Class 11 हिन्दी (अंतरा) पाठ – 4 गूंगे , अभ्यास (प्रश्न/उत्तर)

NCERT Solution for Class 11 Hindi (Antra) chapter – 4 Gunge, Abhyas (Prashan/uttar)

प्रश्न-अभ्यास

Page no – 51

Question: 1 चमेली को गूंगे ने अपने बारे में क्या क्या बताया और कैसे?

Answer:

गूंगे ने चमेली को अपने बारे में बताया कि बचपन में जब गूंगे का पिता मर गया तो उसकी मां भी उसे छोड़कर चली गई थी। गूंगा यह भी बताता है कि बचपन में किसी ने गला साफ करने की कोशिश में उसके काकल को ही काट दिया था। फिर वह इशारों में यह भी कहता है कि वह कभी मांग कर नहीं खाता , वह हमेशा अपनी मेहनत का कमाता और खाता है। किसी की भीख नहीं लेता।

गूंगे के माता पिता के मरने व चले जाने के बाद उसे उसके बुआ-फूफा ने पाला। वह उसे बहुत मारते-पीटते थे और वह चाहते थे कि गूंगा बाजार में पल्लेदारी करके पैसा लाकर उन्हें दें इसलिए वह अब वहां वापस भी नहीं जाना चाहता था।

Question: 2 गूंगे की कर्कश काँय-काँय और अस्फुट ध्वनियों को सुनकर चमेली ने पहली बार क्या अनुभव किया?

Answer:

गूंगे की कर्कश काँय-काँय और अस्फुट ध्वनियों को सुनकर चमेली ने पहली बार अनुभव किया कि , अगर गले में कंकाल ज़रा सा भी खराब हो तो व्यक्ति कि स्थिति बिल्कुल असहाय हो जाती है और वह अपने मन की इच्छाओं को प्रकट करना तो चाहता है , लेकिन वह बोल ही नहीं पाता है।

Question: 3 गूंगे ने अपने स्वाभिमानी होने का परिचय किस प्रकार दिया?

Answer:

https://classofachievers.in/ncert-solution-for-class-11-hindi-antra-chapter-4-gunge-important-questions-and-answers/

गूंगे ने अपने स्वाभिमानी होने का परिचय निम्नलिखित तरीकों से दिया:-

1. सबसे पहले गूंगे ने अपने छाती पर हाथ मारकर इशारे में बताया कि उसने कभी-भी , हाथ फैलाकर किसी से भीख नहीं मांगी।

2. और इशारों में कहां कि मैं भीख नहीं लेता। उसने अपनी बाजुओं पर हाथ रखकर इशारा ने कहा  कि मैं अपनी मेहनत की कमाई खाता है। उसने पेट बजाकर दिखाया की इस पेट के लिए वह मेहनत भी करता है।

Question: 4 ‘मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूंगेपन की प्रतिच्छाया है।’ कहानी के इस कथन को वर्तमान सामाजिक परिवेश के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

Answer:

लेखक ‘रांगेय राघव’ जी का ‘मनुष्य के करुणा की भावना उसके भीतर गूंगेपन की प्रतिच्छाया है’ से यह कहना है कि जब भी हम वर्तमान में सामाजिक आवरण में किसी स्थिति के प्रसंग में प्रदर्शन नहीं दे पाते हैं तो तब हम करुणा की मनोवृति या भाव स्पष्ट करते हैं।

अतः कहने का मतलब यह है कि हमारे मौन (चुप) रहने से करुणा की भावना जन्म लेती है।

Question: 5 ‘नाली का कीड़ा! ‘एक छत उठाकर सिर पर रख दी’ फिर भी मन नहीं भरा।’- चमेली का यह कथन किस संदर्भ में कहा गया है और इसके माध्यम से उसके किन मनोभावों का पता चलता है?

Answer:

चमेली ने यह कथन- ‘नाली का कीड़ा! ‘एक छत उठाकर सिर पर रख दी’ फिर भी मन नहीं भरा’, इसने कहा है क्योंकि चमेली ने दया खाकर गूंगे को अपने घर में रहने की जगह तो दे दी थी परंतु गूंगे को एक घर छोड़कर दूसरे घर में जाने की आदत थी , इसलिए वह चमेली के घर को भी छोड़कर भाग गया था।

और इसी के जरिए चमेली के मन में उत्पन्न क्रोध का पता चलता है

Question: 6 यदि बसंता गूंगा होता तो आपकी दृष्टि में चमेली का व्यवहार उसके प्रति कैसा होता?

Answer:

नहीं। यदि बसंता गूंगा होता तो चमेली का व्यवहार उसके प्रति वैसा नहीं होता जैसा व्यवहार गूंगे के प्रति था। ऐसा इसलिए क्योंकि बसंता उसका पुत्र है तथा गूंगा कोई पराया बच्चा जिसे चमेली जानती तक नहीं थी।

यही कारण है कि चमेली ने बहुत बार गूंगे को डांट फटकार भी लगाई थीं।

यही नहीं एक बार तो चमेली ने गूंगे को चिमटे से पीठ पर वार भी किया था।

और उसे घर से भी निकाल दिया था।

अर्थात- चमेली गूंगे के प्रति दया भाव तो अवश्य रखती लेकिन उसमें ममता का भाव नहीं होता।

Question: 7 ‘उसकी आंखों में पानी भरा था। जैसे उसमें एक शिकायत थी‚ पक्षपात के प्रति तिरस्कार था।’ क्यों?

Answer:

ऐसा इसलिए था क्योंकि :

एक बार चमेली के बेटे ‘बसंता’ ने गूंगे को एक थप्पड़ जड़ दिया , जिसके बाद गूंगे ने भी उसे मारने के लिए हाथ उठाया लेकिन फिर वह रुक गया। चमेली के आते ही उसके पुत्र बसंता ने झूठ बोल दिया कि , गूंगे ने उस पर हाथ उठाया है, इसके विपरीत गूंगा भी चमेली से शिकायत करता है , लेकिन चमेली पुत्र मोह में आकर अपने पुत्र बसंता को नहीं डांटती उल्टा गूंगे को मारने के लिए आगे बढ़ती है। यह देखकर उसे बहुत दुख हुआ। गूंगे की आंखों में जैसे बाढ़ आ गई थी।

फिर जब बाद में चमेली , गूंगे को खाना देने आती है , तब देखने को मिलता है कि गूंगा बिलक-बिलक कर रो रहा था। अतः जिससे हमें यह है पता चलता है की गूंगे के मन में बसंता के बर्ताव को लेकर चमेली से शिकायत थी।

Question: 8 ‘गूंगा दया या सहानुभूति नहीं‚ अधिकार चाहता था – सिद्ध कीजिए।

Answer:

1. गूंगा बहुत घमंडी था। और इस तरह का घमंड सभी में होना चाहिए।

2. उसे मांग कर खाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था , उसकी आदत थी कि वह हमेशा ही अपनी मेहनत का खाए ना की भीख मांग कर।

3. गूंगा हर तरह के काम , अपना पेट पालने के लिए कर लेता था। वह घरों में नौकर भी रहता था , लेकिन उसकी एक आदत हर घर में से कुछ दिनों बाद भाग जाने की थी।

4. ऐसा इसलिए था क्योंकि जब भी उसे ऐसा लगता कि उसके साथ अन्याय या भेद-भाव हो रहा है , तो वह उस घर को छोड़कर भाग जाता था।

5. इसी तरह जब वह अपने बुआ-फूफा के पास रह रहा था , तो वहां से भी वह भाग गया। उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसे अपने बुआ-फूफा के घर अपना उपहास तथा मार-पीट नहीं सहनी थी।

अतः यहां यह पता चलता है कि गूंगे को किसी असहाय व्यक्ति या दया का पात्र नहीं बना था। उसे इस समाज का नागरिक होने का सामान अधिकार चाहिए था किसी प्रकार की सहानुभूति नहीं।

Question: 9 ‘गूंगे’ कहानी पढ़कर आपके मन में कौन से भाव उत्पन्न होते है और क्यों?

Answer:

गूंगे कहानी को पढ़कर हमारे मन में यह भाव उत्पन्न होते हैं , कि :-

1. हमे विकलांग लोगों के प्रति संवेदनशील का व्यवहार करना चाहिए

2. और उनका उपहास ना उड़ा कर उनकी मदद करनी चाहिए।

3. हमें विकलांग लोगों को यह महसूस नहीं करवाना चाहिए कि वह इस समाज का हिस्सा नहीं , बल्कि विकलांग व असहाय है क्योंकि वह भी इंसान हैं।

4. उनके स्वाभिमान की भी रक्षा होनी चाहिए।

5. उन्हें दया और सहानुभूति नहीं बल्कि अधिकार चाहिए। जो कि उनका हक है।

Question: 10 कहानी का शीर्षक ‘गूंगे’ है जबकि कहानी में एक ही गूंगा पात्र है। इसके माध्यम से लेखक ने समाज की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है?

Answer:

ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि लेखक “रांगेय राघव” यह बताना चाहते हैं कि इस कहानी में गूंगे शब्द लेखक ने उन सभी व्यक्तियों के लिए  किया है जो देखते , सुनते हुए भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते , जो गूंगा है उसके लिए नहीं। ऐसे विकलांगों के प्रति व्याप्त संवेदनहीनता को रेखांकित किया गया है , इसलिए कहानी का शीर्षक गूंगे पूर्णतया सार्थक है।

Leave a Reply

%d bloggers like this: