NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 7 नेताजी का चश्मा प्रश्न और उत्तर

कवि परिचय

इस पाठ के कवि स्वयं प्रकाश जी हैं। स्वयं प्रकाश जी का जन्म सन 1947 मैं इंदौर (मध्यप्रदेश) में हुआ। मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में नौकरी करने वाले स्वयं प्रकाश का न और नौकरी का बड़ा हिस्सा राजस्थान में बीता। फ़िलहाल स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद वे भोपाल में रहते हैं और वसुधा पत्रिका के संपादन से जुड़े हैं।

आठवें दशक में उभरे स्वयं प्रकाश आज समकालीन कहानी के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। उनके तेरह कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें सूरज कब निकलेगा, आएँगे अच्छे दिन भी, आदमी जात का आदमी और संधान उल्लेखनीय हैं। उनके बीच में विनय और ईंधन उपन्यास चर्चित रहे हैं। उन्हें पहल सम्मान, बनमाली पुरस्कार, राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार आदि पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जा चुका है।

मध्यवर्गीय जीवन के कुशल चितेरे स्वयं प्रकाश की कहानियों में वर्ग-शोषण के विरुद्ध चेतना है तो हमारे सामाजिक जीवन में जाति, संप्रदाय और लिंग के आधार पर हो रहे भेदभाव के खिलाफ़ प्रतिकार का स्वर भी है। रोचक किस्सागोई शैली में लिखी गईं उनकी कहानियाँ हिंदी की वाचिक परंपरा को समृद्ध करती हैं।

पाठ परिचय

चारों ओर सीमाओं से घिरे भूभाग का नाम ही देश नहीं होता। देश बनता है उसमें रहने वाले सभी नागरिकों, नदियों, पहाड़ों, पेड़-पौधों, वनस्पतियों, पशु-पक्षियों से और इन सबसे प्रेम करने तथा इनकी समृद्धि के लिए प्रयास करने का नाम देशभक्ति है। नेताजी का चश्मा कहानी कैप्टन चश्मे वाले के माध्यम से देश के करोड़ों नागरिकों के योगदान को रेखांकित करती है जो इस देश के निर्माण में अपने-अपने तरीके से सहयोग करते हैं। कहानी यह कहती है कि बड़े ही नहीं बच्चे भी इसमें शामिल है।

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 7 Netaji ka Chashma Questions and Answers

प्रश्न 1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?

उत्तर : सेनानी ना होते हुए भी लोगों ने चश्मे वाला कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उनके अंदर अपने देश के लिए देशभक्ति कूट-कूट कर भरी थी।

प्रश्न 2. हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा –

(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?

(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?

(ग) हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?

उत्तर :

(क) हालदार साहब पहले मायूस इसलिए हो गए थे क्योंकि वह सोच रहे थे किस चौराहे पर सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति तो अवश्य ही मिलेगी परंतु उनके मुख पर चश्मा नहीं होगा।

(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि अभी भी अपने देश के लोगों के अंदर उम्मीद जगी हुई है।

(ग) जब हालदार साहब ने सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति पर चश्मा लगा हुआ देखा तब उनकी आंखें नम हो गई और वह बहुत भावुक इसलिए होगा क्योंकि उन्हें महसूस हुआ कि पीटी के मन में भी देशभक्ति की भावना जगी हुई है।

प्रश्न 3. आशय स्पष्ट कीजिए-

“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”

उत्तर : “बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”  इसका आशय यह है कि हालदार साहब यह सोच रहे हैं कि वह कौन कैसा होगा जिसको हम के युवा अपने देश की खातिर अपने गृहस्ती जवानी सब देश के नाम कर देते हैं। परंतु उस सेनानी पर हंसी उड़ाई जाती है। अर्थात हमारा समाज कहां पहुंच गया है जो हमारे लिए जान हथेली पर रखकर लड़ते हैं हम उन्हीं पर हंसी उड़ाते हैं।

प्रश्न 4. पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर : परंतु उस सेनानी पर हंसी उड़ाई जाती है। अर्थात हमारा समाज कहां पहुंच गया है जो हमारे लिए जान हथेली पर रखकर लड़ते हैं हम उन्हीं पर हंसी उड़ाते हैं।

प्रश्न 5. “वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर : “वह लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल !” यह टिप्पणी पानवाला हालदार साहब तो करता है जब हालदार साहब उससे सुभाष चंद्र बोस के बारे में पूछते हैं पानवाला कहता है कि कैप्टन चश्मेवाले के बारे में कुछ ऐसी ही घटिया सोच रखता है। वास्तव में कैप्टन इस तरह की उपेक्षा का पात्र नहीं है। वास्तव में कैप्टन उपहास का नहीं सम्मान का पात्र है जो अपने अति सीमित संसाधनों से नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर देशप्रेम का प्रदर्शन करता है।

रचना और अभिव्यक्ति 

प्रश्न 6. निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं

(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।

उत्तर: (क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।

यह वाक्य दर्शाता है कि हालदार साहब नेताजी के प्रति गहरी श्रद्धा और सम्मान रखते हैं। उनका चौराहे पर रुकना यह संकेत करता है कि नेताजी की उपस्थिति उनके लिए महत्वपूर्ण है और वे उनकी गतिविधियों पर ध्यान देते हैं।

(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हु बोला–साहब! कैप्टन मर गया।

उत्तर: (ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला–साहब! कैप्टन मर गया।

यह वाक्य पानवाले की गहरी संवेदना और दुख को दर्शाता है। उसकी उदासी और सिर झुकाकर बोलने का तरीका यह बताता है कि वह कैप्टन के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में असमर्थ है, जिससे उसकी संवेदनशीलता और सहानुभूति प्रकट होती है।

(ग) कैप्टन बार-बारे मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।

उत्तर: (ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।

यह वाक्य कैप्टन के व्यक्तित्व की एक विशेषता को उजागर करता है। चश्मा लगाने की क्रिया यह संकेत करती है कि वह अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करने या किसी विशेष चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास कर रहा है। यह उसकी गंभीरता और ध्यान केंद्रित करने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।

निष्कर्ष

इन वाक्यों के माध्यम से पात्रों की विशेषताओं को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है। हालदार साहब का सम्मान, पानवाले की संवेदनशीलता और कैप्टन की गंभीरता, सभी पात्रों के व्यक्तित्व को गहराई से दर्शाते हैं।

प्रश्न 7. जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।

उत्तर: हालदार साहब ने कैप्टन के बारे में सुना था, लेकिन उन्होंने कभी उसे देखा नहीं था। उनके मन में कैप्टन की छवि एक आदर्श नेता की थी, जो साहस और दृढ़ता का प्रतीक था। वह सोचते थे कि कैप्टन एक ऊँचे कद के व्यक्ति होंगे, जिनकी आँखों में देशभक्ति की चमक होगी। उनके चेहरे पर एक गंभीरता होगी, जो उनके कर्तव्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

हालदार साहब की कल्पना में कैप्टन का पहनावा भी विशिष्ट था। वह एक सुसज्जित वर्दी में होंगे, जिसमें उनकी पदवी और सम्मान का प्रतीक होगा। उनके कंधों पर सजावट और छाती पर मेडल्स उनकी बहादुरी की कहानी बयां करते होंगे।

उनकी आवाज़ में एक गहराई होगी, जो सुनने वालों को प्रेरित करती। हालदार साहब ने सोचा होगा कि जब कैप्टन बोलते हैं, तो उनके शब्दों में एक शक्ति होती है, जो लोगों के दिलों को छू लेती है।

हालदार साहब के मन में कैप्टन का चित्र एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व का था, जो न केवल एक नेता था, बल्कि एक मार्गदर्शक भी था। वह सोचते थे कि कैप्टन का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली होगा कि लोग उन्हें देखकर अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो जाएंगे।

प्रश्न 8. कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है

(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?

उत्तर: कस्बों, शहरों और महानगरों के चौराहों पर प्रसिद्ध व्यक्तियों की मूर्तियाँ लगाने के कई उद्देश्य हो सकते हैं:

स्मृति और सम्मान: यह मूर्तियाँ उन व्यक्तियों की स्मृति को जीवित रखने और उनके योगदान को सम्मानित करने का एक तरीका हैं।

प्रेरणा: ये मूर्तियाँ समाज के लोगों को प्रेरित करती हैं, विशेषकर युवाओं को, ताकि वे उन व्यक्तियों के आदर्शों का अनुसरण कर सकें।

संस्कृति और पहचान: मूर्तियाँ स्थानीय संस्कृति और पहचान को दर्शाती हैं, जिससे लोग अपने इतिहास और विरासत से जुड़ाव महसूस करते हैं।

पर्यटन: प्रसिद्ध व्यक्तियों की मूर्तियाँ पर्यटन को बढ़ावा देती हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होता है।

सामाजिक एकता: ये मूर्तियाँ समाज में एकता और सामूहिकता की भावना को बढ़ावा देती हैं।

(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों ?

उत्तर: मैं अपने इलाके के चौराहे पर महात्मा गांधी जी की मूर्ति स्थापित करवाना चाहूँगा।

कारण: महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और समाज में शांति, सहिष्णुता और समानता का संदेश देती हैं। उनकी मूर्ति स्थापित करने से लोग उनके आदर्शों को याद करेंगे और उन्हें अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।

(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?

उत्तर: 1. सम्मान: मूर्ति का सम्मान करना और उसकी देखभाल करना सभी का कर्तव्य है। 

2. साफ-सफाई: मूर्ति के आस-पास की जगह को साफ रखना और उसकी नियमित सफाई सुनिश्चित करना।

3. शिक्षा: लोगों को उस व्यक्ति के योगदान और उनके आदर्शों के बारे में जागरूक करना।

4. संरक्षण: मूर्ति को नुकसान और अन्य हानिकारक गतिविधियों से सुरक्षित रखना।

5. सामाजिक कार्यक्रम: समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित करना, जिसमें उस व्यक्ति की शिक्षाओं और योगदानों पर चर्चा की जाए।

इस प्रकार, मूर्तियों का स्थापित करना केवल एक शारीरिक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक माध्यम है।

प्रश्न 9. सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।

उत्तर: 

1. सार्वजनिक संपत्ति का संरक्षण

  • विवरण: सार्वजनिक संपत्तियों जैसे पार्क, सड़कें, स्कूल, और अस्पतालों का ध्यान रखना।
  • क्रियान्वयन: इन संपत्तियों को साफ रखना, उन्हें नुकसान न पहुँचाना, और उनकी देखभाल करना।

2. पर्यावरण संरक्षण

  • विवरण: पर्यावरण की रक्षा करना और प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना।
  • क्रियान्वयन: वृक्षारोपण करना, प्लास्टिक का उपयोग कम करना, और जल संरक्षण के उपाय अपनाना।

3. स्वच्छता अभियान में भागीदारी

  • विवरण: स्वच्छता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देना।
  • क्रियान्वयन: स्वच्छता अभियान में भाग लेना, अपने आस-पास के क्षेत्र को साफ रखना, और दूसरों को भी प्रेरित करना।

4. स्थानीय उत्पादों का समर्थन

  • विवरण: स्थानीय कारीगरों और उत्पादों को प्राथमिकता देना।
  • क्रियान्वयन: स्थानीय बाजारों से खरीदारी करना और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना।

5. शिक्षा का प्रचार

  • विवरण: शिक्षा के महत्व को समझना और दूसरों को शिक्षित करना।
  • क्रियान्वयन: गरीब बच्चों को पढ़ाना, ट्यूशन देना या स्वयंसेवी कार्य करना।

6. सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण

  • विवरण: अपनी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का सम्मान करना।
  • क्रियान्वयन: स्थानीय त्योहारों में भाग लेना, पारंपरिक कला और शिल्प को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

इन कार्यों के माध्यम से हम अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकते हैं। देश-प्रेम केवल एक भावना नहीं, बल्कि एक सक्रिय कार्य है, जिसे हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए। हमें इन कार्यों को न केवल पहचानना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने दैनिक जीवन में लागू भी करना चाहिए।

प्रश्न 10. निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए- कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।

उत्तर: स्थानिक बोली:

कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।

मानक हिंदी में रूपांतरण:

कोई ग्राहक आ गया, समझिए। उसे चौड़ी चौखट चाहिए। तो कप्तान इसे कहाँ से लाएगा? इसलिए उसे मूर्तिवाला दे दिया। वहाँ दूसरा बैठा दिया।

अपने जीवन-जगत से जुड़े कार्यों का उल्लेख

सामाजिक कार्यक्रमों में भागीदारी: अपने समुदाय में सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेना, जैसे कि स्वच्छता अभियान या वृक्षारोपण।

शिक्षा का प्रचार: बच्चों को पढ़ाई में मदद करना और उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करना।

स्थानीय उत्पादों का समर्थन: स्थानीय बाजारों से सामान खरीदना और स्थानीय कारीगरों का समर्थन करना।

कार्यों पर अमल

स्वच्छता अभियान में भाग लेना: हर महीने एक दिन अपने मोहल्ले में सफाई अभियान आयोजित करें और अन्य लोगों को भी शामिल करें।

शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना: स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ाई के महत्व के बारे में बताएं और उन्हें प्रेरित करें।

स्थानीय उत्पादों की खरीदारी: सप्ताह में एक बार स्थानीय बाजार जाकर वहाँ के उत्पाद खरीदें और अपने दोस्तों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।

इन कार्यों के माध्यम से हम अपने जीवन में स्थानीय बोली और संस्कृति के प्रभाव को समझ सकते हैं और उसे आगे बढ़ा सकते हैं।

प्रश्न 11. ‘भई खूब। क्या आइडिया है।’ इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर: 1. शब्दावली का विस्तार

दूसरी भाषा के शब्दों के समावेश से एक भाषा की शब्दावली में वृद्धि होती है। इससे वक्ता और लेखक को अधिक विकल्प मिलते हैं, जिससे वे अपने विचारों को अधिक प्रभावी ढंग से व्यक्त कर सकते हैं।

2. संस्कृति का समावेश

जब एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्द शामिल होते हैं, तो यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है। इससे विभिन्न संस्कृतियों के बीच समझ और सहिष्णुता बढ़ती है।

3. नवीनता और विविधता

नए शब्दों के आने से भाषा में नवीनता और विविधता आती है। यह भाषा को जीवंत और प्रासंगिक बनाए रखता है, जिससे युवा पीढ़ी भी भाषा में रुचि रखती है।

4. संचार में सुधार

विभिन्न भाषाओं के शब्दों का उपयोग करके लोग अपने विचारों को अधिक स्पष्टता से व्यक्त कर सकते हैं। इससे संचार में सुधार होता है और विचारों का आदान-प्रदान अधिक प्रभावी बनता है।

5. वैश्विक दृष्टिकोण

वैश्वीकरण के इस युग में, विभिन्न भाषाओं के शब्दों का समावेश एक वैश्विक दृष्टिकोण को विकसित करने में मदद करता है। यह लोगों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संवाद करने में सक्षम बनाता है।

6. शैक्षणिक और पेशेवर लाभ

विभिन्न भाषाओं के शब्दों का ज्ञान छात्रों और पेशेवरों के लिए फायदेमंद होता है। यह उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान करता है, जैसे कि विज्ञान, तकनीकी, और व्यवसाय।

निष्कर्ष

इस प्रकार, एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों का समावेश न केवल भाषा की समृद्धि को बढ़ाता है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह भाषा को अधिक समृद्ध और संवादात्मक बनाता है, जो कि आज के वैश्विक समाज में अत्यंत आवश्यक है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 12. निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए-

(क) नगरपालिका थी तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी।

(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।

(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।

(घ) हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए।

(ङ) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरते रहे।

उत्तर: (क) निपात: “तो”

नए वाक्य: 1. नगरपालिका थी, इसलिए कुछ न कुछ करती भी रहती थी।

2. नगरपालिका थी, इसीलिए कुछ न कुछ करती भी रहती थी।

(ख) निपात: “ही”

नए वाक्य: 1. किसी स्थानीय कलाकार को विशेष अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।

2. केवल किसी स्थानीय कलाकार को अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।

(ग) निपात: “तो”

नए वाक्य: 1. यानी चश्मा था, लेकिन संगमरमर का नहीं था।

2. यानी चश्मा अवश्य था, परंतु संगमरमर का नहीं था।

(घ) निपात: “भी”

नए वाक्य: 1. हालदार साहब अब तक नहीं समझ पाए।

2. हालदार साहब अब तो नहीं समझ पाए।

(ङ) निपात: “तक”

नए वाक्य: 1. दो साल से हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरते रहे।

2. हालदार साहब दो सालों से अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरते रहे।

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