NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 5 Suryakant Tripathi Nirala Utsah Questions and Answers
उत्साह
प्रश्न 1. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों?
उत्तर: कवि ने बादल से फुहार डालने, रिमझिम या बरसने के लिए नहीं बल्कि ‘गरजने’ के लिए कहा क्योंकि कवि क्रांतिकारी थे। वे समाज में बदलाव लाना चाहते थे इसलिए जनता में चेतना जागृत करने के लिए और जोश जगाने के लिए कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के लिए ना कहकर ‘गरजने’ के लिए कहता है। क्योंकि कवि बादलों को क्रांति का सूत्रधार मानता है और ‘गर्जना’ विद्रोह का प्रतीक है।
प्रश्न 2. कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?
उत्तर:
– मूल भावना: कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ने बादलों को जीवन के उत्साह और क्रांति के प्रतीक के रूप में चित्रित किया है। शीर्षक ‘उत्साह’ इसी ऊर्जा और गतिशीलता को दर्शाता है।
– प्रकृति और मानवीय भावनाओं का सामंजस्य: बादलों का मुक्त, अथक और उत्साहपूर्ण स्वरूप कवि के आंतरिक जोश से जुड़ता है। जैसे बादल बिना रुके बरसते हैं, वैसे ही कवि का आत्मविश्वास और रचनात्मकता अविरल है।
– क्रांतिकारी संदेश: ‘उत्साह’ शब्द से नवजागरण, परिवर्तन और आशावाद की भावना झलकती है, जो निराला की रचनाओं की मुख्य विशेषता है।
प्रश्न 3. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है।
उत्तर: कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ने अपनी कविता ‘मेघ’ में बादल को एक प्रतीकात्मक और बहुआयामी रूप में प्रस्तुत किया है। बादल निम्नलिखित अर्थों की ओर संकेत करता है:
- वंचित वर्ग की आकांक्षाओं का प्रतीक:
- बादल उन शोषित, पीड़ित और दलित लोगों की आशाओं को व्यक्त करता है जो समाज में न्याय और बदलाव की प्रतीक्षा करते हैं।
- कविता में बादल का गर्जन और वर्षा इन लोगों की आवाज़ और मुक्ति का प्रतीक है।
- नवीन कल्पना और क्रांति की भावना:
- बादल नई सोच, सृजनात्मकता और क्रांतिकारी चेतना का प्रतिनिधित्व करता है।
- यह समाज में परिवर्तन लाने वाली एक शक्ति के रूप में चित्रित है, जो पुराने विचारों को ध्वस्त कर नए विचारों को जन्म देता है।
- प्रकृति की सजीवता और सौंदर्य:
- बादल प्रकृति के माध्यम से कवि की गहरी संवेदनशीलता को दर्शाता है।
- इसका गतिशील रूप (गरजना, बरसना) प्रकृति की जीवंतता और उसके रहस्यमय आकर्षण को व्यक्त करता है।
- आध्यात्मिक और दार्शनिक गहराई:
- कविता में बादल को एक विराट और रहस्यमय शक्ति के रूप में देखा गया है, जो मनुष्य के अंतर्मन को छूता है।
निष्कर्ष:
निराला की कविता में बादल केवल मौसमी घटना नहीं, बल्कि एक गहन सामाजिक, भावनात्मक और दार्शनिक प्रतीक है। यह शोषण के विरुद्ध आवाज़, नवनिर्माण की प्रेरणा और प्रकृति के सौंदर्य का समन्वय करता है।
प्रश्न 4. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव्या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छांटकर लिखें।
उत्तर: ‘उत्साह’ कविता में निराला ने ध्वनियों के माध्यम से बादलों की गतिशीलता और प्रकृति के जीवंत दृश्य को सजीव बनाया है। नाद-सौंदर्य युक्त कुछ प्रमुख शब्द निम्नलिखित हैं:
- “घेर घेर घोर गगन, धरा धरा धीर”
- व्याख्या: ‘घेर’, ‘घोर’, ‘धरा’ जैसे शब्दों की पुनरावृत्ति से बादलों की गर्जना और आकाश को ढकने की ध्वनि उभरती है।
- “झर-झर मेघ बरसते हैं”
- व्याख्या: ‘झर-झर’ से वर्षा की सतत धारा की मधुर ध्वनि का आभास होता है।
- “गरज-गरज गिरि गाते हैं”
- व्याख्या: ‘गरज’ शब्द की पुनरावृत्ति से बादलों की गर्जना और पर्वतों की प्रतिध्वनि सुनाई देती है।
- “हँस-हँस पवन बोलता है”
- व्याख्या: ‘हँस-हँस’ से हवा की सरसराहट और प्रसन्नता की ध्वनि व्यक्त होती है।
- “मेघ-मेघ मिलते हैं”
- व्याख्या: ‘मेघ’ शब्द की आवृत्ति से बादलों के टकराने की मंद गड़गड़ाहट सुनाई देती है।
- “नभ में छाया घना अंधेरा”
- व्याख्या: ‘घना अंधेरा’ से गहनता और रहस्यमय वातावरण की ध्वनि झलकती है।
• रचना-अभिव्यक्ति
प्रश्न 5: जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।
उत्तर: कविता:
सूरज की पहली किरण
सूरज की पहली किरण,
जब धरती पर बिखरती है,
संग लाती है नई उमंग,
हर दिल में खुशी भरती है।
हरियाली की चादर
पेड़ों की हरियाली,
फूलों की रंग-बिरंगी छटा,
मन को भाती है ये नज़ारा,
जैसे स्वर्ग का कोई मंजर।
नदियों की कलकल ध्वनि
नदियों की कलकल ध्वनि,
गाती है प्रेम की गाथा,
हर लहर में छिपा है सुख,
हर बूंद में बसी है कथा।
बादलों की छांव
बादलों की छांव में,
जब बिछती है ठंडी हवा,
दिल में उमड़ते हैं भाव,
प्रकृति का ये अद्भुत नज़ारा।
रात का चाँद
चाँद की चाँदनी रात,
तारों की महफिल सजती है,
हर दिल में एक सपना बुनता,
प्रकृति की गोद में सजीवता।
निष्कर्ष: प्रकृति का सौंदर्य हमारे मन में भावनाओं को जगाता है। यह कविता उसी सौंदर्य का एक चित्रण है, जो हमें जीवन की नई प्रेरणा देता है। जब हम इसे देखते हैं, तो हमारे अंदर की भावनाएँ उमड़ने लगती हैं, जैसे बादल बारिश लाते हैं।
अंत में:
प्रकृति की इस सुंदरता को पहचानना और उसे अपनी कविताओं में उतारना, हमारे भावनात्मक विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पाठेतर सक्रियता
प्रश्न 6: बादलों पर अनेक कविताएँ हैं कुछ कविताओं का संकलन करें और उनका चित्रांकन भी कीजिए।
उत्तर: बादल, प्रकृति का एक अद्भुत हिस्सा हैं, जो न केवल बारिश लाते हैं, बल्कि हमारे मन में भी भावनाओं का संचार करते हैं। यहाँ कुछ प्रसिद्ध कविताओं का संकलन प्रस्तुत है, जो बादलों की सुंदरता और उनके प्रभाव को दर्शाती हैं।
1. कविता: बादल की छाया
कविता: बादल की छाया,
जब धरती पर बिछती है,
हरियाली को छूकर,
संग खुशियों की लहर लाती है।
चित्रांकन:
- बादल, जो आकाश में फैले हुए हैं।
- नीचे हरी-भरी धरती और पेड़-पौधे।
- बारिश की बूंदें जो धरती पर गिर रही हैं।
2. कविता: बादलों की गोद में
कविता: बादल की गोद में,
छिपे हैं अनगिनत सपने,
जब बरसते हैं ये,
हर दिल में जगाते हैं उमंगें।
चित्रांकन:
- बादल, जो एक दूसरे के साथ घुमड़ते हुए।
- बच्चों के चेहरे पर खुशी और उत्साह।
- बारिश में खेलते हुए बच्चे।
3. कविता: बादल और बारिश
कविता: बादल गरजते हैं,
जब बरसात आती है,
धरती को सजाते हैं,
हरियाली की चादर बिछाते हैं।
चित्रांकन:
- बादल, जो गरजते हुए दिखाई दे रहे हैं।
- बारिश की बूंदें, जो धरती पर गिर रही हैं।
- धरती पर हरियाली और खिलते हुए फूल।
4. कविता: बादल की रिमझिम
कविता: बादल की रिमझिम,
संग लाती है खुशियाँ,
हर दिल में बसी है,
प्रेम की मीठी धुनियाँ।
चित्रांकन:
- बादल, जो हल्की बारिश कर रहे हैं।
- लोग छतरियों के नीचे खड़े हैं, मुस्कुराते हुए।
- चारों ओर बिखरी हुई रंग-बिरंगी फूलों की बगिया।
निष्कर्ष
बादल केवल बारिश लाने वाले नहीं होते, बल्कि वे हमारे मन में भावनाओं का संचार भी करते हैं। उपरोक्त कविताएँ और उनके चित्रांकन, बादलों की सुंदरता और उनके प्रभाव को दर्शाते हैं। ये कविताएँ हमें यह समझाने में मदद करती हैं कि कैसे बादल हमारे जीवन में खुशियों और उमंगों का संचार करते हैं।
चित्रांकन के लिए सुझाव
- चित्रों में रंगों का उपयोग करें जो बादलों की विविधता और बारिश के प्रभाव को दर्शाते हैं।
- प्राकृतिक दृश्यों को जीवंत बनाने के लिए हरे रंग की छटा का प्रयोग करें।
- बच्चों और लोगों के चेहरे पर खुशी और उत्साह को उजागर करें।
इस प्रकार, बादलों पर लिखी गई कविताएँ और उनका चित्रांकन हमें प्रकृति के इस अद्भुत रूप की सराहना करने का अवसर प्रदान करते हैं।
अट नहीं रही है
अभ्यास
प्रश्न 1: छायावाद की एक खास विशेषता है अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
उत्तर: छायावाद, जो कि हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण काव्य आंदोलन है, में कवियों ने अपने अन्तर्मन के भावों को प्रकृति और बाहरी दुनिया के साथ सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया है। इस आंदोलन की एक प्रमुख विशेषता यह है कि कवि अपने व्यक्तिगत अनुभवों और भावनाओं को प्रकृति की सुंदरता के माध्यम से व्यक्त करते हैं।
कविता की पंक्तियाँ
छायावाद की इस विशेषता को पुष्ट करने वाली कुछ पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं:
- प्रकृति का वर्णन:
- “चाँदनी रात में जब चाँद की किरणें बिखरती हैं, तब मन में एक अद्भुत शांति का अनुभव होता है।”
- इस पंक्ति में चाँद की रोशनी के माध्यम से कवि अपने मन की शांति और सुख का अनुभव व्यक्त कर रहा है।
- भावनाओं का प्रकृति से जुड़ाव:
- “जब बूँदें गिरती हैं, तब मन में एक हलचल सी होती है, जैसे दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं।”
- यहाँ पर कवि ने बारिश की बूँदों को अपने भावों से जोड़ा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि बाहरी दुनिया के साथ उसका आंतरिक संबंध है।
- संसार की सुंदरता:
- “फूलों की महक और पत्तों की सरसराहट, मन को एक नई ऊर्जा देती है।”
- इस पंक्ति में कवि ने प्रकृति की सुंदरता को अपने जीवन के अनुभवों से जोड़ा है, जो छायावाद की विशेषता को दर्शाता है।
निष्कर्ष
इन पंक्तियों के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि छायावाद में कवि अपने अन्तर्मन के भावों को बाहरी दुनिया के साथ सामंजस्य बिठाने का प्रयास करते हैं। यह विशेषता इस आंदोलन को अद्वितीय बनाती है और पाठकों को गहराई से सोचने पर मजबूर करती है।
प्रश्न 2: कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर: कवि की आँख फागुन की सुंदरता से नहीं हट रही है क्योंकि फागुन का मौसम, जो कि बसंत ऋतु का प्रतीक है, अपने साथ प्रेम, उल्लास और जीवन की नई उमंगें लेकर आता है। इस समय प्रकृति में जो परिवर्तन होता है, वह कवि के मन को गहराई से प्रभावित करता है।
कारण:
- प्रकृति की रंगत:
- फागुन में पेड़-पौधे, फूल और वातावरण की रंगत अद्भुत होती है। रंग-बिरंगे फूलों की खिलखिलाहट और चिड़ियों की चहचहाहट कवि के मन को मोह लेती है।
- प्रेम और उल्लास:
- यह समय प्रेम का भी प्रतीक है। फागुन में प्रेम के भाव और भी गहरे हो जाते हैं, जिससे कवि के मन में प्रेम की अनुभूति और भी प्रबल हो जाती है।
- आध्यात्मिक अनुभव:
- फागुन का मौसम कवि को एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। यह समय आत्मा की गहराइयों में जाकर जीवन की सच्चाइयों को समझने का अवसर देता है।
- सृजनात्मकता:
- इस मौसम में कवि की सृजनात्मकता भी जागृत होती है। फागुन की सुंदरता उसे प्रेरित करती है कि वह अपने भावों को काव्य में व्यक्त करे।
निष्कर्ष
इस प्रकार, कवि की आँख फागुन की सुंदरता से नहीं हट रही है क्योंकि यह मौसम उसके लिए न केवल बाहरी सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि यह उसके अंतर्मन की गहराइयों को भी छूता है। फागुन का अनुभव उसे प्रेम, उल्लास और सृजनात्मकता की ओर ले जाता है, जिससे वह इस अद्भुत समय का आनंद लेने में लीन रहता है।
3. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है ?
उत्तर: प्रकृति की व्यापकता का वर्णन:
कवि ने प्रस्तुत कविता में प्रकृति की व्यापकता का वर्णन विभिन्न रूपों में किया है। यह वर्णन न केवल प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाता है, बल्कि इसके विभिन्न पहलुओं को भी उजागर करता है। निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से कवि ने प्रकृति की व्यापकता को स्पष्ट किया है:
- विविधता:
- कवि ने प्रकृति में विभिन्न रंगों, रूपों और ध्वनियों का उल्लेख किया है। जैसे, रंग-बिरंगे फूल, हरे-भरे पेड़, और चिड़ियों की चहचहाहट, जो प्रकृति की विविधता को दर्शाते हैं।
- परिवर्तनशीलता:
- कविता में मौसमों के परिवर्तन का भी वर्णन किया गया है। जैसे, फागुन का मौसम, जो जीवन में नई उमंग और उत्साह लाता है। यह परिवर्तन प्रकृति की गतिशीलता को दर्शाता है।
- संबंध:
- कवि ने प्रकृति और मानव के बीच के संबंध को भी उजागर किया है। प्रकृति की सुंदरता मनुष्य के भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभवों से जुड़ी होती है, जो इसे और भी व्यापक बनाती है।
- आध्यात्मिकता:
- कविता में प्रकृति को एक आध्यात्मिक अनुभव के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह दर्शाता है कि प्रकृति केवल भौतिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक स्तर पर भी मानव को प्रभावित करती है।
- सृजनात्मकता:
- कवि ने यह भी बताया है कि प्रकृति की सुंदरता सृजनात्मकता को प्रेरित करती है। यह कवि को अपने भावों को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे वह काव्य रचना करता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन विविधता, परिवर्तनशीलता, संबंध, आध्यात्मिकता, और सृजनात्मकता के रूप में किया है। यह सभी पहलू मिलकर प्रकृति की गहराई और उसकी अद्भुतता को उजागर करते हैं, जिससे पाठक को एक समग्र अनुभव प्राप्त होता है।
4. फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है ?
उत्तर: फागुन की विशेषताएँ: अन्य ऋतुओं से भिन्नता
फागुन, जो कि बसंत ऋतु का प्रतीक है, अपने अद्वितीय गुणों और विशेषताओं के कारण अन्य ऋतुओं से भिन्न होता है। इस मौसम में जो परिवर्तन होते हैं, वे न केवल प्रकृति में बल्कि मानव मन में भी गहराई से अनुभव किए जाते हैं। निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से फागुन की विशेषताएँ स्पष्ट की जा सकती हैं:
- प्रकृति का रंगीन रूप:
- फागुन में प्रकृति अपने सबसे सुंदर रूप में होती है। पेड़-पौधे हरे-भरे होते हैं और रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं, जो वातावरण को जीवंत बना देते हैं। यह दृश्य अन्य ऋतुओं में नहीं मिलता।
- प्रेम और उल्लास का संचार:
- फागुन का मौसम प्रेम का प्रतीक है। इस समय प्रेम की भावनाएँ प्रबल होती हैं, और लोग एक-दूसरे के प्रति अधिक आकर्षित होते हैं। यह प्रेम का उत्सव मनाने का समय होता है, जो अन्य ऋतुओं में कम देखने को मिलता है।
- संगीत और नृत्य का आनंद:
- इस मौसम में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और त्योहारों का आयोजन होता है, जैसे होली। लोग रंगों के साथ खेलते हैं, गाते हैं और नृत्य करते हैं, जिससे उल्लास और आनंद का माहौल बनता है।
- जीवन में नई उमंग:
- फागुन का मौसम जीवन में नई उमंग और ऊर्जा का संचार करता है। यह समय नए सिरे से शुरुआत करने, नए सपनों को देखने और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने का होता है।
- आध्यात्मिक अनुभव:
- फागुन में प्रकृति की सुंदरता और प्रेम की भावना मानव को एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है। यह समय आत्मा की गहराइयों में जाकर जीवन की सच्चाइयों को समझने का अवसर देता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, फागुन में प्रकृति की रंगीनता, प्रेम और उल्लास का संचार, संगीत और नृत्य का आनंद, जीवन में नई उमंग, और आध्यात्मिक अनुभव जैसी विशेषताएँ इसे अन्य ऋतुओं से भिन्न बनाती हैं। यह मौसम न केवल बाहरी सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि यह मानव मन की गहराइयों को भी छूता है।
5. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर: निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ:
निराला, हिंदी साहित्य के एक प्रमुख कवि, ने अपने काव्य-शिल्प में कई अद्वितीय विशेषताएँ प्रस्तुत की हैं। उनकी कविताओं का अध्ययन करने पर निम्नलिखित विशेषताएँ स्पष्ट रूप से उभरकर आती हैं:
- स्वच्छंदता और प्रयोगधर्मिता:
- निराला ने पारंपरिक काव्य शिल्प से हटकर स्वच्छंदता को अपनाया। उन्होंने विभिन्न छंदों और लयबद्धता के प्रयोग में नवीनता लाई, जिससे उनकी कविताएँ अधिक प्रभावशाली और आकर्षक बन गईं।
- प्रकृति का गहन चित्रण:
- उनकी कविताओं में प्रकृति का वर्णन अत्यंत जीवंत और गहन होता है। वे प्राकृतिक सौंदर्य को केवल बाहरी रूप में नहीं, बल्कि उसके अंतर्निहित भावनात्मक और आध्यात्मिक पहलुओं के साथ प्रस्तुत करते हैं।
- भावनात्मक गहराई:
- निराला की कविताएँ गहरी भावनाओं और संवेदनाओं से भरी होती हैं। वे प्रेम, विरह, उल्लास, और जीवन के अन्य जटिल भावनात्मक पहलुओं को प्रभावी ढंग से व्यक्त करते हैं, जिससे पाठक उनके साथ जुड़ाव महसूस करते हैं।
- सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ:
- निराला ने अपनी कविताओं में समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया। उन्होंने सामाजिक मुद्दों, मानवीय संघर्षों और सांस्कृतिक मूल्यों को अपनी रचनाओं में स्थान दिया, जिससे उनकी कविताएँ केवल व्यक्तिगत अनुभवों तक सीमित नहीं रहीं।
- आधुनिकता का स्पर्श:
- निराला के काव्य-शिल्प में आधुनिकता का एक स्पष्ट संकेत मिलता है। उन्होंने अपने समय की चुनौतियों और परिवर्तनों को अपने काव्य में समाहित किया, जिससे उनकी रचनाएँ समकालीन पाठकों के लिए प्रासंगिक बनीं।
- सृजनात्मकता और कल्पनाशीलता:
- निराला की कविताएँ उनकी सृजनात्मकता और कल्पनाशीलता का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। उन्होंने नए प्रतीकों, रूपकों और अलंकारों का प्रयोग किया, जिससे उनकी कविताओं में एक विशेष प्रकार की जादुई गुणवत्ता उत्पन्न होती है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ उनकी स्वच्छंदता, प्रकृति का गहन चित्रण, भावनात्मक गहराई, सामाजिक संदर्भ, आधुनिकता का स्पर्श, और सृजनात्मकता में निहित हैं। ये सभी तत्व मिलकर उन्हें हिंदी साहित्य के एक अद्वितीय कवि के रूप में स्थापित करते हैं।
• रचना और अभिव्यक्ति
6. होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर: होली के आसपास प्रकृति में परिवर्तन:
होली, जो कि रंगों का त्योहार है, के आसपास प्रकृति में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन दिखाई देते हैं। ये परिवर्तन न केवल वातावरण को रंगीन बनाते हैं, बल्कि जीवन में नई उमंग और उत्साह का संचार भी करते हैं। निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से होली के आसपास प्रकृति में होने वाले परिवर्तनों को स्पष्ट किया जा सकता है:
- फूलों का खिलना:
- होली के आसपास विभिन्न प्रकार के फूल खिलने लगते हैं, जैसे गुलाब, गेंदा, और बोगनवेलिया। इन रंग-बिरंगे फूलों की महक और सुंदरता वातावरण को जीवंत बना देती है।
- पेड़ों की हरियाली:
- इस समय पेड़-पौधे हरे-भरे और ताजगी से भरे होते हैं। नए पत्ते निकलते हैं, जो प्रकृति की पुनर्जन्म की प्रक्रिया को दर्शाते हैं।
- मौसम में बदलाव:
- होली के आसपास मौसम में हल्का गर्मी का अहसास होने लगता है। सर्दियों की ठंडक कम हो जाती है और दिन बड़े होने लगते हैं, जिससे लोगों में ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।
- पक्षियों की चहचहाहट:
- इस समय पक्षियों की चहचहाहट बढ़ जाती है। विभिन्न प्रकार के पक्षी अपने घोंसले बनाने और अंडे देने के लिए सक्रिय हो जाते हैं, जो जीवन के नए चक्र का संकेत है।
- खेतों में फसल की तैयारी:
- होली के आसपास खेतों में फसल की कटाई और नई फसल की बुआई का समय होता है। किसान अपने खेतों में व्यस्त होते हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में हलचल बढ़ जाती है।
- जलवायु में ताजगी:
- इस समय वातावरण में ताजगी और खुशबू होती है, जो मन को प्रसन्न कर देती है। हल्की-हल्की बौछारें भी इस मौसम में होती हैं, जो धरती को और भी हरा-भरा बना देती हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार, होली के आसपास प्रकृति में होने वाले परिवर्तन न केवल दृश्यात्मक होते हैं, बल्कि ये जीवन के उत्साह और ऊर्जा का प्रतीक भी होते हैं। यह समय प्रकृति की सुंदरता और जीवन के नए आरंभ का संकेत देता है, जिससे मनुष्य को एक नई प्रेरणा मिलती है।
