति पाने का गुर’ क्या था?

Answer:

‘गुरुजनों की प्रीति पाने का गुर’ के अनुसार बच्चों को सवेरे स्कूल जाने से पहले घर के बरामदे में चिल्ला-चिल्लाकर पढ़ना चाहिए और संध्या में स्कूल से वापस लौटकर रात के भोजन होने तक चंडी-मंडप में दीवे के चारो ओर बैठकर पढ़ाए गए पाठ का अभ्यास करना चाहिए। यही गुरुजनों की प्रीति पाने का गुर था।

Question: 12 भारत का मानचित्र पूरा क्यों नही बन पाया?

Answer:

जब शरत् के पिता भारत का विशाल मानचित्र बना रहे थे तब उनके दिमाग में यह प्रश्न आया की क्या मानचित्र में हिमाचल की गरिमा का ठीक से अंकन हो पाएगा? जब उन्हें इसका कोई जवाब नही मिल पाया तो फिर उन्होंने उस मानचित्र को पूरा बनाया ही नही। जिस कारण वह मानचित्र कभी पूरा हो ही नही पाया।

Question: 13 पारिवारिक अनुशासन के विरुद्ध शरत् कौन-कौन से कार्य करते थे?

Answer:

पारिवारिक अनुशासन के खिलाफ वाले सभी काम शरत् किया करते थे।

कक्षा का अनुशासन तोड़ना , बचकानी शराराते करना ,पतंग उड़ाना ,तितलियां पकड़ना ,उपवन बनाना,बाग से फल तोड़ना आदि। इन सब में उन्होने महारत हासिल की थी।

Question: 14 धीरू कौन थी? शरत् और धीरू के बीच कैसा संबंध था?

Answer:

धीरू ,शरत् के मित्र काशीनाथ की बहन थी। शरत् की दोस्ती काशीनाथ की बहन धीरू से हुई। वे दोनों अधिकतर साथ खेलते और झगड़ा करते थे। वह प्रत्येक कार्य में शरत् की साथी थी। जब शरत् कोई शरारत करके भाग जाता थे तो किसी को नही पता होता था की वह कहां पर है पर धीरू को पता होता था। एक दिन जब धीरू ने उसे हुक्का पीते हुए देखा , तो धीरू ने मूढ़ी दी। दोनों ने बहुत मार भी खाई परंतु उनकी दोस्ती में कोई फर्क नही पड़ा। दोनों के बीच घनिष्ठ मित्रता थी।

Question: 15 शरत् के पिता साहित्यकार होते हुए भी घर जंवाई बनने के लिए विवश क्यों हुए?

Answer:

शरत् के पिता कभी भी एक नौकरी पर नही टिकते थे। उन्होंने कई नोकरियां की थी। वह नौकरी पर जाते लेकिन कुछ दिनों में मालिक से झगड़ा करके नौकरी छोड़कर आ जाते थे। वह नाटक ,उपन्यास और रचनाएं आदि लिखते पर प्रांरभ करने के पश्चात कभी अंत नही कर पाते थे। जब पारिवारिक भरण-पोषण असंभव हो गया तो शरत् की मां उन्हें अपने पिता के घर ले आई। इसलिए असहाय होकर आर्थिक रूप से स्वतंत्र न होने के कारण उन्हें घर जंवाई बनने पर विवश होना पड़ा।

Question: 16 शरत् और उसके पिता मोतीलाल में क्या समानताएं नजर आती है?

Answer:

शरत् और उसके पिता मोतीलाल दोनों के स्वभाव में काफी समानताएं है।

1. शरत् और उसके पिता दोनों की रुचियां एक जैसी ही थी।

2. दोनों साहित्य के प्रेमी थे।

3. दोनों प्रकृति के प्रेमी थे।

4. वे दोनों संवेदनशील व कल्पनादर्शी थे।

5. सौंदर्य के बोधी थे।

6. दोनों घुम्मकड़ प्रवृति के थे।

Question: 17 शरत् के कौन-कौन से शौक थे? वह अपने शौकों को छिपकर पूरा क्यों करते था?

Answer:

शरत् के कई शौक थे-

1. शरत् को पशु-पक्षी को पालना बहुत पसंद था।

2. उन्हें उपवन लगाने में बहुत आनंद मिलता था।

3. लेकिन इन सब में उनका सबसे प्रिय था तितली-उद्योग जिनमे उन्होंने कई प्रकार की तितलियों को अपने काठ के बक्से में रखा था।

परंतु शरत् को अपने शौक लुक-छिपकर करने पड़ते थे , क्योंकि नाना लोग इन्हें पसंद नहीं करते थे। उनका मानना था की इन सब से उनका जीवन नष्ट हो जाता है। उनके अनुसार बच्चों को सिर्फ पढ़ने का ही अधिकार है।

Question: 18 ‘आवारा मसीहा’ पाठ के आधार पर बताइए की उस समय के और वर्तमान समय के पढ़ने के तौर-तरीकों में। क्या अंतर है और क्या समानताएं है?

Answer:

उस समय और वर्तमान के पढ़ने के तौर-तरीकों में बहुत अंतर थे। उस समय के पढ़ने-पढाने के तौर-तरीकों में बहुत कठोर अनुशासन था। इसके साथ-साथ बच्चों को पढ़ाने को उम्र में केवल पढ़ने का अधिकार था। उन्हें खेलने का अधिकार नही दिया जाता था।

1.आज के समय में हमारी शिक्षा पद्धति में सरल अनुशासन पर ज्यादा जोर दिया जाता है। बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जाता है,जबकि पहले बच्चों को सिर्फ पाठ को रटकर याद कराने पर जोर दिया जाता था।

2.पहले बच्चों को सिर्फ पढ़ने पर जोर दिया जाता था परंतु अब बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ खेल तथा अन्य प्रकार की गतिविधियां भी कराई जाती है। ताकि बच्चे पर ज्यादा जोर ना पड़े।

3.पहले बच्चों को प्रतिदिन परीक्षा देना पड़ता था। जिससे कारण उन्हें कई मानसिक तकलीफों का भी सामना करना पड़ता था। जिससे बच्चों को साहित्य जैसा रुचिदार विषय भी कठिन लगता था।

Question: 19 नाना के घर पर किन-किन बातों का निषेध था? शरत् को उन निषिद्ध कार्यों को करना क्यों प्रिय था?

Answer:

1. नाना के घर पर कई सारे कार्यों पर निषेध था। बच्चों को कठोर आदेश दिया जाता था की वे इस प्रकार के कार्य न करें। यदि कोई करता भी था तो उम्र के अनुसार उसे सजा दी जाती थी।

2. उन कार्यों में शामिल थे घर से बाहर जाकर घूमना, पशु-पक्षियों को पालना,उपवन बनाना आदि, तालाब में जाकर नहाना। और इन सबके साथ पतंग उड़ाना, लट्टू घूमना,गोली खेलना व गुल्ली डंडा खेलना जैसे खेल शामिल थे। परंतु इस सब कार्यों को मनाही थी। नाना के घर में यह सब निषिद्ध कार्य थे।

3. शरत् एक यायावर व स्वाधीन चरित्र के बालक थे। उन्हें यह सारे बंधक पसंद नही थे। उनके अंदर उन सब नियमो को तोड़कर ,एक स्वतंत्र व्यक्ति को भांति जीवन जीने की इच्छा थी। इसके साथ-साथ उन्हें यह सब कार्य करने में आनंद भी आता था। इसलिए वह इन निषिद्ध कार्यों को करना चाहते थे।

Question: 20 “जो रूदन के विभिन्न रूपों को पहचानता है वह साधारण बालक एनएचके है। बड़ा होकर वह निश्चय ही मनस्तत्व के व्यापार में प्रसिद्ध होगा” अघोर बाबू के मित्र की इस टिप्पणी से क्या आशय था?

Answer:

एक बार अघोरनाथ अधिकारी स्नान के लिए गंगा घाट की ओर जा थे। शरत् भी उनके पीछे चल दिया था। एक टूटे हुए घर के अंदर से एक स्त्री के धीरे-धीरे रोने की करुण आवाज उनके कानों में आई। उन्होंने ठिठक कर पूछा ‘यह कौन रो रहा है? क्या हुआ इसे?’ इस पर शरत् ने जवाब दिया की इस नारी का स्वामी अंधा था। लोगों के घरों में कामकाज करके यह उसको खिलाती थी।पर अब उसका पति मर गया है। वह बहुत दुखी है। परेशान लोग बड़े आदमियों की तरह ज़ोर-ज़ोर से नही रोते उनका रोना दुख से विदिर्ण प्राणों का क्रंदन होता है। यह सचमुच का रोना है। इतने छोटे बालक मुंह से रोने के सूक्ष्म विवेचन सुनकर अघोरबाबू के मित्र ने वह टिप्पणी दी थी।

शरतचंद्र की संवेदना दृष्टि बाल्याकाल से ही विकसित थी। उनमें अपने परिवेश और आसपास के वातावरण को पहचानने की सूक्ष्म पर्यवेक्षण की क्षमता भी थी। साहित्य का आधार मूलतः संवेदना ही है।

ज्ञान जब संवेदना का आधार होता है तो साहित्य का सृजन भी होता है। अघोरनाथ के मित्र इस साहित्य की मूलभूत राज को भली-भांति पहचानताते थे। उन्हें इस बात का ज्ञान हो गया की जब इतनी छोटी उम्र में इस बच्चे में संवेदना और सूक्ष्म दृष्टि का गुण है तो वह पक्का आगे जाकर मनस्तत्व का व्यापार करेगा।

Question: 21 सिद्ध कीजिए की शरतचंद्र एक संवेदनशील प्रकृति प्रेमी , परोपकारी एवं दृढ़ निश्चय व्यक्ति थे।

Answer:

शरतचंद्र अपने पिता की तरह प्रकृति के प्रेमी थे। जब वह नाना के घर पर रहते थे तब वह घंटे तक तपोवन में अपना समय व्यतीत करना पसंद करते थे। और वहां प्रकृति को निहारते व आनंद लेते थे। उनका प्रकृति से बहुत अधिक लगाव था। प्रकृति उनके जीवन को सहारा प्रदान करती थी।
परोपकार की भावना उनके अंदर बचपन से कूट-कूट कर भरी थी।

शरत् और नयन कच्ची सड़क के रास्ते घने जंगल से होकर जा रहे थे। वहां आमतौर पर डाकू आदमी को मारकर गाड़ देते थे। जब उन्हें पता चला की उन डाकुओं ने इस बार एक वैष्णव भिखारी को मारा डाला है, तो उनके अंदर काफी क्रोध और प्रतिशोध की भावना जागृत हो गई। और वे उन लुटेरों को ललकारने लगे और उन्हें सबक भी सिखाया। शरत् बाग से फल-फूल चुराया करते थे पर वह कभी भी खुद नही खाते थे, वह उसे दोस्तों और गरीबों में बांट देते थे।
यह उनकी परोपकार की भावना थी जो उन्हें दूसरों की सहायता करने के लिए प्रेरित करती थी।

Question: 22 शरत् की दादी मामूदपुर छोड़कर अपने भाई के घर देवानंदपुर क्यों आ गई?

Answer:

शरत् के दादा, बैकुंठनाथ चट्टोपाध्याय संभ्रात राढ़ी ब्राह्मण परिवार के एक स्वाधीनता और निडर व्यक्ति थे। वह कभी भी जमींदारों के अत्याचारो से दबे नहीं थे। एक बार एक जमींदार ने उन्हें बुलाकर मुकदमे में झुटी गवाही देने को कहा, जिसके लिए उन्होंने साफ इंकार कर दिया। एक दिन अचानक से पता चला की उनको किसी ने मार डाला है, उनका शव स्नानघाट पर पड़ा था। जमींदार का खौफ बहुत ज्यादा था, की उनकी पत्नी यानी शरत् की दादी चिल्लाकर रो भी नहीं सकती थी। वहां के बड़े बुझुर्गो ने उन्हें सुझाव दिया था की वह यह गांव छोड़ कर चली जाए वरना जमींदार उन्हें शांतिपूर्वक रहने नही देंगे। जमींदार के आतंक के भय से वह छोटे से मोतीलाल को लेकर अपने भाई के पास देवानंदपुर आ गई।

Question:23 मोतीलाल और अघोरनाथ एक साथ एक ही कॉलेज में पढ़ने थे। उसके पश्चात भी वे दोनों एक साथ क्यों नहीं टिक पाते थे?

Answer:

मोतीलाल बचपन से ही घोर अभाव में पले बड़े थे। मां ने उन्हें बचपन से ही बहुत प्यार दिया था , इसीलिए बचपन से ही वह कभी सही दिशा नही ढूंढ पाए। उन्हें पढ़ने-लिखने का तो बहुत शौक था पर उससे ज्यादा उन्हें कल्पनाओं की दुनिया में डूबे रहना अधिक पसंद करते थे। वहीं अघोरनाथ जो मोतीलाल से पूर्ण से विपरीत थे। वह कर्मठ, खरे और स्पष्टवादी थे। दोनों एक दूसरे के पूरे विपरीत थे, जिसके कारण उनमें कभी भी नही बनती थी और वे कॉलेज में भी ज्यादा समय तक साथ में नही रुक पाते थे।

Question: 24 भुवनमोहिनी , शरत् की मां का स्वभाव कैसा था?

Answer:

शरत् की मां ,भुवनमोहिनी बहुत सीधी-सादी प्रकृति की महिला थी। उनका मन इतना कोमल था की दूसरों के दुख में भी उन्हें दुख महसूस होने लगता था। घर और गांव में सभी लोग उन्हें प्यार करते थे। बड़े-बूढ़े उनके सेवा-पूजन से बहुत मुग्ध थे तो वहीं छोटे उनके स्नेह को पाने की चेष्ठा रखते थे।

Question: 25 शरतचंद्र जी ने धीरू को आधार बनाकर कौन-कौन से उपन्यास लिखें।

Answer:

शरतचंद्र और धीरू बचपन के बहुत अच्छे दोस्त थे। वे दोनों मिलकर नई-नई तरह की शरारतें किया करते थे। पूरे दिन आवारों की तरह घूमते फिर घर आकर खाना खाते ,मार खाते फिर से जाते फिर सुबह फिर से आवरों की तरह घूमते।
शरतचंद्र जी ने धीरू को आधार बनाकर उपन्यास की नायिकाओं का सृजन किया था। वें उपन्यास थे-

1. देवदास की पारो
2. ‘बडी दीदी’ की माधवी
3. ‘श्रीकांत’ की राज लक्ष्मी

यह सब उन्होंने धीरू के विकसित और विराट रुप के ऊपर लिखे थे।

Question: 26 नयन , शरत् के घर क्यों आया था? शरत् और नयन ने आते समय जंगल में क्या देखा?

Answer:

नयन शरत् के घर , शरत् की दादी से कुछ रुपए उधार लेने आया था , ताकि वह एक अच्छी सी गाय लेकर आ सके। जिसके लिए वसंतपुर से उसे उसके रिश्तेदार से बुलावा आया था।
नयन और शरत् कच्ची सड़क के रास्ते से होते हुए घने जंगल से जा रहे थे , जहां पर लुटेरें आदमी को मारकर जमीन में गाड़ देते थे। जब वह वहां से सावधानी से लुटेरे से छिपकर जा रहे थे तब उन्हे एक चीख सुनाई दी। शरत् इससे थोड़ा डर गया था। कुछ दूर जाने के बाद उन्हें पता चले की जो चीख उन्हें सुनाई दे रही थी , वह किसी वैष्णव भिखारी की थी जिसको उन लुटेरों ने मार डाला था। इसके बाद उन दोनों के क्रोध की कोई सीमा नही रही। वे लुटेरों को ललकारने लगे और उन्होंने उन लुटेरों को सबक भी सिखाया।

Question: 27 देवानंदपुर वापस लौटने पर शरत् को कौन-सी कक्षा में भर्ती किया गया? तब उनके घर की स्थिति कैसी थी?

Answer:

देवानंदपुर लौटने के बाद शरत् को हुगली ब्रांच स्कूल की चौथी कक्षा में भर्ती किया गया।
तब उनके घर की स्थिति अच्छी नहीं थी। शरत् को दो कोस चलकर स्कूल जाना पड़ता था। रास्ता कच्चा और धूल से भरा होता था , बारिश के दिनो में कीचड़ ही कीचड़ होता था।
गरीबी इतनी ज्यादा थी कि , उसके स्कूल की फीस का जुगाड करना भी बहुत मुश्किल हो गया था। स्थिति इतनी खराब थी कि गहने बेच दिए थे और मकान भी गिरवी रख दिए थे। परंतु फिर भी गरीबी का अभाव नही मिट पाया था।

Question: 28 शरत् क्या-क्या कांड किया करते थे? फिर भी लोग उन्हें दंड क्यों नहीं दे पाते थे?

Answer:

शरत् और उसके दल की संख्या बहुत बड़ी थी। वह दूसरों के बागों से फल-फूल चुराते थे। वह दूसरों की ताल से मछलियां पकड़ते थे।
आसपास के लोग उससे तंग आ गए थे , लेकिन उसको पकड़कर दंड देने का किसी में साहस नही था। इसका पहला कारण तो यह था कि वह फल और मछली को छोड़कर किसी दूसरी वस्तु को छूता भी नहीं था। दूसरा यह था कि गांव के बहुत से निर्धन व्यक्ति उसकी लूटी हुई वस्तुओं पर ही पलते थे। और गांव में निर्धनों की संख्या अधिक थी। इसलिए शरत् के इतने कांड करने के बावजूद भी कोई उसे दंड नही देता था।

Question:29 शरत् और उसका दल लोगों की किस प्रकार मदद किया करते थे? किसी एक घटना का वर्णन करते हुए बताइए।

Answer:

शरत् और उसके दल की बहुत बड़ी संख्या थी। उसके दल के सदस्यों की संख्या तेजी से बढ़ रही थी। वह अपने दल के साथ मिलकर उन सब की सहायता करता था , जिसको मदद की आवश्यकता होती थी। खासकर वे , निर्धनों की अधिक सहायता करते थे।

एक बार की बात है , इन्ही में से एक निर्धन व्यक्ति था जो बहुत दिनों से बीमार था। निर्धनता के कारण उसके इलाज की व्यवस्था करना उसके लिए संभव नही था। आखिर में उन्होंने इस दल की मदद ली थी। उसके तुरंत ही दल के लोग बहुत सी मछलियां पकड़ के ले आए और उन्हें बेचकर इलाज के लिए पैसों का प्रबंध कर दिया। उपेक्षित-अनाश्रित रोगियों की वे जितनी सेवा कर सकते थे , उतनी सेवा करते थे। अनेक अंधेरी रातों में लालटेन और लंबी लाठी लेकर मिलो दूर चलकर , वे शहर से दावा लेकर आए और साथ में डॉक्टर को भी बुला का लाए थे। इस प्रकार शरत् और इसके दल ने मिलकर उस निर्धन व्यक्ति की उसकी बीमारी के समय सहायता की थी। इसीलिए जहां कुछ लोग उनसे परेशान थे , वहीं अधिकतर लोग उन्हें मन ही मन प्यार भी बहुत करते थे।

Question:30 शरत् की रचनाओं में उनके जीवन की अनेक घटनाएं और पात्र सजीव हो उठे हैं। पाठ के आधार पर विवेचना कीजिए।

Answer:

1. शरत् ने अपनी रचनाओं में जिन घटनाओं के बारे में बताया गया है , वे सब उनके जीवन के अनेक सच्चे घटनाएं व पात्र हैं। शरत् ने अपनी रचनाओं में अपने अनुभवों को लिखा है।

2. शरत् को पढ़ने का बहुत शौक था , साथ ही उनमें पढ़े हुए को समझने का भी गुण था। उनमें साहित्य को समझने व आसपास के वातावरण के सूक्ष्म-पर्यवेक्षण की योग्यता थी।

3. शरत् बाग से फल-फूल चुरातें थे , दूसरों के ताल से मछली पकड़ते थे। परंतु पकड़े जाने पर वह कोई झूठा बहाना नहीं बनाते थे , बल्कि वीरों की भांति जो दंड मिले उसको स्वीकार करते थे। ये उनके पात्र देवदास , श्रीकांत , दर्दातराम और सव्यसाची शरत् को प्रदर्शित करते हैं।

4. शरत् का जीवन कई प्रकार की भिन्न-भिन्न परिस्थियों से गुजरा था। जिसने उन्हें साहित्य सृजन का आधार बनने में सहायता की। उनके साहित्य में इसका प्रभाव पूर्ण रूप से स्पष्ट देखा जा सकता है।

5. उनके पिता को घर-जंवाई बनकर रहना पड़ा था। शरत् ने अपने उपन्यास ‘काशीनाथ’ में अपने पिता को आधार बनाकर एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताया है , जो घर-जंवाई बनकर रहता है।

6. उन्होंने अपने बचपन की मित्र धीरू , जिससे उनकी मित्रता बहुत गहरी थी व जो उनके हर काम में उनकी संगिनी थी , को आधार बनाकर कई उपन्यास लिखें। उन्होंने धीरू के चरित्र का ‘पारो’ (देवदास), ‘माधवी’ (बड़ी दीदी) व ‘राजलक्ष्मी’ (श्रीकांत) में वर्णन किया है।

7. ‘शुभदा’ में उन्होंने अपनी गरीबी का भयानक और मार्मिक चित्रण किया है। जो उन्होंने अपने बचपन में अनुभव किया था।

इन सभी आधार पर हम कह सकते हैं कि शरत् ने अपनी रचनाओं में उनके जीवन के अनेक घटनाओं व पात्रों को सजीव किया है।

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