Class 10 पाठ : एहि ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! पश्न और उत्तर

NCERT Solutions for class 10 Hindi (kritika) chapter – 4 ahi thaiya jhulni hairani ho rama! Question and answers

? प्रश्न–अभ्यास ?

पृष्ठ संख्या

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प्रश्न: 1 हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?

उत्तर :

हमारी आजादी की लड़ाई में हर धर्म और वर्ग के लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया था। कहानी में लेखक ने टुन्नू व दुलारी जैसे पात्रों के माध्यम से उस वर्ग को उभारने की कोशिश की है जिसे समाजहीन या उपेक्षित के रूप में देखा जाता है। जैसे कि टुन्नू आज़ादी के लिए निकाले गए जलूस में भाग लेकर व अपने प्राणों की आहुति देकर ये सिद्ध किया कि वह मात्र नाचने या गाने के लिए पैदा नहीं हुआ है अपितु इसके मन में भी आज़ादी प्राप्त करने का जोश है। इसी तरह दुलारी द्वारा रेशमी साड़ी को जलाने के लिए देना भी एक बहुत बड़ा कदम था। लेखक ने इस प्रकार के समाज में उपेक्षित लोगों के योगदान को स्वतंत्रता के आंदोलन मे महत्वपूर्ण माना है।

प्रश्न: 2 कठोर हृदय समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?

उत्तर :

कठोर हृदय समझे जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर इसलिए विचलित होती क्योंकि वह टुन्नू से प्यार करती थी और टुन्नू की भावनाओं का सम्मान करती थी। झींगुर से टुन्नू की हत्या का समाचार सुनकर दुलारी फूट-फूट कर रोने लगी। उस समय उसने सबके सामने अपनी भावनाओं को प्रकट किया। दुलारी ने झींगुर से टुन्नू की हत्या की जाने वाले जगह के बारे में पूछा और वह टुन्नू की मृत्यु पर बहुत रोई।

प्रश्न: 3 कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा?‌ कुछ और परंपरागत लोक आयोजनों का उल्लेख करें।

उत्तर :

उस समय कंजली दंगल जैसे गतिविधियों आयोजन मात्र मनोरंजन के लिए हुआ करता था। परंतु फिर भी इसमें लोगो के मन में प्रश्न रहते थे। कुछ कजली गायकों को बुलाकर समारोह का आयोजन करवाया जाता था। हर बोल पर दुक्कड़ पर चोट मार कर जीत का इशारा किया जाता था। कंजली दंगल में सवाल जवाब करने का महत्वपूर्ण भाग होता है। इस तरह लोग अपने विचार को प्रकट करते हैं। इस समारोह में आल्हा गीत व शिव विवाह गीत की परंपरा वर्तमान समय से है।

प्रश्न: 4 दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक संस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चरित्रिक ‌ विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर :

दुलारी बाई एक नाचने वाली महिला है। वह एक मशहूर कंजली गायक है। उससे गायकी में सवाल जवाब करना बहुत अच्छे से आता था। उसके सामने बड़े-बड़े गायक कलाकार गाने से डरते थे। वह एक बलवान औरत है। प्रतिदिन व्यायाम करती है और पौष्टिक आहार खाती है। जिसके बल पर फेकू सरदार की पिटाई कर देती है। और बिट्टों के दोष रोपण पर क्रोधित हो जाती थी। दुलारी एक स्वाभिमानी महिला भी है। वह अपनी सुरक्षा खुद करना जानती है। अपने ऊपर लांछन लगाने नहीं देती है। तथा दुलारी साक्षात प्रेम कि देवी है क्योंकि उसके मन में टुन्नु
के लिए कभी न खत्म होने वाला प्रेम है। वह टुन्नु से बहुत प्यार करती है।

प्रश्न: 5 दुलारी का टुन्नु से पहली बार परिचय कहांँ और किस रूप से हुआ?

उत्तर :

पहली बार दुलारी व टुन्नू का परिचय भादों में तीज़ के अवसर पर खोजवाँ बाज़ार में हुआ था। वहां वह गाना गाने के लिए बुलवाई गई थी। दुलारी दुक्कड़ पर गानेवालियों के साथ गाना गा रही थी। दुक्कड़ पर गानेवालियों में दुलारी का खास नाम था।

प्रश्न: 6 दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था– “तैं सरबउला बोला जिन्नगी में कब देख ले लोट?..।” दुलारी के इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :

दुलारी का टुन्नू को यह कहना उचित था– “तैं सरबउला बोला जिन्नगी में कब देख ले लोट?..।” क्योंकि टुन्नू अभी सोलह-सत्रह वर्ष का है। उसके पिताजी गरीब , परोहित जो बड़ी मुश्किल से गृहस्तथी चला रहे थे। टुन्नू ने अब तक लौट (नोट) देखे नहीं। उसे पता नहीं कि कैसे कौडी-कौडी जोड़कर लोग गृहस्थी चलाते है। यहां दुलारी ने उन युवा वर्ग लोगों पर आक्षेप किया है जो असल जिंदगी में कुछ करते नहीं मात्र दूसरों की नकल पर ही आश्रित होते हैं जबकि उन युवा वर्ग को घर चलाने में माता-पिता की मदद करनी चाहिए। उसके अनुसार इस ज़िन्दगी का कब क्या हो जाए कोई पता नहीं है। इस ज़िन्दगी में नोट या धन कब देखने को मिल जाए कुछ नहीं जानता। इसीलिए हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

प्रश्न: 7 भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?

उत्तर :

भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी ने अपना योगदान विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके दिया। देशभक्त नेताओं के अपील पर नगर का पूर्णरूपेण हड़ताल के दौरान एक जुलूस ऐसी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए उसके घर के पास आया। तभी फेंकू सरकार द्वारा दी गई साड़ियों एक बंडल नीचे फैली हुई चादर पर डाल देती है।

प्रश्न: 8 दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला‌ थी? यह प्रेम दुलारी के देश प्रेम तक कैसे पहुंँचाता है?

उत्तर :

दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे कलाकार मन और उनकी कला है यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक पहुँचाता है। जब टुन्नू दुलारी के घर जाकर बैठता है तब भादो तीज के अफसर में टुन्नू दुलारी के लिए खद्दर की साड़ी ला कर देता है और अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है की वह दुलारी से प्रेम करता है लेकिन दुलारी , अपने और उसकी उम्र में बहुत अंतर होने के कारण उसे पहले उम्र में अंतर होने की बात बताती है और इसी बात पर दुलारी उसे बहुत डांट देती है। उससे बहुत-से अपशब्द भी कह देती है।

जिसके बाद दुलारी टुन्नू को यहां से जाने के लिए कहती है। और दुलारी उसे धमकियां देते हुए कहती है की कभी मेरे घर वापस मत आना। टुन्नू के घर से जाने के बाद दुलारी को इस बात का आभास होता है कि वह उसके तन से नहीं बल्कि उसकी कला से प्रेम करता है। लेकिन कहीं ना कहीं दुलारी भी टुन्नु से प्रेम करती थी। और वहां टुन्नू , दुलारी के फटकार व उसके प्रति बोले गए अपशब्दों से दुखी था।

इसी बात से निराश होकर देश प्रेम के पथ पर चलने लगा और दुलारी फेंकू सरदार के द्वारा लाई गई साड़ियां विदेशी कपड़े का विरोध करने वाले चद्दर में फेंक देती है और इसी तरह दुलारी भी देश प्रेमी हो गई थी।

प्रश्न: 9 जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकांश वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलो में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना किस मानसिकता को दर्शाता हैं?

उत्तर :

स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले देशभक्तों का एक जलूस जा रहा था उन लोगों ने चारों ओर से चद्दर के कौने पकड़े थे। जिसमें की विदेशी व फटे-पुराने कपड़े लोग फेंक रहे थे। तभी दुलारी ने खिड़की से नई साड़ियों के एक बंडल को नीचे चादर में फेंका जो कि फेंकू सरदार द्वारा दुलारी को दी गई थी। वह बंडल दुलारी ने खोला भी नहीं था। यह दुलारी के इस मानसिकता को दर्शाता है की दुलारी गरीब होते हुए भी अपनी सुख-सुविधाओं को छोड़कर देश भक्ति की ओर अभिविन्यस्त हो गई है। अर्थात दुलारी अब अपने सारे सुख-सुविधाओं को छोड़कर देश प्रेम व देश के लिए भक्ति के पथ पर चल पड़ी है।

प्रश्न: 10 “मन पर किसी का बस नहीं ; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?

उत्तर :

टुन्नू दुलारी से बहुत प्रेम करता था। वह होली के त्यौहार में दुलारी के लिए एक खद्दर की साड़ी लाया था। वह साड़ी दुलारी को देकर वह अपने प्रेम कि भावनाओं को प्रकट करता है। लेकिन जब दुलारी दरवाजा खोलती है तो वह टुन्नू कि बातें सुनकर व उसे देखकर बहुत बुरा भला कहती है और बहुत डांटती है। तभी दुलारी की डांट सुनकर टुन्नू रोने लगता है और अपने घर की ओर चला जाता है। दुलारी उसे इसलिए डांटती है क्योंकि उसे अभी बुरे-भले का ज्ञान नहीं है। टुन्नू ने दुलारी से कहा था की मन पर किसी का जोर नहीं चलता और रूप या उम्र का कायल (विश्वास) नहीं होता। जब दुलारी ने टुन्नू को डांट कर भगाया तभी उसका विवेक भाग जाग गया था और तभी उसने अपने प्रेम भावनाओं को देश प्रेम की और मौखिक किया तथा स्वाधीनता आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लेने लगा।

प्रश्न: 11 “एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा।” का प्रतीकार्थ समझाइए।

उत्तर :

जिस समय दुलारी को अमन सभा में नाचने और गाने के लिए टाउन हॉल में बुलाया उस समय टुन्नू की उपहार में दी हुई खद्दर की धोती पहन कर गई थी। दुलारी टुन्नू की मौत पर बहुत दुखी थी उसने सभा में दर्द भरी आवाज में गाना गाया एही ठैयाँ झुलनी हेरनी हो रामा कासों पूछाँ इसका प्रतीक अर्थ है-हे राम! जिस जगह पर मेरी नाक की झूलनी (लौंग) खो गई है। इसके बारे में किसी ने पूछा हिंदू समाज में लॉन्ग नथनी को सौभाग्य निशानी मानी जाती है। इसका मतलब टुन्नू की मृत्यु से है। दुलारी गाना गाने लगती है तो उसकी दृष्टि उसी जमा हो जाती है जिस स्थान में टुन्नू मृत्यु हुई थी। दुलारी टुन्नू को दिल से चाहती थी और टुन्नू जुलाई को बेहद प्यार करता था। टाउन हॉल मैं दुलारी टुन्नू को अपने सुहाग जी निशानी मानकर गीत गा रही थी।

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